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बेंगलुरु की हालत देख CEO बोले, ‘अब यहां काम करना मुमकिन नहीं’, Blackbuck ने ऑफिस शिफ्ट करने का लिया फैसला

ब्लैकबक का ऑफिस शिफ्ट करना इसी बात का एक बड़ा संकेत है कि सिर्फ टेक टैलेंट या स्टार्टअप कल्चर से शहर नहीं चलता इंफ्रास्ट्रक्चर भी उतना ही ज़रूरी है.

Source: (Rajesh Yabji x Post)

BlackBuck: बेंगलुरु की डिजिटल लॉजिस्टिक्स कंपनी ब्लैकबक ने अब अपना ऑफिस बेंगलुरु के बेलंदूर इलाके से शिफ्ट करने का फैसला किया है. यह जानकारी कंपनी के को-फाउंडर और सीईओ राजेश याबाजी ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पहले ट्विटर) पर दी. उन्होंने बताया कि कंपनी को बेलंदूर की खराब सड़कों, भीड़भाड़ और ट्रैफिक जाम की वजह से यह कदम उठाना पड़ा है.

9 साल बाद लेना पड़ा यह बड़ा फैसला

राजेश याबाजी ने अपनी पोस्ट में लिखा कि, "बेलंदूर पिछले 9 सालों से हमारा घर और ऑफिस रहा है, लेकिन अब यहां काम करना बहुत मुश्किल हो गया है." उन्होंने बताया कि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को एकतरफा ऑफिस आने में 1.5 घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है. इतना ही नहीं, यहां की सड़कें गड्ढों से भरी हुई हैं और जगह-जगह धूल उड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि इतने सालों में इन हालातों में कोई सुधार नहीं हुआ और अगले 5 सालों में भी बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है.

कंपनी को अब नए स्थान की तलाश

ब्लैकबक ने कहा है कि वे अब बेंगलुरु में ही किसी दूसरे स्थान पर ऑफिस शिफ्ट करने का विचार कर रहे हैं. कंपनी ने यह भी साफ किया कि वह शहर छोड़ नहीं रही, बल्कि बेहतर कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर वाले इलाके में जाने की तैयारी कर रही है. इसका कारण है कि मौजूदा हालात में कर्मचारियों के लिए बेलंदूर पहुंचना बेहद कठिन और थकाऊ हो गया है.

ये सिर्फ एक कंपनी की कहानी नहीं है

ब्लैकबक का यह फैसला कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी कई आईटी और टेक कंपनियां बेलंदूर और आउटर रिंग रोड (ORR) जैसे इलाकों की खराब हालत के चलते अपनी शाखाएं शिफ्ट कर चुकी हैं. इन इलाकों में रोजाना भारी ट्रैफिक रहता है, सड़कें बदहाल हैं और कहीं से भी मेट्रो या सार्वजनिक परिवहन की ठीक से सुविधा नहीं है.

इंडस्ट्री एसोसिएशन ने भी जताई नाराज़गी

इस मुद्दे पर ग्रेटर बेंगलुरु आईटी कंपनीज एंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव कृष्ण कुमार गौड़ा ने भी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि "ओआरआर में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है. लोग घंटों ट्रैफिक में फंसे रहते हैं, सड़कें टूटी हुई हैं और सफर करना बेहद मुश्किल हो गया है. सरकार को तुरंत इस पर ध्यान देना चाहिए."
उन्होंने सरकार से मांग की कि वो सड़कों की मरम्मत, मेट्रो कनेक्टिविटी और दूसरी सुविधाओं को लेकर एक साफ और पारदर्शी योजना बनाए. उनका कहना है कि अगर बेंगलुरु को दोबारा ‘भारत की टेक कैपिटल’ बनाना है, तो इन बुनियादी दिक्कतों को दूर करना जरूरी है.

एक वायरल वीडियो बना वजह!

ब्लैकबक के इस फैसले के कुछ ही दिन पहले बेंगलुरु में स्कूली बच्चों द्वारा एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो में बच्चे स्कूल बस में बैठकर उबड़-खाबड़ सड़कों पर हिचकोले खाते नजर आए. यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ और शहर की हालत को उजागर कर दिया. इसके बाद राज्य के डिप्टी सीएम और बेंगलुरु विकास मंत्री डी.के. शिवकुमार ने बयान दिया था कि सरकार जल्द ही सड़क विकास के लिए काम शुरू करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने इसके लिए 1,100 करोड़ रुपये का बजट भी तय कर दिया है और जल्द ही शहर में गड्ढा-मुक्त सड़कें बनाने का वादा किया.

ब्लैकबक क्या करता है?

ब्लैकबक एक डिजिटल ट्रकिंग और लॉजिस्टिक्स कंपनी है, जिसका हेडक्वार्टर बेंगलुरु में है। यह कंपनी ट्रक ड्राइवरों और सामान भेजने वाले लोगों (शिपर्स) को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए जोड़ती है. कंपनी ट्रक बुकिंग, लोडिंग, ट्रैकिंग और पेमेंट जैसी सुविधाएं देती है। ब्लैकबक के पास 2.5 लाख से ज्यादा ट्रकों का नेटवर्क है और यह भारत के 2,000 से अधिक लोकेशन्स को कवर करता है. यानी देशभर में इसकी बड़ी पहुंच है और यह लॉजिस्टिक्स के डिजिटल क्षेत्र में एक बड़ी कंपनी मानी जाती है.

बेंगलुरु को भारत का "आईटी हब" या "सिलिकॉन वैली" कहा जाता है, लेकिन अगर बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़कें, ट्रैफिक और कनेक्टिविटी ठीक नहीं होंगी, तो कंपनियों का यहां से जाना जारी रह सकता है. ब्लैकबक का ऑफिस शिफ्ट करना इसी बात का एक बड़ा संकेत है कि सिर्फ टेक टैलेंट या स्टार्टअप कल्चर से शहर नहीं चलता इंफ्रास्ट्रक्चर भी उतना ही ज़रूरी है.

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