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भारत से FTA पर अपने ही विदेश मंत्री के खिलाफ खड़े हुए न्यूजीलैंड के PM, बोले- व्यापार और निवेश में नए रिकॉर्ड बनेंगे?

न्यूजीलैंड और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इसे अपनी सरकार के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि इससे दोनों देशों के आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा.

Christopher Luxon/ Narendra Modi (File Photo)

न्यूजीलैंड और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की घोषणा ने वैश्विक बाजार में भारत के बढ़ते महत्व को एक बार फिर उजागर कर दिया है. शनिवार, 27 दिसंबर को न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इस समझौते का स्वागत करते हुए इसे अपनी सरकार के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि यह कदम दोनों देशों के भविष्य के आर्थिक और व्यापारिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा.

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने साझा की जानकारी 

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री लक्सन ने सोशल मीडिया के एक्स पर पोस्ट करते हुए यह स्पष्ट किया कि उनके पहले कार्यकाल में भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करना उनकी प्राथमिकता थी और अब उन्होंने इसे पूरा कर दिखाया है. उन्होंने कहा, 'इस समझौते से 14 लाख भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अधिक रोजगार, हाई इनकम और निर्यात के नए अवसर खुलेंगे.' उनका मानना है कि यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को मजबूती देगा और भविष्य में द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा.

न्यूजीलैंड सरकार में मतभेद

जानकारी देते चलें कि इस समझौते को लेकर न्यूजीलैंड के भीतर मतभेद भी सामने आए हैं. देश के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने इस समझौते की आलोचना की और इसे न तो स्वतंत्र और न ही निष्पक्ष बताया. पीटर्स न्यूजीलैंड फर्स्ट पार्टी के नेता हैं, उन्होंने कहा कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को अपनी पार्टी की चिंताओं से अवगत कराया था. इसके बावजूद उन्होंने दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों का सम्मान व्यक्त किया.

PM मोदी और लक्सन की बातचीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्रिस्टोफर लक्सन की बातचीत के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में यह समझौता घोषित किया गया. दोनों नेताओं ने कहा कि अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो सकता है और अगले 15 सालों में भारत में 20 अरब डॉलर तक का निवेश संभव है. यह समझौता मार्च में शुरू हुई बातचीत का परिणाम है और इसे दोनों देशों के बीच साझा महत्वाकांक्षा और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जा रहा है.

न्यूजीलैंड फर्स्ट पार्टी का विरोध

न्यूजीलैंड फर्स्ट पार्टी के नेता पीटर्स ने एक्स पर लिखा कि उनका दल इस समझौते के जल्दबाजी में अंतिम रूप देने का विरोध कर रहा था. उनका कहना था कि समझौते की गुणवत्ता पर ध्यान देने के बजाय गति को प्राथमिकता दी गई. पीटर्स ने आरोप लगाया कि नेशनल पार्टी ने न्यूजीलैंड और भारत दोनों के लिए संतुलित और निष्पक्ष समझौता करने की कोशिश न करके एक घटिया समझौता करना बेहतर समझा.

डेयरी सेक्टर में विवाद

सबसे बड़ा विवाद डेयरी सेक्टर को लेकर है. पीटर्स का कहना है कि न्यूजीलैंड ने भारत के लिए अपना बाज़ार खोल दिया, लेकिन इसके बदले में भारतीय बाजार में अपने डेयरी उत्पादों जैसे दूध, पनीर और मक्खन पर कोई ठोस रियायत नहीं मिली. उन्होंने इसे किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए चुनौतीपूर्ण बताया.

द्विपक्षीय व्यापार के साथ बढ़ी निवेश की संभावनाएं

वर्ष 2024 में भारत और न्यूजीलैंड के बीच कुल व्यापार 2.07 अरब डॉलर रहा, जिसमें भारत का निर्यात 1.1 अरब डॉलर था. भारत से प्रमुख निर्यात दवाईयां हैं, जबकि न्यूजीलैंड से कृषि और वानिकी उत्पाद भारत में आते हैं. भारत सरकार के अनुसार, न्यूजीलैंड ओशिनिया क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. प्रधानमंत्री लक्सन और पीएम मोदी दोनों ही इस समझौते के महत्व पर जोर दे रहे हैं. उनका मानना है कि यह न केवल आर्थिक लाभ देगा, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग को भी मजबूत करेगा. वहीं पीटर्स का विरोध यह दर्शाता है कि किसी भी बड़े अंतरराष्ट्रीय समझौते में संतुलन और सभी पक्षों की चिंता को ध्यान में रखना कितना जरूरी है.

बताते चलें कि इस समझौते से यह बात स्पष्ट है कि वैश्विक व्यापार में चुनौतियां और अवसर दोनों मौजूद हैं. भारत और न्यूजीलैंड ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि यह समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो.

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