अब क्या बिना पाकिस्तानी वीजा के भारत करेगा मां हिंगलाज शक्तिपीठ के दर्शन ?
ना ही बलूचिस्तान को खुद की आज़ादी के लिए तड़पना पड़ेगा और ना ही हिंदुओं को अपनी कुलदेवी के दर्शन के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा, क्योंकि अबकी बार 1 हज़ार 652 किलोमीटर की दूरी से एक शिव भक्त को शक्तिपीठ से बुलावा आया है. भक्तों की डिमांड, बलूचिस्तान का अस्तित्व और माँ हिंगलाज शक्ति पीठ के दर्शन, इनका आपस में क्या कनेक्शन है?

अब ना ही पाकिस्तान की नापाक साज़िशें काम करेंगी. ना ही बलूचिस्तान को खुद की आज़ादी के लिए तड़पना पड़ेगा और ना ही हिंदुओं को अपनी कुलदेवी के दर्शन के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा, क्योंकि अबकी बार 1 हज़ार 652 किलोमीटर की दूरी से एक शिव भक्त को शक्तिपीठ से बुलावा आया है. भक्तों की डिमांड, बलूचिस्तान का अस्तित्व और माँ हिंगलाज शक्ति पीठ के दर्शन, इनका आपस में क्या कनेक्शन है? देखिये इस पर हमारी ये ख़ास रिपोर्ट.
ऑपरेशन सिंदूर के रास्ते पहलगाम हमले का बदला, फिर उसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की घोषणा. हालांकि इन सबके बीच खुली हवा में साँस लेने के लिए छटपटा रहा बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए गले का वो काँटा बना, जिसे ना ही निगला जा सकता है और ना ही निकाला जा सकता है. आज का बलूचिस्तान अब पहले जैसा नहीं रहा, जो अब तक पाकिस्तानी हुकूमत में दबकर सांस लिया करता था. दरअसल एक लंबे समय से पाकिस्तान का पेट पालने में बलूचिस्तान ने अच्छा ख़ासा योगदान दिया है, लेकिन जैसे-जैसे पाकिस्तानी सेना के जुल्म की दास्तां बढ़ती गई, पाक ISI की पकड़ बलूच लोगों पर कमजोर होने लगी. पाकिस्तान के इस सबसे बड़े प्रांत में 16 हज़ार से ज़्यादा खदानें हैं और यही खदानें वो ख़ज़ाना है, जिसे पाकिस्तानी हुकूमत ने शातिर ड्रैगन के हाथों गिरवी कर दिया है. बलूच लोगों ना ही इन खदानों का लाभ प्राप्त कर पाए. ना ही तरक़्क़ी की उड़ान भर पाए. रोजगार के नाम पर पाकिस्तानी हुकूमत ने बलूच लोगों के हाथों में कटोरों थमाया. सरकारी पदों पर भेदभाव किया, सरकार की नीतियों से वंछित करके रखा. महंगाई और भुखमरी नाम के हंटर उपर से अलग मारे और उठती आवाज़ को दबाने के लिए खून खेल अलग से खेला.
आज भले ही पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर बलूचिस्तान को पाकिस्तान के माथे का झूमर बताते है, लेकिन झूमर की रोशनी को कभी रोशन नहीं होने दिया..इन्हीं कारणों के चलते समूचा बलूचिस्तान पाकिस्तान से आज़ादी की माँग कर रहा है. एक लंबे समय से बलूच लिबरेशन आर्मी का पाक आर्मी के साथ खूनी संघर्ष चल रहा है और तो और, बलूच लोगों ने ख़ुद की स्वतंत्रता का भी ऐलान कर दिया है. बक़ायदा मोदी सरकार से दिल्ली में बलूच दूतावास खोलने की इजाजत माँगी है. विश्व पटल पर यूएन से ख़ुद के लिए एक अलग देश की मान्यता देने की माँग की है लेकिन क्या आज का बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होने की ताक़त रखता है? नहीं, तो फिर क्या यहीं ताक़त उसे भारत से मिलने वाली है? हम सभी जानते हैं कि बलूचिस्तान ख़ुद की आज़ादी के लिए भारत की तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखता है और अब जब बलूचिस्तान की रक्षक कही जाने वाली माँ हिंगलाज शक्तिपीठ से पीएम मोदी को बुलावा आया है, तो ऐसे में क्या बिना पाकिस्तानी वीजा के 100 करोड़ हिंदू बलूचिस्तान दौड़ेंगे ?
बलूचिस्तान की दुर्गम पहाड़ियों में विद्यमान 51 शक्तिपीठों में शुमार माँ हिंगलाज का धाम, जिसके लिए कहा जाता है हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमित न जात बखानी.माँ हिंगलाज भवानी के दर्शन करने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है, यहीं पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम पहुँचे. यहीं पर भगवान परशुराम के पिता ने घोर तप किया और यही पर गुरु गोरखनाथ से लेकर दादा मखान और गुरु नानक ने तप साधना की, जो कि यहाँ शक्ति का जागृत रूप स्थापित है, जिस कारण कट्टरपंथी ताकते भी इस मंदिर को चोट पहुँचाने से कतराते हैं. यहाँ के बलोच जो धर्म से मुस्लिम हैं, लेकिन ख़ुद को माँ के भक्त भी मानते हैं, इसी के चलते बलूच लोग माँ हिंगलाज शक्तिपीठ को बलूचिस्तान का रक्षक मानते है और इसी रक्षक देवी के दर्शन करने की इच्छा भारत में रह रहे 100 करोड़ हिंदुओं की भी है. हाल ही में राजस्थान के दौसा से हिंगलाज देवी के भक्तों ने पीएम मोदी से एक अनूठी और भावनात्मक मांग की है. भक्तों का कहना है कि हमारी कुलदेवी हिंगलाज माता का प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, लेकिन मौजूदा समय में भारत-पाक रिश्तों और वीजा संबंधी सख्त नियमों के कारण वे वहां जाकर माता के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. अपनी कुलदेवी के प्रति भक्तों की आस्था का परिणाम है, जो अब भारत के हिंदू बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर देखना चाहते हैं और ये बात हम सभी जानते हैं कि जब तक की बलूचिस्तान पूर्ण रूप से पाकिस्तान से आज़ाद नहीं हो जाता है, तब तक पाकिस्तानी वीजा हिंगलाग शक्तिपीठ यात्रा में रुकावट का काम करेगा. अब तो आप समझ चुके होंगे कि फाइनली शिव भक्ति को शक्ति का बुलावा आया है, अब बस ये देखना है कि दर्शन पाने का इंतज़ार और कितना करना पड़ेगा.