भारत और चीन को फिर साथ लाने के लिए पुतिन ने चली नई चाल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बढ़ जाएगी टेंशन
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत, रूस और चीन (RIC) त्रिकोण को फिर से शुरू करने की बात की है. उनके इस बयान से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टेंशन बढ़ गई है. समझिए पूरी स्टोरी.

पाकिस्तान के साथ बढ़े सैन्य तनाव और कथित सीजफायर में क्रेडट लेने के चक्कर में भारत में अमेरिका के खिलाफ उपजे गुस्से को पढ़ते हुए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने तगड़ा दांव खेला है. उन्होंने भारत, रूस और चीन (RIC) के पुराने त्रिकोण को फिर से जिंदा करने की जोरदार वकालत की है. बीते दिन मास्को में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लावरोव ने कहा कि भारत-चीन के बीच सीमा तनाव कम होने के बाद अब RIC ‘ट्रायोकिया’ (Troika) को पुनर्जीवित करने का सही समय है. उन्होंने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और नाटो, पर भारत को चीन के खिलाफ भड़काने का आरोप भी लगाया.
लावरोव ने हाल ही में भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के लिए हुए समझौते की सराहना की. उन्होंने कहा, "भारत और चीन ने सीमा पर शांति बहाली की दिशा में कदम उठाए हैं. यह RIC (Russia-India-China) को फिर से सक्रिय करने का सुनहरा अवसर है." गौरतलब है कि 2020 की गलवान घाटी हिंसा के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था.
लावरोव ने क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के गठन और मेंडेट पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि क्वाड के सदस्य आर्थिक और व्यापारिक सहयोग की आड़ में चीन के खिलाफ सैन्य गतिविधियां कर रहे हैं. लावरोव ने भारत को आगाह करते हुए कहा, ‘मुझे यकीन है कि हमारे भारतीय दोस्त क्वाड की इन उकसावे वाली चालों को देख रहे हैं. ये सब चीन के खिलाफ पूर्वी एशिया में साजिश का हिस्सा हैं.’
RIC का महत्व और रूस की भूमिका
RIC त्रिकोणीय ढांचा 1990 के दशक में रूस के तत्कालीन विदेश मंत्री येवगेनी प्रिमाकोव के दिमाग की उपज था. इसका मकसद तीनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना और वैश्विक मंच पर बहुध्रुवीय व्यवस्था को प्रोत्साहित करना है. लावरोव ने कहा कि रूस भारत और चीन के बीच विश्वास बहाली में मध्यस्थता की भूमिका निभाने को तैयार है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस साल के अंत में प्रस्तावित भारत यात्रा इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती है.
भारत नहीं है किसी खेमेबंदी का हिस्सा
रूसी विदेश मंत्री भले जो भी कहें, भारत न कभी किसी गुट का हिस्सा था और न हो सकता है. वो भी चीन के रवैये, जैसा उसका इतिहास रहा है और जैसी उसकी हरकत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखी गई, उसे देखते हुए भारत, चीन पर कतई हिस्सा नहीं बन सकता है. नई दिल्ली ने हमेशा बैलेंस की नीति अपनाई है और ये आगे भी रहेगी.