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पाकिस्तान में भीषण हिंसा और अराजकता के संकेत, कट्टरपंथी TLP के चीफ मौलाना साद रिजवी को लगी गोली, मचा भारी बवाल

पाकिस्तान अराजकता और भीषण हिंसा की चपेट में जाता दिख रहा है. यहां सेना के पिट्‌ठू तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के चीफ साद रिजवी को पंजाब में गोली लग गई है. इसके बाद मौलाना साद के समर्थक हिंसा और आगजनी पर उतर आए हैं.

Created By: केशव झा
13 Oct, 2025
( Updated: 13 Oct, 2025
11:46 PM )
पाकिस्तान में भीषण हिंसा और अराजकता के संकेत, कट्टरपंथी TLP के चीफ मौलाना साद रिजवी को लगी गोली, मचा भारी बवाल
Maulana Saad Rizvi Shot in Pakistan

पाकिस्तान में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. गाजा मार्च के तहत इस्लामाबाद की ओर कूच कर रहे कट्टरपंथियों ने सरेआम आगजनी और हिंसा शुरू कर दी है. इसी बीच खबर आ रही है कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के चीफ साद रिजवी को गोली लगी है. इसके बाद टीएलपी सपोर्टर्स आगबबूला हो गए हैं. उन्होंने सड़कों पर हंगामा शुरू कर दिया है. अंदेशा जताया जा रहा है कि पहले से ही सरकार और सुरक्षाबलों के कंट्रोल से बाहर यह संगठन भीषण गृह युद्ध और अराजकता की ओर पाकिस्तान को धकेल सकता है. 

आपको बता दें कि TLP का मौजूदा चीफ इस कट्टरपंथी जमात के संस्थापक प्रमुख मौलाना खादिम हुसैन साद रिजवी का बेटा है, जिसे गाहे-बगाहे सेना का पिट्ठू भी कहा जाता है. TLP के ही आधिकारिक बयान को मानें तो इसका मुख्य मकसद "निज़ाम-ए-मुस्तफा" (इस्लामी शासन) लागू करना है.

जानकारी मिल रही है कि साद रिजवी को PAK रेंजर्स ने गोली मारी है. ये बदनाम-ए-जमाना फोर्स अपनी गैर-कानूनी और कोवर्ट ऑपरेशन को लेकर मशहूर रही है. इसका इस्तेमाल पाक आर्मी और ISI अपनी खुफिया गतिविधियों, मसलन कब्जा, किडनैपिंग, किलिंग और दिखावे के लिए आंतरिक सुरक्षा की रक्षा के काम में करती है. पाक रेंजर्स ही अटारी-बाघा बॉर्डर पर बीटिंग रीट्रीटका नेतृत्व करती है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक साद रिजवी को गोली लगने के बाद संगठन में भारी बेचानी पाई जा रही है. वो आपे से बाहर हो सकते हैं. फिलहाल साद की सर्जरी (मेडिकल) की जा रही है. आपको बता दें कि बीते कई दिनों से TLP के कब्जे में मौजूद शहर मुरीदके और फैसलाबाद को मुक्त और जाम से मुक्ति दिलाने के लिए पाकिस्तान की सरकार और सुरक्षा एजेंसियां कड़ी कार्रवाई और सीरियस ऑपरेशन पर मजबूर हो गई है.

पाकिस्तानी अंग्रेजी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने पाकिस्तान रेंजर्स, पांच जिलों की पुलिस की बड़ी-बड़ी टुकड़ियों सहित अन्य एजेंसियों को रविवार तड़के मुरीदके में ऑपरेशन के लिए भेजा. कहा जा रहा है कि इन एजेंसियों ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के कैंप को घेर लिया है. खबर की मानें तो सरकार को पूरे देश से बैकलैस आ रहा है, पूरे देश में भीषण हिंसा की चेतावनी और इनपुट मिल रहे हैं, ऐसे में सरकार को एक्शन के लिए मजबूर होकर सेना का मुंह ताकना पड़ा.

सेना का पिट्ठू है ये कट्टरपंथी संगठन!

TLP को पाक सेना का एसेट या संपत्ति कहा जाता है. ये उन्हीं के इशारे पर मजहबी नारे, अभियान चलाते रहे हैं. जब नवाज शरीफ की सरकार थी तो खतमे नबुव्वत का नारा दिया गया और सरकार को फ्रांस के साथ कूटनीतिक संबंध खत्म करने के लिए मजबूर किया गया. बाद में जब इमरान खान का सेना से फड्डा पड़ा तो ये लोग उसके भी खिलाफ हो गए. अब फिर से शहबाज सरकार है, लेकिन ऐसा लगता है धीरे-धीरे ये सेना के भी हाथ से बाहर जा रहे हैं. 

जानकारी के मुताबिक पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने TLP के सदस्यों को शहर की ओर बढ़ने की कोशिशों को भी फेल कर दिया है. अधिकारियों ने TLP मार्च के इस्लामाबाद की ओर कूच करने से रोकने के लिए मार्ग में गड्ढे खोद डाले और कंटेनर-कंक्रीट से रास्ते सील कर दिए थे. डॉन की मानें तो पाकिस्तान सरकार टीएलपी के खिलाफ बड़े ऑपरेशन की तैयारी कर रही है.

आपको मालूम हो कि मुरीदके वही शहर या इलाका है जैश का मुख्यालय है और यहीं पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने भीषण कार्रवाई की थी.

दूसरी तरफ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने रविवार को देश की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक की. लाहौर से शहर के 85 पुलिस थानों में से प्रत्येक के 10 अधिकारियों को अपने-अपने एसएचओ के नेतृत्व में मुरीदके जाने का निर्देश दिया गया है.

लाहौर के डीआईजी ऑपरेशन फैसल कामरान और कई एसपी भी पुलिस बल की निगरानी के लिए इलाके में पहुंच गए हैं. शेखपुरा, गुजरांवाला, सियालकोट और गुजरात पुलिस ने भी इसी तरह के कदम उठाए. लाहौर पुलिस के अतिरिक्त जवान रविवार को मुरीदके पहुंच गए हैं.

पुलिस की गोली में मारे गए 11 प्रदर्शनकारी!

आपको बता दें कि लाहौर के बाहरी इलाके शाहदरा में बीते दिनों झड़पें हुईं, जहां हिंसक टीएलपी समर्थकों ने पुलिस पर हमला किया, जिससे लगभग 50 पुलिस अधिकारी घायल हुए, जिनमें कई गंभीर रूप से घायल हैं. दूसरी ओर, संगठन ने दावा किया है कि पुलिस की गोलीबारी में उसके 11 समर्थक मारे गए और 50 से अधिक घायल हुए हैं.

सूत्रों के अनुसार, घंटों चली झड़पें तब शुरू हुईं जब पुलिस ने शाहदरा में कुछ पुलिसकर्मियों के कथित अपहरण और उनके साथ मारपीट की खबरों के बाद कार्रवाई की. इसके बाद दोनों ओर से तनाव बढ़ गया. पुलिस की कार्रवाई के बाद, ट्रॉलियों और ट्रकों पर लदे डंडों व टूटी ईंटों से लैस प्रदर्शनकारियों ने दंगा-रोधी बलों पर जोरदार हमला किया.

कब शुरू हुआ गाजा मार्च?

इस दौरान टीएलपी समर्थकों ने जमकर बवाल काटा, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और सड़कों व स्थानीय बाजारों में खड़े वाहनों को तोड़फोड़ कर दिया. टीएलपी का 'गाजा मार्च' लाहौर में मुल्तान रोड स्थित पार्टी मुख्यालय से जुमे की नमाज के बाद शुरू हुआ. साद रिजवी के नेतृत्व में इस जुलूस में हजारों समर्थक शामिल हुए, जो धार्मिक नारे लगा रहे थे.

मेट्रो ट्रैक पर प्रदर्शनकारियों ने किया था कब्जा

इतना ही नहीं, कुछ टीएलपी समर्थकों ने ऑरेंज लाइन मेट्रो ट्रैक पर भी कब्जा जमा लिया था. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने सुरक्षा बलों पर पथराव किया. पुलिस ने मेट्रो स्टेशनों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए भारी मात्रा में आंसू गैस के गोले दागे. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शनकारी आसपास की गलियों में बिखर गए और घरों, दुकानों व चौकों की छतों से पुलिस पर हमला किया, जिससे कई अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए.

पुलिस के मुताबिक, टीएलपी कार्यकर्ता पूरी तैयारी के साथ आए थे और संगठित रूप से हमला कर रहे थे. उनके पास ईंटों और धारदार हथियारों से भरे बैग थे, जिनका इस्तेमाल पुलिसकर्मियों को घायल करने के लिए किया गया. इसी बीच, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा दागे गए आंसू गैस के गोले वापस फेंक दिए और सुरक्षाबलों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. 

क्या है तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान? 

पाकिस्तान में भड़की हिंसा का आरोप TLP यानी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के ऊपर लगा है. बताया जा रहा है कि यह एक कट्टर इस्लामी राजनीतिक दल है. जिसकी स्थापना साल 2015 में बरेली मौलाना खादिम हुसैन रिजवी ने की थी. खबरों के मुताबिक, यह पार्टी पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून में किसी बदलाव के खिलाफ बार-बार सड़कों पर उतरती रही है. साल 2020 में खादिम रिजवी की मृत्यु के बाद इस संगठन की जिम्मेदारी उनके बेटे साद रिजवी ने संभाली. 

कौन है मौलाना साद रिजवी?

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TLP संगठन की कमान मौलाना साद रिजवी के हाथों में है. उसने यह जिम्मेदारी अपने पिता खादिम हुसैन रिजवी की मौत के बाद संभाली. वर्तमान में वह संगठन का लीडर है. रिजवी सरकार के खिलाफ अक्सर ईशनिंदा कानून को खत्म करने को लेकर दबाव बनाता रहता है. वही फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने को लेकर भी रिजवी ने पूरे देश भर में विरोध-प्रदर्शन किया था. इसमें लाखों प्रदर्शनकारी शामिल हुए थे. 

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