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286 दिनों बाद धरती पर लौटीं सुनीता विलियम्स को अचानक क्यों पड़ी स्ट्रेचर की जरूरत ?

स्पेसएक्स के अंतरिक्ष यान ड्रैगन से उनकी पृथ्वी पर वापसी तो हो गई लेकिन जब ये दोनों अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर कैप्सूल से बाहर निकले तो उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाया गया। अब लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सुनीता विलियम्स को क्या हो गया..इसका जवाब वीडियो में है

21 Mar, 2025
( Updated: 21 Mar, 2025
11:36 AM )
286 दिनों बाद धरती पर लौटीं सुनीता विलियम्स को अचानक क्यों पड़ी स्ट्रेचर की जरूरत ?

19 मार्च का वो दिन जब भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स वापस भारत लौंट आईं। सिर्फ़ 8 दिनों के मिशन पर अंतरिक्ष में गईं सुनीता को वहां तकनीकी ख़राबी की वजह से 286 दिन अंतरिक्ष में बिताने पड़े। इस दौरान सुनीता विलियम्स ने 62 घंटे तक स्पेस वॉक का भी रिकॉर्ड बनाया। इस दौरान उनके साथ बुच विलमोर भी रहे। लेकिन इन दोनों ने ही इस लंबे वक़्त तक अपने धैर्य को नहीं खोया और आख़िरकार स्पेसएक्स के अंतरिक्ष यान ड्रैगन से उन्हें वापस धरती पर लाया गया। सबसे मज़बूत और सुखद तस्वीर तब रही जब सुनिता और उनके साथियों को कैप्सूल से बाहर निकाला गया। उस तस्वीर को देखकर असल में दृढ़ संकल्प की ताक़त का पता चला। लेकिन इस बीच जब कैप्सूल से सुनीता को बाहर निकाला गया तो एक सवाल लोगों के मन में ये उठ रहा है कि उन्हें स्ट्रेचर पर क्यों ले जाया गया।

तो बता दें कि उन्हें कैप्सूल से बाहर आने पर स्ट्रेचर पर ले जाने का कारण एक प्रोटोकॉल है। लाइव साइंस के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रियों के धरती पर लौटने के बाद स्ट्रेचर पर ले जाने की प्रक्रिया ISS (अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन) मिशन से जुड़ी नहीं है। ये एक प्रोटोकॉल है, जिसका सभी अंतरिक्ष यात्रियों को पालन करना होता है। इसकी वजह ये है कि अंतरिक्ष से लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्री तुरंत चल नहीं पाते हैं क्योंकि धरती से अलग अंतरिक्ष में अलग बदलाव इनके शरीर में होते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स इनकी सेहत को लेकर लगातार सजग बने रहते हैं। ऐतिहातन ये प्रक्रिया अपनाई जाती है। टेक्सास में राइस यूनिवर्सिटी के एप्लाइड स्पोर्ट्स साइंस के डायरेक्टर जॉन डेविट ने बताया कि

"कई अंतरिक्ष यात्री स्ट्रेचर पर बाहर नहीं आना चाहते लेकिन उन्हें बताया जाता है कि यह जरूरी है। अंतरिक्ष में रहने के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस मोशन सिकनेस हो सकती है। जिस तरह रोलर कोस्टर या लहरों में नाव की सवारी करते समय मोशन सिकनेस होती है, उसी तरह अंतरिक्ष यात्रियों को भी धरती पर लौटने पर चक्कर और उल्टी जैसा महसूस हो सकता है। इसी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को लैंडिंग के बाद स्ट्रेचर पर ले जाया जाता है, यह एक सावधानी है।"

वैसे सुनीता विलियम्स की सेहत की चिंता की कोई बात नहीं है, वो पूरी तरह स्वस्थ हैं। वो ना ही बीमार हैं और ना ही घायल। अब सुनीता जैसे ही धरती पर वापस आईं, भारत में भी ख़ुशी की लहर थी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनीता और बुच विल्मोर को बधाई देते हुए X पर लिखा है - "आपका स्वागत है, #Crew9! धरती ने आपको याद किया। स्पेस रिसर्च का मतलब है मानवीय क्षमता की सीमाओं को आगे बढ़ाना, सपने देखने का साहस करना और उन सपनों को हकीकत में बदलने का साहस रखना। सुनीता विलियम्स एक पथप्रदर्शक और एक आइकन हैं जिन्होंने अपने पूरे करियर में इस भावना का उदाहरण दिया है। हमें उन सभी पर बहुत गर्व है जिन्होंने उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अथक परिश्रम किया…उन्होंने दिखाया है कि जब सटीकता जुनून से मिलती है और तकनीक दृढ़ता से मिलती है तो क्या होता है।"

साथ ही पीएम ने सुनीता विलियम्स के साथ मुलाक़ात की तस्वीर भी शेयर की। अब 286 दिन अंतरिक्ष में रहने के बाद सुनीता और उनके साथी का धैर्य कई लोगों के लिए मिसाल बना है कि कैसे थोड़ी सी मुश्किल में भी परेशान हो जाने वालों को धैर्य रखना कितना ज़रूरी है और उन्हें वो कितना मज़बूत बनाता है।

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