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12 ज्योतिर्लिंगों में से चार की जगह पर क्यों है विवाद? जानें क्या कहती हैं मान्यताएं

ये विवाद इस बात को दर्शाते हैं कि आध्यात्मिक आस्था का महत्व किसी भौगोलिक स्थान से कहीं अधिक होता है. भगवान शिव के ये रूप अलग-अलग स्थानों पर पूजे जाते हैं, और हर जगह भक्तों को वही शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है.

भारत आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं का देश है, जहाँ कण-कण में देवताओं का वास माना जाता है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है, जिन्हें स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है और इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन, इन 12 ज्योतिर्लिंगों में से कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी वास्तविक स्थिति को लेकर सदियों से वाद-विवाद चला आ रहा है. आइए, जानते हैं ऐसे ही चार प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के बारे में, जिनकी स्थिति पर अलग-अलग दावे किए जाते हैं, और इनके पीछे की मान्यताओं को समझने की कोशिश करते हैं.

कहाँ हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग?

आपको बता दें कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड), भीमाशंकर (महाराष्ट्र), विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश), त्रयम्बकेश्वर (महाराष्ट्र), वैद्यनाथ (झारखंड), नागेश्वर (गुजरात), रामेश्वर (तमिलनाडु) और घुश्मेश्वर, ‘घृष्णेश्वर’ और ‘घुसृणेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता में (महाराष्ट्र) स्थित हैं. शिव महा पुराण के कोटिरुद्र संहिता में भगवान शिव के इन द्वादश ज्योतिर्लिंग का विस्तृत वर्णन मिलता है. 

ऐसे में आपको बता दें कि चार ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं जिसका देश के अन्य स्थानों पर होने का दावा किया जाता रहा है. जो भीमाशंकर, वैद्यनाथ, घृष्णेश्वर और नागेश ज्योतिर्लिंग है. 

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: महाराष्ट्र या असम?

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थिति को लेकर दो स्थानों पर मुख्य रूप से दावे किए जाते हैं. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जिन्हें मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है, इसके बारे में वर्णित है कि यह महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमाशंकर नामक गांव में स्थित है. यह मंदिर पुणे से 110 किलोमीटर दूर एक पहाड़ पर स्थित है. यह मंदिर भीमाशंकर वन क्षेत्र में खेड़ तालुका में स्थित है जहाँ पास से ही भीमा नदी निकलती है. 

इसके साथ ही शिवपुराण की एक कथा के अनुसार भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग असम के कामरूप जिले में गुवाहाटी के पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर स्थित बताया जाता है. डाकिनी हिल्स जिसे असमिया में दैनी पहाड़ के नाम से भी जाना जाता है, गुवाहाटी के पामोही में है. यहाँ स्थित भीमाशंकर मंदिर भी स्वयं को ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रस्तुत करता है. स्थानीय मान्यताएं और पौराणिक कथाएं इस दावे का समर्थन करती हैं.

वहीं कुछ लोग कहते हैं कि नैनीताल जिले के उज्जनक नामक स्थान में एक विशाल शिव मन्दिर है, वहीं भीमाशंकर का स्थान है. 

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: झारखंड या महाराष्ट्र?

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी एक और प्रमुख ज्योतिर्लिंग है जिसकी स्थिति को लेकर दो मुख्य स्थानों पर दावे हैं. वैद्यनाथ धाम जो झारखंड के देवघर में स्थित है.  यहां महादेव और सती दोनों का स्थान है. ऐसे में इस ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है. इसके बारे में कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना रावण ने की थी. इसलिए इसे रावणेश्वर महादेव भी कहा जाता है. 

इसके साथ ही महाराष्ट्र के परली में भी वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के होने का दावा किया जाता है. महाराष्ट्र के बीड जिले में स्थित परली वैजनाथ को परली वैद्यनाथ के नाम से भी जाना जाता है. 

इसके साथ ही भारत के उत्तरी राज्य हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पास स्थित बैजनाथ को लेकर भी यही दावा किया जाता है. आमतौर पर इस स्थान को रावण की तपोस्थली कहा जाता है. यहां मान्यता है कि रावण ने इसी जगह पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. शिव जी के प्रसन्न न होने पर रावण ने एक-एक करके नौ शीश हवन कुंड में चढ़ा दिए थे. यहां स्थित लिंग को भी 'कामना लिंग' कहते हैं. 

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाराष्ट्र या राजस्थान?

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) के पास दौलताबाद से 11 किलोमीटर दूर एलोरा गुफाओं के पास वेरुल नामक गांव में स्थित है. 

वहीं घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के राजस्थान के शिवाड़ (सवाईमाधोपुर) स्थित शिवालय में स्थित होने का दावा किया जाता है और इसके द्वादश ज्योतिर्लिंग होने का दावा स्थानीय लोग करते हैं. राजस्थान के शिवाड़ में द्वादशवें ज्योतिर्लिंग का दावा करने वालों का कहना है प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग ‘श्री घुश्मेश्वर’ ईसरदा के पास शिवाड़ में है. उनका कहना है कि शिवाड़ प्राचीन काल में शिवालय नाम से जाना जाता था जिसका उल्लेख शिवपुराण में ईश्वरद्वार के नाम से है. 

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: गुजरात, महाराष्ट्र या उत्तराखंड?

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग शायद 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे ज़्यादा विवादित है, जिसकी स्थिति को लेकर तीन प्रमुख स्थानों पर दावे किए जाते हैं. गुजरात में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त स्थल है. भगवान शिव का यह दसवां ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है. इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है. 

लेकिन, अनेक लोग दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं. यहाँ भी प्राचीन कथाएं और धार्मिक मान्यताएं हैं जो इसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं. 

इसी प्रकार उत्तराखंड प्रदेश के अल्मोड़ा जनपद में एक ‘योगेश या ‘जागेश्वर शिवलिंग’ अवस्थित है, जिसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’ बताया जाता है.

इन दावों के बावजूद, भक्तों की आस्था और श्रद्धा अविचल रहती है. हर स्थान पर भक्त पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं, यह मानते हुए कि वे सही मायने में ज्योतिर्लिंग के ही दर्शन कर रहे हैं.

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