बिना CIBIL स्कोर भी मिलेगा लोन, वित्त मंत्रालय की नई गाइडलाइन जारी
यह पूरी पहल देश में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक कदम है. अब ग्रामीण इलाकों, युवाओं, और छोटे कारोबारियों के लिए बैंकिंग सेवाओं का दरवाज़ा और भी खुल गया है
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CIBIL Score: अगर आप पहली बार बैंक से लोन लेने जा रहे हैं और आपके पास अभी तक CIBIL स्कोर नहीं है, तो अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ CIBIL स्कोर की गैर-मौजूदगी के आधार पर किसी भी नए उधारकर्ता का लोन आवेदन खारिज नहीं किया जाएगा. यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए बड़ी राहत है जो अभी तक औपचारिक बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा नहीं बन पाए थे.
RBI ने बैंकों को दिए स्पष्ट निर्देश
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में मानसून सत्र के दौरान बताया कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों और लोन देने वाली संस्थाओं को यह निर्देश दिया है कि किसी भी नए ग्राहक को सिर्फ इस वजह से लोन से वंचित न किया जाए क्योंकि उसका क्रेडिट इतिहास नहीं है. यानी, अगर कोई पहली बार लोन के लिए आवेदन कर रहा है और उसका कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं है, तो भी बैंक को उसका आवेदन गंभीरता से जांचना होगा.
CIBIL स्कोर की कोई न्यूनतम सीमा नहीं
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि RBI ने CIBIL स्कोर के लिए कोई न्यूनतम अंक तय नहीं किए हैं. यानी, ऐसा नहीं है कि लोन के लिए आपको 750 या 800 स्कोर चाहिए ही. बैंक अपने फैसले बोर्ड-अनुमोदित नीतियों और नियामक दिशानिर्देशों के आधार पर लेते हैं. CIBIL स्कोर, यानी क्रेडिट रिपोर्ट, सिर्फ एक मूल्यांकन का हिस्सा है, न कि लोन मिलने या न मिलने का एकमात्र आधार.
CIBIL स्कोर होता क्या है?
CIBIL स्कोर एक तीन अंकों की संख्या (300 से 900 के बीच) होती है, जो आपकी क्रेडिट योग्यता (credit worthiness) को दर्शाती है. यह स्कोर क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड द्वारा तैयार किया जाता है. इसमें आपका बैंक से लिया गया कर्ज, समय पर की गई भुगतान जानकारी, क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल, और आपकी वित्तीय ज़िम्मेदारी को मापा जाता है.
लोन देने से पहले होगी पूरी जांच
हालांकि पहली बार लोन लेने वालों को अब मौका मिलेगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बैंक आंख मूंदकर लोन दे देंगे. वित्त मंत्रालय ने बैंकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि लोन देने से पहले सभी जरूरी जांच की जाए. इसमें उधारकर्ता का भुगतान व्यवहार, पहले लिए गए लोन की स्थिति, और कहीं कोई डिफॉल्ट हुआ है या नहीं, इसकी गहराई से जांच शामिल है. यह कदम लोन सिस्टम की पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है.
क्रेडिट रिपोर्ट की कीमत पर भी लगाम
लोगों को अपनी क्रेडिट स्थिति समझने का हक है, इस दिशा में भी सरकार ने अहम कदम उठाया है. क्रेडिट रिपोर्ट के लिए कंपनियां (CICs) अधिकतम ₹100 का ही शुल्क ले सकती हैं. इतना ही नहीं, RBI के 2016 के नियमों के अनुसार, हर व्यक्ति को साल में एक बार अपनी क्रेडिट रिपोर्ट मुफ्त में देखने का अधिकार है, वो भी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में. इससे लोग अपने क्रेडिट प्रोफाइल को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे.
नए कर्जदारों के लिए खुला रास्ता
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यह पूरी पहल देश में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक कदम है. अब ग्रामीण इलाकों, युवाओं, और छोटे कारोबारियों के लिए बैंकिंग सेवाओं का दरवाज़ा और भी खुल गया है. जो लोग अब तक सिर्फ इसलिए लोन नहीं ले पाए क्योंकि उनका कोई क्रेडिट स्कोर नहीं था, उनके लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे अब औपचारिक आर्थिक प्रणाली का हिस्सा बनें.
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