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भारत से अमेरिका को iPhone निर्यात में रिकॉर्ड 76% बढ़ोतरी, चीन को पीछे छोड़ा

भारत ने अब खुद को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर लिया है. iPhone जैसे प्रीमियम प्रोडक्ट का बड़े पैमाने पर भारत में निर्माण और वहां से अमेरिका जैसे बाजार में निर्यात होना एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि है.

28 May, 2025
( Updated: 30 May, 2025
01:36 PM )
भारत से अमेरिका को iPhone निर्यात में रिकॉर्ड 76% बढ़ोतरी, चीन को पीछे छोड़ा
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iPhone: भारत की निर्माण क्षमता और वैश्विक तकनीकी कंपनियों के लिए आकर्षक विकल्प बनने की दिशा में एक बड़ा कदम सामने आया है. अप्रैल 2025 में, भारत से अमेरिका को भेजे गए iPhone की संख्या में सालाना आधार पर 76 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है. एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान लगभग 30 लाख यूनिट्स अमेरिका भेजे गए, जो चीन के मुकाबले कहीं अधिक है. यही नहीं, चीन से अमेरिका को भेजे गए iPhone की संख्या घटकर केवल 9 लाख यूनिट रह गई, जो कि पहले की तुलना में भारी गिरावट है.

भारत पहली बार iPhone सप्लाई में चीन से आगे

मार्केट रिसर्च फर्म ओमडिया की रिपोर्ट बताती है कि यह पहला मौका है जब भारत ने अमेरिकी बाजार में iPhone की आपूर्ति में लगातार चीन को पीछे छोड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि Apple बीते कई वर्षों से सप्लाई चेन में संभावित बाधाओं को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक योजना पर काम कर रहा था. अप्रैल में आई तेज़ी इसी योजना का हिस्सा मानी जा रही है. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिकी टैरिफ नियमों में संभावित बदलाव से पहले Apple ने ‘स्ट्रैटेजिक स्टॉकपाइलिंग’ की है यानी बड़ी मात्रा में iPhone अमेरिका भेजकर स्टॉक तैयार किया है.

अमेरिका में उत्पादन महंगा, भारत बना स्मार्ट विकल्प

अमेरिका में iPhone की तिमाही मांग लगभग 2 करोड़ यूनिट के आसपास है. लेकिन अमेरिका में पूरी तरह से ‘मेड इन यूएस’ iPhone तैयार करना बेहद महंगा साबित हो सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा iPhone करीब $3,500 (लगभग ₹2,98,000) का पड़ सकता है. इसकी वजह है कि अमेरिका में Apple जैसी जटिल और विस्तृत एशियाई सप्लाई चेन को दोहराना लगभग असंभव है.

वेडबश सिक्योरिटीज के टेक्नोलॉजी रिसर्च हेड डैन इवेस के मुताबिक, अमेरिका में पूरी तरह से घरेलू iPhone मैन्युफैक्चरिंग करना एक ‘काल्पनिक कहानी’ है. उन्होंने आगाह किया कि अगर Apple अपने उत्पादन को अमेरिका में स्थानांतरित करता है, तो लागत में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, विश्लेषकों का मानना है कि Apple को अपनी सप्लाई चेन का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका में स्थानांतरित करने में तीन साल और 30 अरब डॉलर का खर्च आएगा.

भारत बना Apple की वैश्विक रणनीति का अहम हिस्सा

Apple के CEO टिम कुक ने हाल ही में कंपनी की तिमाही अर्निंग कॉल के दौरान बताया कि जून तिमाही में अमेरिका को भेजे जाने वाले iPhone का “अधिकांश हिस्सा” भारत से आएगा. यह बयान भारत की वैश्विक सप्लाई चेन में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है. भारत अब Apple के लिए सिर्फ एक निर्माण स्थल नहीं बल्कि एक रणनीतिक साझेदार बनता जा रहा है.

जियोपॉलिटिक्स के बीच भारत की अहम भूमिका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूरोपीय संघ से आयातित वस्तुओं पर 50% टैरिफ और अमेरिका में iPhone न बनने की स्थिति में Apple उत्पादों पर 25% टैक्स की चेतावनी के बीच भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है. जानकारों के मुताबिक, भारत की प्रतिस्पर्धी निर्माण लागत, सरकार की सहयोगी नीतियां और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलें Apple जैसी कंपनियों के लिए भारत को एक भरोसेमंद विकल्प बनाती हैं.

 भारत बना तकनीकी विनिर्माण का नया केंद्र

भारत ने अब खुद को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर लिया है. iPhone जैसे प्रीमियम प्रोडक्ट का बड़े पैमाने पर भारत में निर्माण और वहां से अमेरिका जैसे बाजार में निर्यात होना एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि है. आने वाले समय में यह बढ़त और भी मजबूत हो सकती है, क्योंकि Apple जैसी कंपनियाँ भारत को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थायी और दीर्घकालिक साझेदार के रूप में देख रही हैं.

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