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भारतीय हुनर पर अमेरिकी सांसदों का भरोसा... ट्रंप से की H-1B वीजा प्रतिबंध हटाने की मांग, कहा- AI के लिए चाहिए हिंदुस्तानी दिमाग

अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हाल ही में जारी किए गए H-1B वीज़ा आदेश को वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि नए 1 लाख डॉलर शुल्क और सख्त शर्तें अमेरिका की तकनीकी बढ़त और भारत के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती हैं. सांसदों ने चेताया कि इस कदम से AI और STEM क्षेत्रों में अमेरिका की प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी और विदेशी प्रतिभा का प्रवाह रुक सकता है.

01 Nov, 2025
( Updated: 04 Dec, 2025
12:04 PM )
भारतीय हुनर पर अमेरिकी सांसदों का भरोसा... ट्रंप से की H-1B वीजा प्रतिबंध हटाने की मांग, कहा- AI के लिए चाहिए हिंदुस्तानी दिमाग
Donald Trump (File Photo)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश की सुरक्षा और युवाओं के भविष्य का हवाला देते हुए दुनियाभर के कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने और वीज़ा नीति सख्त करने के फैसले लिए हैं. हालांकि, अब इन फ़ैसलों पर उनके ही देश के सांसद सवाल उठा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति ट्रंप से हाल ही में जारी किए गए H-1B वीज़ा आदेश को वापस लेने की अपील की है. सांसदों का कहना है कि वीज़ा आवेदन पर लगाई गई नई 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) की फीस और अन्य प्रतिबंध भविष्य में अमेरिका की तकनीकी नेतृत्व क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं.

सांसदों ने राष्ट्रपति के आदेश पर क्यों जताई आपत्ति?

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य जिमी पनेटा के साथ कांग्रेस सांसद अमी बेरा, सालुद कार्बाजल और जूली जॉनसन ने गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक पत्र भेजकर 19 सितंबर को जारी आदेश पर आपत्ति जताई है. सांसदों ने H-1B वीज़ा कार्यक्रम से जुड़ी उस घोषणा पर चिंता व्यक्त की है, जिसमें 'कुछ गैर-प्रवासी कामगारों के प्रवेश पर प्रतिबंध' लगाया गया है. सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा कि यह कदम न केवल अमेरिका-भारत संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि दोनों देशों के बीच की रणनीतिक साझेदारी को भी कमजोर करेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि इस नीति का सबसे गंभीर असर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे उभरते क्षेत्रों में अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त पर पड़ सकता है. यह अपील ऐसे समय में आई है जब अमेरिका में टेक सेक्टर पहले से ही प्रतिभा की कमी का सामना कर रहा है, और सख्त वीजा नीतियों से विदेशी कुशल पेशेवरों के लिए अवसर और भी सीमित हो सकते हैं.

हम समझते हैं H-1B वीजा का महत्व

सांसदों ने अपने पत्र में कहा कि हाल ही में भारत का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्य होने के नाते वे अच्छी तरह समझते हैं कि H-1B वीज़ा कार्यक्रम न सिर्फ अमेरिकी अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए अहम है, बल्कि यह भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह कार्यक्रम उन भारतीय-अमेरिकी समुदायों के लिए बेहद मायने रखता है, जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं.

तत्काल स्थगित करें आदेश

सांसदों ने अपने पत्र में आग्रह किया कि राष्ट्रपति ट्रंप 19 सितंबर की घोषणा को तत्काल स्थगित करें और उन नीतियों पर पुनर्विचार करें जो H-1B वीज़ा कार्यक्रम की सुगम पहुंच को सीमित करती हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कार्यक्रम अमेरिका की विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त की रीढ़ है. सांसदों के अनुसार, H-1B वीज़ा धारक अमेरिकी नागरिकों के रोजगार छीनते नहीं हैं, बल्कि वे नवाचार, पेटेंट सृजन और व्यावसायिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.

सांसदों ने ट्रंप को चेताया

सांसदों ने चेताया कि जब चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत तकनीकों में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है, ऐसे में अमेरिका को अपने नवाचार तंत्र को सशक्त बनाए रखने, रक्षा उद्योग को मजबूत करने और दीर्घकालिक वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त बनाए रखने के लिए विश्वभर की श्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से भारत, जो पिछले वर्ष 71% H-1B वीज़ा धारकों का मूल देश था, से प्रतिभा को अवसर देना न केवल तकनीकी क्षेत्र के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को भी और अधिक मजबूत बनाता है.

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बताते चलें कि इस पत्र को लेकर कुल मिलाकर यह कह सकते है कि अमेरिकी सांसदों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की नई वीज़ा नीति अमेरिका के तकनीकी भविष्य और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों, खासकर भारत के साथ संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकती है. उनका कहना है कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस दौर में, अमेरिका को बंद नहीं बल्कि खुला रहना चाहिए. ताकि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं उसकी प्रगति में योगदान देती रहें.

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