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कामाख्या मंदिर जाकर सोनम पर नरबलि देने का आरोप ! हनीमून हत्याकांड का खुलासा

माँ कामाख्या की चौखट पर नरबलि पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन कई दफ़ा छुपते छुपाते माँ कामाख्या के नीलाचल पहाड़ी पर इंसानी कटे हुई खोपड़ी मिलती हैं, जिसके चलते इंदौर हनीमून हत्याकांड मामले में आरोपी सोनम द्वारा नरबलि देने का खुलासा राजा रघुवंशी की माँ ने किया है. कामाख्या धाम के रास्ते हनीमून कांड और नरबलि चढ़ाने की परंपरा क्या कहती है ? देखिये इस पर हमारी ये ख़ास रिपोर्ट.

12 Jun, 2025
( Updated: 12 Jun, 2025
10:34 AM )
कामाख्या मंदिर जाकर सोनम पर नरबलि देने का आरोप ! हनीमून हत्याकांड का खुलासा

51 शक्तिपीठों में से एक, अघोरियों का गढ़, तंत्र-मंत्र का केंद्र और ‘मासिक धर्म’ देवी का दिव्य धाम, असम का विश्व विख्यात कामाख्या मंदिर, हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल जहां आकर देवी का प्रत्येक भक्त ख़ुद को धन्य समझता है. जो कि माँ कामाख्या का ये धाम अधोरियों का गढ़ भी माना गया है, जिस कारण यहाँ होने वाली एक-एक तांत्रिक क्रिया रहस्यों का अंबार समेटे हुए है और इसी कड़ी में तांत्रिकों द्वारा नरबलि चढ़ाने की परंपरा भी प्रचलित है. हालाँकि माँ कामाख्या की चौखट पर नरबलि पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन कई दफ़ा छुपते छुपाते माँ कामाख्या के नीलाचल पहाड़ी पर इंसानी कटे हुई खोपड़ी मिलती हैं, जिसके चलते  इंदौर हनीमून हत्याकांड मामले में आरोपी सोनम द्वारा नरबलि देने का खुलासा राजा रघुवंशी की माँ ने किया है. कामाख्या धाम के रास्ते हनीमून कांड और नरबलि चढ़ाने की परंपरा क्या कहती है ? देखिये इस पर हमारी ये ख़ास रिपोर्ट.

जो लोग मां कामाख्या की प्रसिद्ध और शक्ति से अनजान है, उन्हें हम बता दें, असम में नीलाचल पहाड़ी की चोटी पर मौजूद माँ कामाख्या का प्राचीन मंदिर, रहस्यमय भी है और चमत्कारी भी 108 शक्तिपीठों में से, इकलौता ऐसा शक्तिपीठ है, जहां लोग शक्ति के योनी रूप को पूजते आये हैं. मंदिर का पुन:निर्माण पहली दफ़ा 16 वीं शताब्दी में कूचबिहार के राजा नारा नारायण ने करवाया, जिसके बाद मंदिर कई बार पुनर्निमित किया गया. ताझुभ की बात ये है कि यहाँ माँ की कोई प्रतिमा नहीं, बल्कि योनी की मूर्ति स्थापित है और यही मूर्ति इतनी चमत्कारी है कि इसी योनी से साल में एक बार रक्त निकलता है. रहस्यों में भरे इसी धाम में आषाढ़ लगते ही, मंदिर के पास गुजरने वाली नदी ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है  और इसके पीछे का कारण है. माँ का मासिक धर्म और इसी वार्षिक मासिक धर्म को अंबुबाची मेले के रूप में प्रत्येक वर्ष सेलीब्रेट किया जाता है. जो कि शक्ति का ये धाम अघोरियों और तांत्रिकों का केंद्र बना रहता है, जिस कारण यहाँ होने वाली तांत्रिक क्रियाएँ पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खिंचती है. कई दफ़ा यहाँ ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से चोरी छुपे नरबलि का मामला भी पकड़ा गया है. 4 साल पहले कामाख्या मंदिर के पास हुई मानव बलि की घटना को लेकर 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। तांत्रिकों ने बलि के नाम पर एक महिला का सिर कलम कर दिया था. वहीं उससे पहले मंदिर के पास एक महिला की सिरकटी लाश मिलने से भी पूरे इलाक़े में सनसनी फैल गई थी और अब सोनम को लेकर राजा रघुवंशी की माँ के आरोपों ने हर किसी को चौंका दिया है. ख़बरों की मानें, तो  सोनम ने ख़ुद से राजा की हत्या करने की बात क़बूल कर ली है. लेकिन इन सबके बीच राजा रघुवंशी माँ ने वशीकरण से लेकर नरबलि का आरोप सोनम पर लगाया है. उमा रघुवंशी ने ये दावा किया है कि सोनम ने उनके पूरे परिवार पर वशीकरण किया हुआ था.

वो जैसा बोलती , हम वैसी भी करते थे।इतना ही नहीं आशंका जताई कि हो सकता है सोनम ने मन में नरबलि देने के लिए मनोकामना की थी। क्योंकि कामाख्या देवी में पूजा करने के बाद ही आरोपियों ने राजा के गले पर वार किया था। जिस दिन राजा की हत्या हुई उस दिन ग्यारस थी। शिलॉन्ग जाने से पहले वह राजा को कामाख्या मंदिर क्यों ले गई? हो सकता है कि वहां तंत्र क्रिया कराई गई हो.

अब जब अरोपी सोनम रघुवंशी पुलिस की गिरफ़्त में है, तो ऐसे में मामले में नरबलि से लेकर मांगलिक दोष जैसी चीजें सामने निकलकर सामने आ रही है. बात अगर नरबलि की करें, तो  कामाख्या धाम में नरबलि देनी की ना कोई प्रथा है और ना ही कोई पुरानी परंपरा. ये पावन स्थल शक्ति अर्जित करने का सबसे पवित्र केंद्र है. यहाँ हर साल आयोजित होने वाले अंबुवाची मेले में तीन दिनों तक ना ही महिला और ना ही पुरुष, किसी को भी गर्भगृह में प्रवेश करने की इजाज़त नहीं होती है. मंदिर के चार गर्भगृहों में 'गरवर्गीहा’, जो सती के गर्भ का घर है, उसी में से रक्त प्रवह होता है. इन तीन दिनों के दौरान, भक्तों के लिए कुछ प्रतिबंध रहते हैं, जिसमें कोई भी भक्त पवित्र ग्रंथ नहीं पढ़ेगा, पूजा नहीं करेगा, खाना नहीं बनाएगा जैसी चीजें शामिल हैं। इस तरह की चीजें वैसी ही हैं, जैसी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा देखी जाती हैं. तीन दिनों के बाद जैसे ही बंद कपाट खुलते हैं. माँ की गर्भगृह में जैसे ही भक्त प्रवेश करते हैं. सामने आँखों देखी चमत्कार होता है. माँ के आशीर्वाद से रक्त में भीगा वस्त्र योगी कुंड के पास मौजूद होता है, ये कहा से आया. क़िसने रखा आज तक ये गुत्थी कोई नहीं सुलझ पाया जल प्रवाह अचानक से लाल कैसे हो जाता है. मंदिर की गर्भगृह में रक्त कहां से आता. यही रहस्यमय चीजें माँ कामाख्या के इस दिव्य धाम को चमत्कारी बनाती आयी हैं.

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