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GST में राहत... साइकिल और खिलौने सस्ते, लेकिन किताबें होंगी महंगी

सरकार ने GST (वस्तु और सेवा कर) के ढांचे में बड़ा बदलाव किया है. पहले जहाँ 4 तरह के टैक्स स्लैब थे, अब उसे कम करके केवल दो स्लैब कर दिया गया है. ये नया सिस्टम 22 सितंबर 2025 से लागू होगा.

08 Sep, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
04:12 AM )
GST में राहत... साइकिल और खिलौने सस्ते, लेकिन किताबें होंगी महंगी
Image Credit: GST

GST on Printing Paper: हाल ही में सरकार ने GST (वस्तु और सेवा कर) के ढांचे में बड़ा बदलाव किया है. पहले जहाँ 4 तरह के टैक्स स्लैब थे, अब उसे कम करके केवल दो स्लैब कर दिया गया है. ये नया सिस्टम 22 सितंबर 2025 से लागू होगा. इसके बाद कई चीजें सस्ती हो जाएंगी, लेकिन किताबें महंगी हो सकती हैं, और इसका सबसे ज़्यादा असर छात्रों और माता-पिता की जेब पर पड़ेगा.

किताब छापने वाले कागज पर बढ़ा टैक्स

असल में सरकार ने किताब छापने में इस्तेमाल होने वाले खास कागज पर GST दर को 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया है. जबकि दूसरी ओर, नोटबुक, पेंसिल, रबर, नक्शे और रजिस्टर जैसी स्टेशनरी पर अब कोई GST नहीं लगेगा. यानि स्टेशनरी सामान सस्ते हो जाएंगे, लेकिन किताबें छापने की लागत अब पहले से ज्यादा होगी. यही कारण है कि किताबों की कीमतें बढ़ने की आशंका है.

 सीधा असर छात्रों पर पड़ेगा

प्रकाशकों और शिक्षा जगत के जानकारों का कहना है कि इस बदलाव का सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ेगा. एक किताब छापने में करीब 60-70% खर्च सिर्फ कागज पर आता है. अब जब कागज महंगा हो जाएगा, तो जाहिर है कि किताब की कुल लागत भी बढ़ेगी, और वही कीमत ग्राहकों यानी छात्रों से वसूली जाएगी.

 प्रकाशकों और शिक्षा संघ ने जताई चिंता

सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई प्रकाशकों और शिक्षा संस्थानों ने अपनी चिंता जाहिर की है. भारतीय शैक्षिक महासंघ ने कहा है कि पाठ्यपुस्तकों (Textbooks) को सरकार सस्ती करना चाहती है, लेकिन GST स्लैब में विसंगति की वजह से ऐसा हो नहीं पाएगा. महासंघ के अध्यक्ष गोपाल शर्मा और महासचिव राजेश गुप्ता ने कहा कि एक तरफ अभ्यास पुस्तकों और स्टेशनरी को राहत दी गई है, लेकिन जिन कागजों पर असली किताबें छपती हैं, उन्हें ज्यादा टैक्स के दायरे में डाल दिया गया है.

किताबें क्यों हैं ज़रूरी और महंगी क्यों बनेंगी?

हर साल लाखों छात्र स्कूल और कॉलेज की किताबें खरीदते हैं. खासकर सरकारी स्कूलों के बच्चे, जिनके लिए थोड़ी भी बढ़ी हुई कीमत भारी हो सकती है. अगर किताब छापने में इस्तेमाल होने वाला कागज ही महंगा हो गया, तो किताब की कीमत भी ज़रूर बढ़ेगी. और इसका सीधा असर छात्रों की शिक्षा पर पड़ेगा, क्योंकि कई परिवारों के लिए महंगी किताबें खरीदना मुश्किल हो जाएगा.

क्या सरकार बदलेगी फैसला?

प्रकाशन जगत और शिक्षा से जुड़े लोग अब सरकार से GST दर में बदलाव की मांग कर रहे हैं. उन्होंने सरकार को लेटर लिखकर बताया है कि अगर इस फैसले को नहीं बदला गया, तो पढ़ाई महंगी हो जाएगी और इसका असर देश के भविष्य पर पड़ेगा. अब देखना ये होगा कि क्या सरकार इस फैसले पर फिर से विचार करती है या नहीं.

  • GST स्लैब में बदलाव से कागज पर टैक्स बढ़ा है.
  • किताबों की लागत बढ़ेगी, जिससे कीमतें भी बढ़ेंगी.
  • स्टेशनरी सस्ती होगी, लेकिन किताबें महंगी.
  • छात्रों और अभिभावकों पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ.
  • प्रकाशकों ने सरकार से राहत की मांग की है.

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