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भारत का ऐसा मंदिर, जहां एक दिन पुरुषों का प्रवेश है बैन, सिर्फ महिलाएं कर सकती हैं पूजा

मंदिर में विराजमान मां भद्रकाली को समृद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है. भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में मां के सामने मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. मुराद पूरी होने पर मां भद्रकाली के लिए विशेष अनुष्ठान भी किया जाता है. पोंगल उत्सव के दौरान भी मंदिर में महिलाएं मां भद्रकाली के लिए खास अनुष्ठान करती हैं.

भारत में कई मंदिर अपनी दिव्यता और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध हैं. कई ऐसे भी मंदिर हैं जहां स्थानीय उत्सवों को इतने बड़े और भव्य पैमाने पर मनाया जाता है कि वे इन मंदिरों की पहचान का मुख्य भाग बन जाते हैं. वहीं, कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां इन सब चीजों का एक साथ समागन देखने के लिए मिलता है. तिरुवनंतपुरम का अट्टुकल भगवती मंदिर ऐसा ही दिव्य मंदिर है, जहां मां भगवती, देवी भद्रकाली के रूप में गर्भगृह में मौजूद हैं और भक्तों को समृद्धि और मोक्ष का वरदान देती हैं. 

किस दिन मंदिर में पुरुषों के प्रवेश पर पाबंदी 

अट्टुकल भगवती मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में मौजूद है. इस मंदिर में मां भद्रकाली मुख्य देवी के रूप में विराजमान हैं. यह मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि एक दिन ऐसा होता है जब मंदिर में पुरुषों के प्रवेश पर पाबंदी होती है.  'अट्टुकल पोंगाला' उत्सव के दिन मंदिर में केवल महिलाएं ही आ सकती हैं. बाकी के दिनों में पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रवेश की अनुमति होती है. 'अट्टुकल पोंगाला' फेस्टिवल 10 दिन तक चलता है और इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल होती हैं. यह त्यौहार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है.

इस मंदिर में मां के सामने मांगी गई हर मुराद पूरी होती

मंदिर में विराजमान मां भद्रकाली को समृद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है. भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में मां के सामने मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. मुराद पूरी होने पर मां भद्रकाली के लिए विशेष अनुष्ठान भी किया जाता है. पोंगल उत्सव के दौरान भी मंदिर में महिलाएं मां भद्रकाली के लिए खास अनुष्ठान करती हैं. 

मंदिर तमिल संस्कृति से सराबोर है

मंदिर की वास्तुकला भी तमिल संस्कृति से सराबोर है, जो पारंपरिक तमिल और केरल वास्तुकला शैलियों का मिश्रण है. मंदिर स्तंभों पर देवी काली, श्री पार्वती, भगवान शिव और भगवान विष्णु के दस अवतारों की सुंदर नक्काशी है, जो मंदिर की सुंदरता को बढ़ाती हैं.

मंदिर के निर्माण के पीछे क्या है वजह?

पौराणिक कथा की मानें, तो एक शाम एक व्यक्ति नदी पार कर रहा था, तभी एक छोटी सी कन्या नदी पार कराने के लिए कहती है. व्यक्ति कन्या के चेहरे के तेज से प्रभावित होता है और दिल से उसे अपने घर आने का न्योता देता है. व्यक्ति कन्या के आगमन की तैयारी करता है लेकिन कन्या गायब हो जाती है और उस व्यक्ति को सपने में दर्शन देकर तीन रेखाओं वाले स्थान के बारे में बताती है.

कन्या कहती है कि जहां पहाड़ी पर तीन रेखाएं बनी हैं, वहां मंदिर का निर्माण कराया जाए. अगले दिन व्यक्ति को बताई गई जगह पर तीन निशान मिलते हैं. जैसे ही बात गांव में फैली, सभी लोग मिलकर मां के मंदिर का निर्माण करवाते हैं. मंदिर में चार भुजा वाली मां भद्रकाली की प्रतिमा की स्थापना की गई है. 

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