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'माफी का सवाल ही नहीं....', कतर में इजरायल की कार्रवाई पर नेतन्याहू की दो टूक, कहा- या तो तुम मारो या फिर हम न्याय करेंगे

इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कतर पर आरोप लगाया है कि कतर हमास आतंकियों को न सिर्फ सुरक्षित ठिकाना देता है, बल्कि उन्हें बंगले और पैसे भी उपलब्ध कराता है. इसी फंडिंग से इजरायल के खिलाफ आतंक फैलाया जा रहा है. उन्होंने दोहराया कि इजरायल की नीति साफ है, आतंकी जहां भी मिलेंगे, उन्हें वहीं मारा जाएगा. नेतन्याहू ने इसके साथ ही साफ कर दिया कि बीते दिनों दोहा में हुई इजरायली कार्रवाई के लिए उनका देश कतई माफी नहीं मांगेगा.

Created By: केशव झा
11 Sep, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
08:10 PM )
'माफी का सवाल ही नहीं....', कतर में इजरायल की कार्रवाई पर नेतन्याहू की दो टूक, कहा- या तो तुम मारो या फिर हम न्याय करेंगे

कतर की राजधानी दोहा पर हमले के बाद इजरायल और अरब देशों के बीच तनाव लगातार गहराता जा रहा है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू साफ कर चुके हैं कि वे किसी भी तरह से खेद जताने के मूड में नहीं हैं. उल्टा उन्होंने कतर को सख्त चेतावनी दी है कि वह हमास के नेताओं को या तो निकाल बाहर करे, या फिर इजरायल उन्हें वहीं ढेर करेगा. नेतन्याहू ने यहां तक कह दिया कि अगर कतर ऐसा करने में विफल रहता है तो इजरायल खुद न्याय करेगा.

इजरायल का कतर पर बड़ा आरोप

दरअसल, 2012 से ही कतर में हमास ने अपने राजनीतिक विंग का दफ्तर खोल रखा है और तब से गाजा की ज्यादातर गतिविधियां वहीं से संचालित होती रही हैं. इजरायल का आरोप है कि दोहा ही हमास का असली हेडक्वार्टर बन चुका है. इसी को लेकर नेतन्याहू ने अब कड़े शब्दों में कतर को चेताया है.

दोहा में कार्रवाई की इजरायल ने की एबोटाबाद ऑपरेशन से तुलना

नेतन्याहू ने दोहा में हुई कार्रवाई की तुलना सीधे अमेरिका के 9/11 हमले के बाद की प्रतिक्रिया से की. उन्होंने कहा कि जैसे अमेरिका ने अफगानिस्तान जाकर अलकायदा और उसे शरण देने वालों को खत्म किया था, वैसे ही इजरायल भी हमास के खिलाफ वैसा ही करेगा. “7 अक्तूबर 2023 का हमला यहूदियों पर होलोकॉस्ट के बाद सबसे बड़ा वार था. हम इसे भूलने वाले नहीं हैं. आखिर अमेरिका ने 11 सितंबर के हमले का क्या जवाब दिया था? हम भी वही कर रहे हैं,” नेतन्याहू ने कहा.

कतर बना हमास का सेफहाउस!

इजरायली प्रधानमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कतर लगातार हमास आतंकियों को पनाह दे रहा है. उन्होंने कहा कि दोहा में हमास नेताओं को आलीशान बंगले दिए गए हैं, मोटी रकम दी जा रही है और इन्हीं पैसों से इजरायल के खिलाफ आतंक की साजिश रची जा रही है. नेतन्याहू ने साफ कहा कि हमारी नीति बिल्कुल स्पष्ट है—हमास के आतंकी दुनिया के किसी भी कोने में छिपे हों, उन्हें हम वहीं जाकर मार गिराएंगे.

नेतन्याहू ने उन देशों पर भी निशाना साधा जिन्होंने इजरायल की इस कार्रवाई की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि यह बेहद दुखद है कि जब अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मारा था तब पूरी दुनिया ने उसकी तारीफ की थी, लेकिन जब इजरायल हमास के आतंकियों को खत्म करता है तो वही दुनिया नाराजगी जताती है.

दोहा पर इजरायली हमले के बाद कतर समेत कई मुस्लिम देश आगबबूला हैं. कतर सरकार ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला बताते हुए कहा है कि इजरायल ने मिडल ईस्ट को युद्ध की आग में झोंकने की कोशिश की है. मुस्लिम देशों का आरोप है कि इजरायल ने क्षेत्र की शांति को न सिर्फ चोट पहुंचाई है बल्कि इससे पूरे मध्य पूर्व में जंग छिड़ने का खतरा और बढ़ गया है. 

इजरायल ने कतर को क्यों बनाया निशाना?

पिछले 13 वर्षों से दोहा हमास का ग्लोबल हेडक्वार्टर माना जाता रहा है. 2012 में ओबामा प्रशासन की मंज़ूरी के बाद यह व्यवस्था हुई थी ताकि बातचीत का चैनल खुला रहे, लेकिन धीरे-धीरे यही हमास के लिए सबसे बड़ा सहारा बन गया. क़तर ने वित्तीय, कूटनीतिक और ऑपरेशनल लेवल पर हमास को पनाह दी. आंकड़ों के अनुसार, क़तर ने गाजा में हमास को 1.8 अरब डॉलर से अधिक की सीधी मदद दी. हालांकि उस इस फंडंगि को मानवीय सहायता बताया, लेकिन इज़रायली खुफिया एजेंसियों का कहना था कि इस राशि का बड़ा हिस्सा हमास के सैन्य ढांचे को मज़बूत करने में लगाया गया.

दोहा में बैठकर होता था गाजा में हमास के ऑपरेश का संचालन?

मिडिल इस्ट फोरम के अनुसार कूटनीतिक लेवल पर भी क़तर ने हमास को मंच दिया. दोहा से ही हमास नेता विदेशी प्रतिनिधियों से मिलते रहे और अल जज़ीरा चैनल के ज़रिये अपना प्रचार करते रहे. 7 अक्तूबर की घटनाओं के बाद भी हमास के नेता दोहा से खुलेआम बयान देते रहे कि वे ऐसे हमले बार-बार दोहराएंगे. क़तर ने उन्हें सुरक्षा दी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इज़रायल की निंदा करने के लिए इस्तेमाल किया.

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संचालन की दृष्टि से भी दोहा हमास का हेडक्वार्टर रहा. यहीं से गाजा की सुरंगों में बैठे कमांडरों और तेहरान में बैठे उनके समर्थकों से तालमेल किया जाता था. यह स्थिति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1373 का उल्लंघन थी, जिसमें साफ़ कहा गया है कि कोई भी देश आतंकियों को सुरक्षित पनाह नहीं देगा. इसके बावजूद, क़तर सालों तक इस भूमिका में रहा जबकि वहीं अमेरिका का सबसे बड़ा क्षेत्रीय सैन्य ठिकाना भी मौजूद है.

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