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5 ऐसे चमत्कारी मंदिर जहां दर्शन करने से दूर होते हैं नेत्र रोग, जानें मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

भारत एक ऐसा देश है जहां कई देवताओं ने जन्म लिया, कई महापुरुषों ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, कई महान संतों ने मंदिरों का निर्माण कराया जिनसे आज भी कई लोगों की मान्यताएं जुड़ी हैं. ऐसे ही 5 मंदिर ऐसे हैं जहां की मान्यता है कि दर्शन मात्र से ही भक्तों की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

01 Oct, 2025
( Updated: 09 Dec, 2025
08:40 PM )
5 ऐसे चमत्कारी मंदिर जहां दर्शन करने से दूर होते हैं नेत्र रोग, जानें मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

भारत एक ऐसी धरा है जहां आज भी सदियों पुराने मंदिर मौजूद हैं. इन मंदिरों से जुड़ी ऐसी कई मान्यताएं हैं जिनसे आज भी भक्तों की भावना और आस्थाएं जुड़ी हैं. ऐसे ही मंदिर उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में भी मौजूद हैं. यहां भक्त अपने रोगों से निजात पाने के लिए आते हैं. चलिए विस्तार से जानते हैं इन मंदिरों के बारे में…

उत्तराखंड का नैना देवी मंदिर 

भक्तों के बीच में नेत्र रोगों के लिए प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर में माना जाता है कि नेत्र विकारों से मुक्ति पाने के लिए नैना मां के द्वार जाना चाहिए. भक्तों का मानना है कि यहां आकर मां की कृपा से आंखों के रोग से मुक्ति मिलती है. नैना देवी एक शक्तिपीठ मंदिर है, जहां मां सती के दोनों नयन गिरे थे, जिसके बाद इस शक्तिपीठ की स्थापना हुई. हालांकि पुराना मंदिर भूस्खलन के समय टूट गया था, लेकिन मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया.

मध्यप्रदेश में विराजमान माता निरार का मंदिर 

मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के पहाड़ों में माता निरार वाली विराजमान हैं. यह एक प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर घने जंगलों के बीचों-बीच है, लेकिन फिर भी मान्यता में कोई कमी नहीं है. भक्तगण दूर-दूर से अपनी आंखों के रोगों को लेकर मंदिर में आते हैं और ठीक होकर जाते हैं. मान्यता है कि यहां अर्जी लगाने से मां आंखों के रोगों को खत्म करती हैं. इसके अलावा संतान प्राप्ति और त्वचा संबंधी रोगों के लिए इस मंदिर में अर्जी लगती है.

उत्तर प्रदेश में मौजूद मां फूलमती का मंदिर

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के मकरंद नगर क्षेत्र में बना माता फूलमती का मंदिर बेहद खास है, क्योंकि माना जाता है कि जिसे भी यहां आंखों के रोग से मुक्ति मिलती है, उसे माता रानी पर चांदी की आंख अर्पित करनी होती है. माता फूलमती की स्थापना राजा जयचंद्र ने की थी और उन्हें उनकी कुलदेवी माना गया है. इस मंदिर में मां की प्रतिमा को जल से स्नान कराया जाता है और इसी जल को नेत्र रोगी भक्त अपनी आंखों पर लगाते हैं.

मां कुष्मांडा के मंदिर से जुड़ी है भक्तों की आस्था 

उत्तर प्रदेश में एक और मंदिर है, जो नेत्र रोगों को ठीक करने के लिए जाना जाता है. कानपुर में मां कुष्मांडा देवी अपनी मान्यताओं की वजह से प्रसिद्ध हैं. यहां मां पिंडी के रूप में विराजमान हैं, और जल मां के होकर मंदिर के बाहर जाता है; उस जल को भक्त अपनी आंखों पर लगाते हैं.

इस मंदिर में नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है!

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राजस्थान का सूलाबावजी मंदिर भी नेत्र रोगों की मुक्ति के लिए जाना जाता है. यह मंदिर मां भवानी का नहीं है, लेकिन इसकी प्रसिद्धि इतनी ज्यादा है कि दूर-दूर से लोग आते हैं. माना जाता है कि मंदिर का पानी पीने से या आंखों पर छिड़कने से भक्त को नेत्र रोगों में आराम मिलता है. यह मंदिर सिंगोली के पास बना है.

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