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बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ में तेजी, सितंबर तिमाही में 11.3% की सालाना बढ़त दर्ज

भारतीय बैंकों का प्रदर्शन अभी स्थिर है. लोन की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर छोटे कारोबारों और रिटेल ग्राहकों में. हालांकि, ब्याज दरों में बदलाव और डिपॉजिट पर धीमी बढ़ोतरी से बैंकों के मुनाफे पर कुछ दबाव जरूर रहेगा.

29 Oct, 2025
( Updated: 29 Oct, 2025
10:16 PM )
बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ में तेजी, सितंबर तिमाही में 11.3% की सालाना बढ़त दर्ज
Image Source: Bank

वित्त वर्ष 2026 की सितंबर तिमाही में शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों (Scheduled Commercial Banks) के नेट एडवांसेज यानी लोन वितरण में 11.3% की सालाना बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसका मतलब है कि बैंकों ने पिछले साल की तुलना में इस बार ज़्यादा लोन दिए हैं. यह ग्रोथ खासतौर पर रिटेल (घर, कार, पर्सनल लोन) और एमएसएमई (छोटे और मझोले कारोबार) सेक्टर में लोन की बढ़ती मांग की वजह से हुई है.
यह जानकारी CARE Ratings की एक रिपोर्ट में दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, रिटेल और एमएसएमई सेगमेंट में क्रेडिट ग्रोथ यानी लोन लेने की मांग दोबारा तेज़ हो गई है. हालांकि, ब्याज दरों के तेजी से बदलने और डिपॉजिट पर धीमी ब्याज वृद्धि के कारण बैंकों के मुनाफे के मार्जिन (NIM) पर दबाव देखा गया है.

पब्लिक सेक्टर बैंक आगे, प्राइवेट बैंक पीछे

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी बैंकों (Public Sector Banks) ने इस तिमाही में 14.5% की मजबूत ग्रोथ दिखाई है. यानी सरकारी बैंकों ने लोन देने में निजी बैंकों से बेहतर प्रदर्शन किया है। दूसरी ओर, प्राइवेट सेक्टर बैंकों की ग्रोथ दर 9.4% रही.
डिपॉजिट यानी जनता से जमा किए गए पैसों में भी इजाफा देखा गया. पब्लिक सेक्टर बैंकों में 11% और प्राइवेट बैंकों में 10% की वृद्धि हुई। इनमें टर्म डिपॉजिट (FD जैसे जमा) में लगभग 12% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. वहीं, करंट और सेविंग अकाउंट (CASA) का अनुपात थोड़ा घटकर 37.4% रह गया, जो पिछले साल 38.5% था.

त्योहारों और जीएसटी राहत से बैंकों को मिला सहारा

रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में बैंकों का प्रदर्शन स्थिर लोन ग्रोथ के बावजूद अच्छा रहा. बैंकों को इसमें त्योहारों के मौसम में बढ़ती वाहन बिक्री, जीएसटी दरों में राहत, और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी जैसे कारकों का फायदा मिला.
CARE Ratings के मुताबिक, बैंकों का औसत लेंडिंग रेट यानी औसतन लोन देने की ब्याज दर 9.32% रही, जबकि औसत यील्ड यानी कमाई की दर 8.80% रही। इसका मतलब है कि बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती को जल्दी लागू किया, जिससे लोन सस्ते हुए और लोन रीप्राइसिंग तेज़ हुई.

तीसरी तिमाही में और बढ़ेगी लोन की मांग

CARE Ratings को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में यानी वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही में लोन की मांग और तेज़ होगी. इसके पीछे मुख्य कारण हैं, फेस्टिव सीजन का खर्च, जीएसटी से मिलने वाले फायदे, और क्रेडिट कार्ड व कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (जैसे टीवी, फ्रिज, मोबाइल आदि) के लिए बढ़ता लोन ट्रेंड.

बैंकों के मुनाफे पर थोड़ा असर

रिपोर्ट के मुताबिक, इस तिमाही में बैंकों का नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) यानी ब्याज से होने वाला असली मुनाफा 21 बेसिस पॉइंट घटकर 3.13% रह गया है. इसका कारण यह है कि बैंकों ने लोन पर ब्याज दरें जल्दी घटाईं, लेकिन डिपॉजिट पर ब्याज बढ़ाने में देर की. साथ ही, ज्यादा ब्याज वाले सेगमेंट्स (High-Yield Loans) में लोन ग्रोथ कम रही.

कुल मिलाकर, रिपोर्ट बताती है कि भारतीय बैंकों का प्रदर्शन अभी स्थिर है. लोन की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर छोटे कारोबारों और रिटेल ग्राहकों में. हालांकि, ब्याज दरों में बदलाव और डिपॉजिट पर धीमी बढ़ोतरी से बैंकों के मुनाफे पर कुछ दबाव जरूर रहेगा.

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