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पाकिस्तान में खुद के 'हुक्मरान' पर भड़के मौलाना, कहा- सरकार अपने ही लोगों को करा रही किडनैप, 20 सालों से चल रहा…

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) पार्टी के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान ने पाकिस्तानी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान से लोग गायब हो रहे हैं. इसमें सरकार भी शामिल है.

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22 Sep 2025
( Updated: 11 Dec 2025
01:14 PM )
पाकिस्तान में खुद के 'हुक्मरान' पर भड़के मौलाना, कहा- सरकार अपने ही लोगों को करा रही किडनैप, 20 सालों से चल रहा…
Maulana Fazal-ur-Rehman(@juipakofficial)

एक मौलाना की वजह से इस वक्त पाकिस्तान की सियासत गरमायी हुई है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) पार्टी के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान ने पाकिस्तानी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान से लोग गायब हो रहे हैं. इसमें सरकार भी शामिल है. वो आगे कहते है राज्य की सुरक्षा एजेंसियां लोगों को अगवा कर रही हैं. यह बयान उन्होंने हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिया. 

आपको बता दें कि बलूचिस्तान में दशकों से अलगाववादी आंदोलन चल रहा है. इसी बीच अबतक हजारों युवा व सामाजिक कार्यकर्ता लापता हुए हैं. इनके परिजन आज भी इनकी वापसी की राह देख रहे हैं. इसे लेकर उन्होंने प्रदर्शन भी करते रहे हैं. इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मुद्दे पर समय-समय पर चिंता जाहिर की है. 

बलूचिस्तान में क्या हो रहा है?

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, पिछले लगभग 20 सालों में हजारों बलूच लोगों को पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जबरन अगवा किया गया है. इनमें से कई को कथित तौर पर हिरासत में रखकर यातना दी गई, और कई लोगों की जान भी चली गई है. पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने यह सब बलूच अलगाववादी आंदोलन को दबाने के नाम पर किया है. 

सरकार ने आरोपों को नकारा 

हालांकि इन आरोपों को पाकिस्तान सरकार ने खारिज किया है. सरकार की ओर से दावा किया जाता रहा है कि जिन लोगों को लापता बताया जा रहा है, उनमें से कई अलगाववादी संगठनों में शामिल हो गए हैं या देश छोड़कर जा चुके हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की राय

हाल ही में स्विट्जरलैंड में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 60वें सत्र के दौरान इस मुद्दे को फिर से उठाया गया. एक सम्मेलन के दौरान अमेरिकी मानवाधिकार वकील और शोधकर्ता रीड ब्रॉडी ने बलूच लोगों के साथ हो रहे अत्याचारों पर चिंता जताई. उन्होंने कहा, "सच और न्याय की लड़ाई लंबी हो सकती है, लेकिन यह कभी बेकार नहीं जाती. पीड़ितों की आवाजों का समर्थन करें, न्याय की मांग करें, और यह सुनिश्चित करें कि भू-राजनीतिक हित बुनियादी मानवाधिकारों को पीछे न छोड़ दें."

चूकिं पाकिस्तान में आमतौर पर सेना और ISI के खिलाफ आलोचना सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आती ऐसे में देश के किसी बड़े राजनीतिक नेता की ओर से इस तरह खुले मंच से इस तरह का बयान देना बेहद चिंताजनक माना जा रहा है. फजल-उर-रहमान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पहले ही आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ती आतंरिक अशांति से जूझ रहा है.

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