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तालिबान से शांति वार्ता विफल होने पर बौखलाया पाकिस्तान, ख्वाजा आसिफ ने भारत को ठहराया जिम्मेदार, देने लगा गीदड़भभकी

पाकिस्तान-अफगानिस्तान तनाव के बीच रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बार फिर भारत पर दोषी बनाते हुए कहा कि काबुल भारत की कठपुतली बन चुका है और दिल्ली से संचालित हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत अफगानिस्तान के जरिए पाकिस्तान के खिलाफ साजिश रच रहा है. तुर्की में दोनों देशों के बीच हुई शांति वार्ता नाकाम रही, जिससे तनाव और बढ़ने की आशंका है.

29 Oct, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
05:08 PM )
तालिबान से शांति वार्ता विफल होने पर बौखलाया पाकिस्तान, ख्वाजा आसिफ ने भारत को ठहराया जिम्मेदार, देने लगा गीदड़भभकी
Khwaja Asif (File Photo)

अफगानिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने अब भारत पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. तुर्की में हुई शांति वार्ता के असफल होने के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बार फिर विवादित बयान देते हुए अफगानिस्तान पर भारत के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया है. आसिफ ने कहा है कि अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार भारत की कठपुतली है.

इसके साथ पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत अपनी 'पश्चिमी सीमा पर हुई हार की भरपाई' अफगानिस्तान के जरिए करना चाहता है. उनके मुताबिक अफगानिस्तान की सरकार पाकिस्तान के खिलाफ साजिशों में शामिल है और भारत इसमें पर्दे के पीछे से भूमिका निभा रहा है. हालांकि, अब तक भारत और अफगानिस्तान दोनों सरकारों की तरफ से इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.

तुर्की में विफल हुई शांति वार्ता

तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच हाल ही में हुई शांति वार्ता किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. बताया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी है कि बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने वार्ता के दौरान ‘तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान’ (टीटीपी) की गतिविधियों को रोकने और उन्हें अफगान जमीन से पनाह न देने की सख्त शर्त रखी थी. पाकिस्तान का मानना है कि टीटीपी की मौजूदगी उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है. हाल के महीनों में सीमा पर हुए हमलों और आतंकी घटनाओं के बाद पाकिस्तान का सब्र टूटता नजर आ रहा है. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि सीमावर्ती इलाकों में लगातार हो रहे हमलों के कारण सैन्य कार्रवाई जरूरी और अपरिहार्य बन गई है.

अफगानिस्तान को दी चेतावनी

वार्ता के असफल होने के बाद ख्वाजा आसिफ ने कहा कि 'काबुल में बैठे लोग दिल्ली के इशारे पर कठपुतली का तमाशा कर रहे हैं.' उन्होंने यहां तक कह दिया कि “'गर अफगानिस्तान ने इस्लामाबाद की तरफ देखा भी, तो हम उनकी आंखें निकाल लेंगे.' आसिफ के इन बयानों से दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव और गहराता दिख रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी दोनों देश किसी समझौते के करीब पहुंचते हैं, तभी 'दिल्ली से किसी का फोन आता है' और अफगानिस्तान समझौते से पीछे हट जाता है. आसिफ के अनुसार, भारत पाकिस्तान के खिलाफ धीमा युद्ध (Slow War) लड़ना चाहता है और इसके लिए वह अफगानिस्तान को मोहरा बना रहा है.

अफगानिस्तान की पलटवार की धमकी

पाकिस्तान की चेतावनियों के बाद अफगानिस्तान ने भी कड़ा रुख दिखाया है. काबुल प्रशासन ने कहा है कि यदि पाकिस्तान ने अफगान सीमा या राजधानी क्षेत्र पर कोई हमला किया तो वह इस्लामाबाद के प्रमुख ठिकानों पर कड़ी जवाबी कार्रवाई करेगा. अफगान सेना का दावा है कि उसके पास पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की पूरी क्षमता है. अफगान तालिबान के प्रवक्ता ने पाकिस्तान के आरोपों को झूठ और प्रचार करार देते हुए कहा कि इस्लामाबाद अपनी आंतरिक विफलताओं का दोष दूसरों पर मढ़ने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अपने देश में मौजूद आतंकी नेटवर्क्स पर ध्यान देना चाहिए, न कि अफगानिस्तान को दोष देना चाहिए.

बढ़ रही क्षेत्रीय चिंता

तुर्की और कतर ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत जारी रखने की अपील की है. क्षेत्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच टकराव बढ़ा, तो इसका असर पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता पर पड़ेगा. पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए किसी नए युद्ध में उतरना खुद उसके लिए विनाशकारी साबित हो सकता है. वहीं, अफगानिस्तान पहले से ही मानवीय संकट और अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहा है. ऐसे में दोनों देशों के बीच किसी भी सैन्य संघर्ष से न केवल सीमावर्ती इलाकों में हिंसा बढ़ेगी, बल्कि लाखों नागरिकों पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा.

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बताते चलें कि शांति वार्ता के असफल होने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते फिर से तनाव की कगार पर पहुंच गए हैं. पाकिस्तान का भारत पर लगाया गया नया आरोप न सिर्फ राजनैतिक दिशा भटकाने की कोशिश दिखता है, बल्कि यह क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा सकता है. अब यह देखना होगा कि क्या कूटनीतिक प्रयास इस बढ़ते तनाव को थाम पाते हैं या हालात सच में युद्ध की ओर बढ़ते हैं.

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