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Gold Loan लेना होगा और आसान! RBI ने बदले 8 बड़े नियम, जानिए आपको क्या मिलेगा फायदा

आरबीआई के ये नए नियम आम जनता को न सिर्फ ज्यादा सुविधा देंगे, बल्कि गोल्ड लोन की पूरी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और सरल बना देंगे। खासकर ग्रामीण इलाकों और निम्न आय वर्ग के लिए ये बदलाव एक बड़ी राहत साबित हो सकते हैं। यह कदम भारत में वित्तीय समावेशन (financial inclusion) की दिशा में एक मजबूत पहल है.

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Gold Silver Loan Rules: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. इन संशोधित नियमों का उद्देश्य आम लोगों को सरल और पारदर्शी तरीके से लोन उपलब्ध कराना है, साथ ही बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) की कार्यप्रणाली को ज्यादा जिम्मेदार बनाना भी है. ये नए नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे और पुराने लोन पर पुराने नियम ही मान्य होंगे. आइए जानते हैं इन नए नियमों को विस्तार से...

एलटीवी रेश्यो में वृद्धि: अब मिलेगा ज्यादा लोन

एलटीवी यानी लोन टू वैल्यू रेश्यो वह अनुपात होता है, जिसमें ग्राहक को सोने के मूल्य के मुकाबले कितना लोन मिल सकता है. पहले यह सीमा 75% थी, जिसे अब बढ़ाकर 85% कर दिया गया है, लेकिन यह सिर्फ 2.5 लाख रुपये तक के गोल्ड होम लोन के लिए लागू होगा. इसका मतलब है कि ग्राहक अब अपने सोने की कीमत का 85% तक लोन ले सकेंगे, जिससे उन्हें कम सोना गिरवी रखकर भी ज्यादा राशि मिल सकेगी.

क्रेडिट चेक और इनकम प्रूफ की बाध्यता हटाई गई

आरबीआई ने नए नियमों में यह स्पष्ट किया है कि 25 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन के लिए अब आय प्रमाणपत्र (Income Proof) और क्रेडिट स्कोर की अनिवार्यता नहीं होगी. यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए राहत है जो अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करते हैं और जिनके पास आय का कोई नियमित दस्तावेज नहीं होता. इससे गांव-देहात या निम्न आय वर्ग के लोगों को भी आसानी से लोन मिल सकेगा.

बुलेट रिपेमेंट के लिए तय की गई समयसीमा

जो ग्राहक बुलेट रिपेमेंट विकल्प चुनते हैं, यानी एकमुश्त मूलधन और ब्याज अंत में चुकाते हैं, उनके लिए अब 12 महीने की समयसीमा तय की गई है. पहले इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं थे जिससे बैंकों और ग्राहकों के बीच विवाद होता था. अब समयसीमा तय होने से अनुशासन बना रहेगा और बैंकों को भी अपने लोन पोर्टफोलियो की निगरानी आसान होगी.

गिरवी रखे जा सकने वाले सोने-चांदी की सीमा

अब आरबीआई ने स्पष्ट रूप से यह सीमा तय की है कि एक ग्राहक अधिकतम कितना सोना या चांदी गिरवी रख सकता है. यह सीमा पूरे बैंक या एनबीएफसी नेटवर्क के लिए होगी, न कि सिर्फ एक ब्रांच के लिए. सीमाएं निम्नलिखित हैं:

सोने के गहने: 1 किलो

सोने के सिक्के: 50 ग्राम

चांदी के गहने: 10 किलो

चांदी के सिक्के: 500 ग्राम

इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ज्यादा मात्रा में कीमती धातु को गिरवी रखकर कोई व्यक्ति नियमों का दुरुपयोग न कर सके.

लोन चुकाने के बाद तेजी से मिलेगा सोना वापस

एक और बड़ा बदलाव यह है कि यदि ग्राहक लोन चुकाता है, तो बैंक या एनबीएफसी को अधिकतम 7 वर्किंग डेज के भीतर उसका गिरवी रखा सोना या चांदी लौटाना होगा. यदि इस अवधि से ज्यादा देरी होती है, तो संस्था को प्रति दिन 5,000 रुपये ग्राहक को मुआवजा देना होगा। इससे बैंकों की जवाबदेही बढ़ेगी और ग्राहकों को उनके कीमती आभूषण समय पर मिल सकेंगे.

चोरी या नुकसान की स्थिति में पूरा मुआवजा

अगर किसी वजह से बैंक की लापरवाही से ग्राहक का गिरवी रखा गया सोना या चांदी चोरी हो जाती है या खराब हो जाती है, तो बैंक को ग्राहक को पूरा मुआवजा देना होगा. इससे ग्राहकों की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी और उनकी चिंता कम होगी.

नीलामी की प्रक्रिया में पारदर्शिता

यदि कोई ग्राहक समय पर लोन नहीं चुका पाता और बैंक को उसका सोना नीलाम करना पड़ता है, तो पहले ग्राहक को नोटिस देना अनिवार्य होगा. इसके साथ ही, नीलामी की न्यूनतम रिजर्व प्राइस मार्केट प्राइस के 90% से कम नहीं हो सकती. नीलामी के बाद अगर कोई अतिरिक्त राशि बचती है तो वह बैंक को 7 दिनों के भीतर ग्राहक को लौटानी होगी. यह नियम ग्राहकों के हितों की रक्षा करता है और नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है.

स्थानीय भाषा में जानकारी और गवाह की उपस्थिति

आरबीआई ने यह भी निर्देश दिया है कि लोन की शर्तें, आकलन रिपोर्ट और अन्य जरूरी जानकारी ग्राहक की स्थानीय भाषा में दी जानी चाहिए. यदि ग्राहक पढ़ने-लिखने में असमर्थ है, तो यह जानकारी एक गवाह की उपस्थिति में दी जानी चाहिए. यह बदलाव खासतौर पर ग्रामीण और अशिक्षित ग्राहकों की सुविधा के लिए किया गया है.

किन पर नहीं मिलेगा लोन

नए नियमों में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि गोल्ड लोन केवल सोने के गहनों और सिक्कों पर ही मिलेगा. गोल्ड बुलियन, गोल्ड बार, गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF या सिल्वर ETF जैसी फॉर्म्स पर कोई भी लोन नहीं दिया जाएगा. इससे गोल्ड लोन का उद्देश्य स्पष्ट और सीमित बना रहेगा.

आरबीआई के ये नए नियम आम जनता को न सिर्फ ज्यादा सुविधा देंगे, बल्कि गोल्ड लोन की पूरी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और सरल बना देंगे। खासकर ग्रामीण इलाकों और निम्न आय वर्ग के लिए ये बदलाव एक बड़ी राहत साबित हो सकते हैं। यह कदम भारत में वित्तीय समावेशन (financial inclusion) की दिशा में एक मजबूत पहल है. 

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