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ना सिर्फ़ मोदी, बल्कि शंकराचार्य ने भी किया हिंदू नववर्ष 2082 का स्वागत

क्या देश के 100 करोड़ हिंदू के लिए नया साल 1 जनवरी से शुरु होता है ? सवालों की इसी उधेड़-बुन में फँसे हिंदुओं को सच का आईना, अबकी बार ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दिखाया है। ना सिर्फ़ शंकराचार्य बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिंदुओं को हिंदू नववर्ष से साक्षात्कार कराया है।

02 Apr, 2025
( Updated: 02 Apr, 2025
08:55 AM )
ना सिर्फ़ मोदी, बल्कि शंकराचार्य ने भी किया हिंदू नववर्ष 2082 का स्वागत

युगों-युगों से समय का पहिया सदा घुमता रहा है, समय की गति पर फुलस्टॉप लगा पाना असंभव है, तभी तो कहते हैं, समय वो अनमोल धन है, जो किसी के लिए नहीं रुकता। समय को परखने वाला रंक से धनाढ्य और समय की उपक्षा करने वाले वाला व्यक्ति महल से सड़क पर आ जाता है और जो कि समय के साथ होने वाले परिवर्तन प्रकृति का नियम है, इसलिए न्यू ईयर का इंतज़ार हमेशा पूरी दुनिया को रहता है। 31 दिसंबर की रात पुराने साल को गुड बॉय बोलकर 1 जनवरी यानी एक नये साल का वेलकम किया जाता है लेकिन क्या 1 जनवरी की उगता सूरज हिंदुओं के लिए भी नववर्ष की शुरुआत है ? भारतीय हिंदू जिस सनातन संस्कृति और परंपरा से आते हैं, क्या उनका नया साल 31 दिसंबर के अगले दिन से शुरु होता है? क्या देश के 100 करोड़ हिंदू के लिए नया साल 1 जनवरी से शुरु होता है ?  सवालों की इसी उधेड़-बुन में फँसे हिंदुओं को सच का आईना, अबकी बार ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दिखाया है। ना सिर्फ़ शंकराचार्य बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिंदुओं को हिंदू नववर्ष से साक्षात्कार कराया है।

30 मार्च से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि के साथ  भारत विक्रम नवसंवत्स 2082 में प्रवेश कर चुका है। मतलब ये कि विक्रम कैलंडर के हिसाब से भारतीयों के हिंदू नववर्ष का शुभारंभ हो चुका है, जिसे लेकर देश के चारों शंकराचार्य और प्रधानमंत्री से लेकर तमाम नामचीन हस्तियों ने सोशल मीडिया प्लैटफॉम पर शुभकामनाएँ दीं। जो कि धार्मिक प्रवृत्ति के पीएम मोदी की छवि हमेशा एक सनातनी के तौर पर बनी हुई है, जिस कारण उन्होंने प्रथम नवरात्रि को सभी देशवासियों को नवरात्रि के साथ-साथ हिंदू नववर्ष की भी शुभकामनाएँ दी। हिंदू नववर्ष के अवसर पर सभी देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। यह पावन अवसर नया उत्साह और ऊर्जा लेकर आए तथा विकसित भारत के लिए हमारे संकल्प को और मजबूत करे।”


इसी कड़ी में ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हिंदुओं को नींद से जगाया। शंकराचार्य ने देश वासियों को नवसंवत्सर की हिस्ट्री से परिचित कराया। किस प्रकार से देश के संविधान में विक्रम संवत दर्ज है। सरकारी कैलेंडर शक संवत पर आधारित है। पड़ोसी मुल्क नेपाल के सरकारी कैलंडर विक्रम संवत पर आधारिक आज भी चल रहे हैं। इसका उदाहरण देते हुए शंकराचार्य ने हिंदुओं को उनके असल हिंदू न्यू ईयर का मतलब समझाया। बक़ायदा इसको लेकर शंकराचार्य के नेतृत्व में शिव की नगरी काशी में एक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। जिसमें शंकराचार्य समेत उनके बटुकों ने सूर्य नमस्कार करके और सूर्य को अर्ध देकर नव संवत्सर 2082 का स्वागत किया। प्रत्येक सनातनी के लिए विक्रम संवत  क्या मायने रखता है। 

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