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फ्री का खाना परोसती है यह ट्रेन! 30 सालों से जारी है अनोखी सेवा, जानें कैसे

जिस ट्रेन की बात हो रही है, उसका नाम है सचखंड एक्सप्रेस (Sachkhand Express). यह ट्रेन नांदेड़ स्थित श्री हुजूर साहिब गुरुद्वारे से अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे के बीच चलती है. यह लगभग 2,000 किलोमीटर का सफर तय करती है और अपनी इस लंबी यात्रा के दौरान 39 स्टेशनों पर रुकती है. इनमें से 6 स्टेशनों पर यात्रियों को मुफ्त खाना दिया जाता है.

भारतीय रेलवे का विशाल नेटवर्क हर दिन करोड़ों यात्रियों को उनकी मंज़िल तक पहुंचाता है. वंदे भारत और शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों में जहां यात्रियों को शानदार सुविधाएं और ऑन-बोर्ड खाना शुल्क लेकर दिया जाता है, वहीं भारतीय रेल के पास एक ऐसी अनोखी ट्रेन भी है जो पिछले करीब 30 सालों से अपने यात्रियों को चलते सफर में मुफ्त में भोजन करा रही है. यह किसी सरकारी योजना का हिस्सा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सामाजिक सेवा का अद्भुत उदाहरण है.

यह कौन सी ट्रेन है और कहाँ चलती है?

जिस ट्रेन की बात हो रही है, उसका नाम है सचखंड एक्सप्रेस (Sachkhand Express). यह ट्रेन नांदेड़ स्थित श्री हुजूर साहिब गुरुद्वारे से अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे के बीच चलती है. यह लगभग 2,000 किलोमीटर का सफर तय करती है और अपनी इस लंबी यात्रा के दौरान 39 स्टेशनों पर रुकती है. इनमें से 6 स्टेशनों पर यात्रियों को मुफ्त खाना दिया जाता है. 

कैसे मिलता है इस ट्रेन में मुफ्त खाना?

यह मुफ्त भोजन सेवा किसी रेलवे कैटरिंग द्वारा नहीं, बल्कि गुरुद्वारों द्वारा संचालित 'लंगर' की परंपरा का हिस्सा है. इस ट्रेन के मार्ग पर पड़ने वाले प्रमुख स्टेशनों पर स्वयंसेवक ताज़ा भोजन लेकर आते हैं और यात्रियों को वितरित करते हैं. यह सेवा पूरी तरह से स्वैच्छिक और दान पर आधारित है. गुरुद्वारों को मिलने वाले दान (भोजन और धन दोनों के रूप में) से इस लंगर सेवा का खर्च वहन किया जाता है. 

लंगर के मेनू में आमतौर पर कढ़ी-चावल, दाल, खिचड़ी और सब्ज़ियाँ शामिल होती हैं. यह घर के खाने जैसा पौष्टिक और सादा भोजन होता है. यात्रियों को अक्सर सलाह दी जाती है कि वे स्वच्छता बनाए रखें और उनसे अनुरोध किया जाता है की अपने बर्तन साथ लेकर आएं. 

30 सालों से चली आ रही यह अनूठी परंपरा

सचखंड एक्सप्रेस में यह मुफ्त भोजन सेवा पिछले लगभग तीन दशकों से निरंतर जारी है. यह भारतीय रेलवे के इतिहास में एक अनूठा अध्याय है, जहां धर्म, सेवा और मानवीयता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. यह दर्शाता है कि कैसे समाज के विभिन्न वर्ग बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के भी ज़रूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ सकते हैं. 1995 में शुरू हुआ यह लंगर हर दिन लगभग 2,000 लोगों को मुफ्त में खाना खिलता है और इस सेवा के माध्यम से अब तक लाखों यात्रियों को भोजन परोसा जा चुका है. 

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