Electric या Hybrid: कौन-सी कार आपको बेहतर माइलेज और आराम देगी?
अगर आप पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और ज्यादातर शहर में छोटी-छोटी दूरी की ड्राइविंग करते हैं तो इलेक्ट्रिक कार आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है. लेकिन अगर लंबी यात्रा करनी है, फ्यूलिंग में सुविधा चाहिए और बजट थोड़ा ज्यादा है, तो हाइब्रिड कार ज्यादा उपयुक्त साबित हो सकती है. दोनों टेक्नोलॉजी के फायदे और सीमाएं समझकर ही सही फैसला लें, ताकि आपकी निवेश राशि व मेहनत दोनों का पूरा लाभ मिल सके.
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Electric or Hybrid Cars: आज के समय में जब पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और प्रदूषण नियंत्रण के नियम भी कड़े होते जा रहे हैं, तब नई कार खरीदते समय हर किसी के मन में एक बड़ा सवाल आता है, इलेक्ट्रिक कार खरीदें या हाइब्रिड कार? दोनों ही टेक्नोलॉजी के अपने फायदे और सीमाएं हैं. सही फैसला लेने के लिए जरूरी है कि आप इनके बीच के मूलभूत अंतर, माइलेज, रखरखाव और उपयोगिता को समझें.
पावरट्रेन और टेक्नोलॉजी में फर्क
इलेक्ट्रिक कारें (Electric Vehicles - EV) पूरी तरह बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर से चलती हैं. इनमें पेट्रोल या डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन की जरूरत ही नहीं पड़ती.इस वजह से ये कारें चलने के दौरान बिल्कुल भी धुआं या प्रदूषण नहीं फैलातीं. इसलिए पर्यावरण के लिहाज से ये अधिक साफ और सुरक्षित मानी जाती हैं.
इसके विपरीत, हाइब्रिड कारों में दो प्रणालियां होती हैं, एक पारंपरिक इंजन (पेट्रोल या डीजल) और दूसरा इलेक्ट्रिक मोटर. हाइब्रिड कार के भी तीन प्रमुख प्रकार हैं. पहला माइल्ड हाइब्रिड, जिसमें इलेक्ट्रिक मोटर केवल इंजन की सहायता करता है. दूसरा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड, जो कुछ दूरी तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक मोड में चल सकती है. तीसरा प्लग-इन हाइब्रिड (PHEV), जिसे आप बाहरी चार्जर से भी चार्ज कर सकते हैं. इसलिए, जहां इलेक्ट्रिक कारें पूरी तरह पेट्रोल-डीजल से मुक्त होती हैं, वहीं हाइब्रिड कारें ईंधन की बचत जरूर करती हैं, पर पूरी तरह उससे मुक्त नहीं होतीं.
माइलेज और चलाने की लागत में कौन है बेहतर?
माइलेज के मामले में हाइब्रिड कारें इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर के संयोजन से बेहतर किफायती साबित होती हैं. उदाहरण के लिए, टोयोटा इनोवा हाइक्लॉस और मारुति ग्रैंड विटारा हाइब्रिड लगभग 28 किलोमीटर प्रति लीटर तक का माइलेज देती हैं. वहीं इलेक्ट्रिक कारें बिजली से चलती हैं, जिसकी कीमत प्रति यूनिट 6 से 8 रुपये तक होती है. इससे इलेक्ट्रिक कार की प्रति किलोमीटर रनिंग कॉस्ट बहुत कम होती है, कभी-कभी 1 रुपये से भी कम.
हालांकि, इलेक्ट्रिक कारों की सबसे बड़ी चुनौती उनकी रेंज (एक बार चार्ज करने पर कितनी दूर चल सकती हैं) होती है. लंबी यात्रा के दौरान बार-बार चार्जिंग की चिंता बनी रहती है, जबकि हाइब्रिड कारें पेट्रोल पंप पर रिफ्यूल करके कहीं भी तुरंत चल सकती हैं. पर्यावरण की दृष्टि से देखें तो इलेक्ट्रिक कारें पूरी तरह “जीरो टेलपाइप एमिशन” देती हैं, यानी इनके चलने पर कोई धुआं या गैस बाहर नहीं निकलती.
चार्जिंग और फ्यूलिंग की सुविधा
इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने के लिए घर पर चार्जर या सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की जरूरत होती है. बड़े शहरों में यह सुविधा धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन छोटे शहरों और कस्बों में अभी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित है. इसके विपरीत, हाइब्रिड कारों को चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि वे पेट्रोल या डीजल से चल सकती हैं. प्लग-इन हाइब्रिड कारें बैटरी से चलने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर पेट्रोल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिससे ये ज्यादा लचीली साबित होती हैं.
कीमत और मेंटेनेंस के मामले
कीमत के लिहाज से इलेक्ट्रिक कारों की शुरुआती कीमत लगभग 9 लाख रुपये से शुरू होकर 20 लाख रुपये तक जाती है. वहीं हाइब्रिड कारें 15 लाख से 22 लाख रुपये तक की रेंज में उपलब्ध हैं.इलेक्ट्रिक कारों में पारंपरिक इंजन और गियरबॉक्स नहीं होता, इसलिए इनके रखरखाव की लागत कम होती है.लेकिन यदि बैटरी खराब हो जाए तो उसकी रिप्लेसमेंट काफी महंगी होती है।हाइब्रिड कारों में इंजन और मोटर दोनों होते हैं, इसलिए इनका मेंटेनेंस थोड़ा ज्यादा होता है. इन्हें नियमित सर्विसिंग की जरूरत पड़ती है, जिससे समय-समय पर खर्च भी बढ़ सकता है.
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अगर आप पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और ज्यादातर शहर में छोटी-छोटी दूरी की ड्राइविंग करते हैं तो इलेक्ट्रिक कार आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है. लेकिन अगर लंबी यात्रा करनी है, फ्यूलिंग में सुविधा चाहिए और बजट थोड़ा ज्यादा है, तो हाइब्रिड कार ज्यादा उपयुक्त साबित हो सकती है. दोनों टेक्नोलॉजी के फायदे और सीमाएं समझकर ही सही फैसला लें, ताकि आपकी निवेश राशि व मेहनत दोनों का पूरा लाभ मिल सके.
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