भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, क्या है इसका असली मतलब?
भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी का दर्जा हासिल कर लिया है।. GDP के आंकड़ों में यह उपलब्धि भारत की वैश्विक आर्थिक ताकत को दर्शाती है. जानिए इसका मतलब, असर और क्या अब आम भारतीय को इसका फायदा मिलेगा.
27 May 2025
(
Updated:
11 Dec 2025
08:39 AM
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भारत ने हाल ही में वैश्विक आर्थिक मंच पर एक नया मुकाम हासिल किया है. अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. जापान, जो दशकों से इस स्थान पर बना हुआ था, वह अब पांचवें स्थान पर खिसक गया है. इस उपलब्धि के साथ भारत अब अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद चौथे नंबर पर है. भारत की मौजूदा GDP लगभग 4.2 से 4.4 ट्रिलियन डॉलर के बीच आंकी गई है, जबकि जापान की GDP 4.18 से 4.27 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है.
GDP क्या है और यह रैंकिंग कैसे तय होती है?
GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद, किसी देश की आर्थिक सेहत का सबसे महत्वपूर्ण पैमाना माना जाता है. यह आंकड़ा बताता है कि देश एक निश्चित समयावधि में कुल कितनी वस्तुएं और सेवाएं उत्पादित कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी देश की इकोनॉमिक रैंकिंग इसी GDP के आधार पर तय होती है. जब GDP डॉलर में गिनी जाती है, तो उसमें करेंसी एक्सचेंज रेट का भी खासा प्रभाव होता है.
GDP बढ़ने का मतलब, क्या जनता अमीर हो गई?
यह सवाल बेहद अहम है. किसी देश की GDP भले ही ऊंची हो जाए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर नागरिक अमीर हो गया है. भारत की प्रति व्यक्ति आय अभी भी विकसित देशों की तुलना में काफी कम है. भारत की GDP बढ़ने के पीछे मुख्य रूप से उसके विशाल जनसंख्या आधार, सेवा क्षेत्र में तेजी और उत्पादन क्षेत्र में हो रहे विस्तार का योगदान है. लेकिन भारत में गरीबी अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. लगभग 10 करोड़ लोग आज भी अत्यधिक गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजार रहे हैं.
विश्व की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति
इस समय अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है जिसकी GDP करीब 30.5 ट्रिलियन डॉलर है. इसके बाद चीन लगभग 19.2 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर है. जर्मनी 4.7 से 4.9 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर है. भारत ने चौथा स्थान अपने नाम किया है और जापान पांचवें पायदान पर खिसक गया है.
भारत के चौथे स्थान पर पहुंचने का अर्थ यह है कि वैश्विक मंच पर अब भारत की आवाज और प्रभाव और मजबूत होगा. निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, वैश्विक नीति निर्धारण में भारत की भागीदारी अहम होगी. हालांकि इस मुकाम के साथ सरकार पर यह जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वह असमानता को दूर करे, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास लाए और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करे. भारत को अब केवल GDP की नहीं, बल्कि 'inclusive growth' यानी समावेशी विकास की दिशा में बढ़ना होगा, तभी यह उपलब्धि सही मायनों में हर भारतीय के जीवन में बदलाव ला पाएगी.
भारत का यह आर्थिक सफर एक प्रेरणा है. लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है, अब असली चुनौती है इस उपलब्धि को आम जनजीवन में महसूस कराने की. तभी यह रैंकिंग सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत में बदलेगी.
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