माता पार्वती ने मां गंगा को दिया था मैली होने का श्राप! क्या भगवान शिव थे वजह?
माता पार्वती के श्राप के कारण ही मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं और आज भी उन्हें पवित्र माना जाता है. लोग अपने पापों को धोने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए उनमें स्नान करते हैं, जो उनके दिव्य और कल्याणकारी स्वरूप को दर्शाता है.

हिंदू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र और पूजनीय माना जाता है. उन्हें मां गंगा कहकर संबोधित किया जाता है और उनकी आराधना जीवनदायिनी के रूप में की जाती है. गंगा नदी का उल्लेख अनेक पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने मां गंगा को मैली होने का श्राप दिया था? यह कथा थोड़ी रहस्यमय और रोचक है, जिसके पीछे एक गहरा कारण छिपा हुआ है. आइए जानते हैं उस पौराणिक कथा के बारे में जिसके चलते माता पार्वती ने मां गंगा को यह श्राप दिया था.
माता पार्वती ने मां गंगा को क्यों दिया श्राप?
माता पार्वती और मां गंगा दोनों में बहनों का रिश्ता है लेकिन फिर भी माता पार्वती उनसे एक दिन इतनी क्रोधित हो गईं की उन्हें श्राप दे दिया. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है, जब भगवान शिव गहरी तपस्या में लीन थे. माता पार्वती उनकी सेवा में रत थीं और उनका पूरा ध्यान भगवान शिव की साधना में विघ्न न पड़ने पर था. कुछ देर बाद अपने नेत्र खोलने पर भगवान शिव ने देवी गंगा को अपन सामने पाया, तब उन्होंने गंगा से प्रश्न किया कि वह हाथ जोड़ उनके सामने क्यों खड़ी है. इस बात पर गंगा ने कहा कि मैं आप पर मोहित हो गई हूं, इसलिए आप मुझे अपने पत्नी के रूप में स्वीकार कर लें.
मां गंगा के ऐसा कहने पर देवी पार्वती क्रोधित हो गई और ज्वाला से भड़की हुई आंखें खोलते हुए कहा कि बहन होकर तुम यह कैसी बात कर रही हो. तब गंगा ने जवाब दिया कि इससे क्या फर्क पड़ता है. भले ही तुम भगवान शिव की अर्धांगिनी हो, लेकिन वह अपने सिर पर मुझे धारण करते हैं. इस बात को सुनते ही माता पार्वती ने अपना आपा खो दिया और उन्होंने श्राप दिया कि अब गंगा में मृत्यु शरीर बहेंगे. मनुष्यों के पाप धोते-धोते वह स्वयं मैली हो जाएंगी. जिस कारण उनका रंग भी काला पड़ जाएगा.
माता पार्वती ने मां गंगा को ऐसे किया माफ़
देवी पार्वती के श्राप देते ही मां गंगा बहुत डर गई और कांपते हुए स्वर में उन्होंने माता पार्वती से माफी मांगी और श्राप वापस लेने की भी विनती की. तब भगवान शिव ने उन्हें श्राप मुक्त कर दिया और कहा जो तुम्हारे जल से स्नान करेगा, उसके पाप धुल जाएंगे, यही तुम्हारा पश्चाताप होगा.