किडनैपिंग, किलिंग एंड क्लीनिंग...एक पाकिस्तानी ने लिखी दुनिया के नाम चिट्ठी, सामने आया PAK आर्मी का बर्बर चेहरा
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से पहले पाकिस्तान की एक बार फिर दुनियाभर में पोल खुल गई है. एक पाकिस्तानी ने ही दुनिया के नाम चिट्ठी में खुलासा किया कि कैसे पाक की सत्ता में एक ही जाति यानी कि पंजाबियो का कब्जा है. कैसे ये लोग मूल पाकिस्तानियों के साथ बर्बरियत करते हैं. उन्होंने इसका भी भंडाफोड़ किया कि कैसे पाक आर्मी पत्रकारों, एक्टिविस्टों का किडनैप करती है और उन्हें यातनाएं देती है.
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पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति है, उनका जीवन किस तरह नर्क बना दिया गया है, ये बात किसी से छिपी नहीं है. पूर्वी पाकिस्तान, अब के बांग्लादेश के लोगों के साथ 1971 से पहले क्या हुआ ये भी सबको पता है. पाक इसी ज्यादती और अपमान की वजह से दो टुकड़े हो गया. कई इलाके आज भी आजादी की मांग कर रहे हैं लेकिन वो सुधरने को तैयार नहीं है. धार्मिक रूप से विभिन्न लोगों के साथ नफरती बर्ताव समझ सकते हैं लेकिन मुसलमानों के साथ भी उसका ऐसा ही हाल है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसके लिए असली पाकिस्तानी और मुसलमान सिर्फ पंजाबी-गोरे हैं. सिंधियों-मोहाजिर, बलूचों का तो कोई नामलेवा नहीं है.
इसी को लेकर एक पाकिस्तानी ने ही उसकी पोल खोली है. जेय सिंध मुत्तहिदा महाज (JSMM) के अध्यक्ष शफी बुरफात ने दुनिया भर के नेताओं और वैश्विक समुदाय को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह पिछले कई दशकों से वहां की स्थानीय जातियों और समुदायों (सिंधी, पश्तून, बलूच, सराईकी और ब्राहुई) के साथ अन्याय कर रहा है.
धार्मिक एकता के नाम पर अपने ही लोगों को कुचलता है PAK
बुरफात ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान इन समुदायों को धार्मिक एकता के नाम पर दबाता है, हाशिए पर डालता है और उनके राजनीतिक अधिकारों को कुचलता रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र में हिस्सा लेने वाले वैश्विक नेताओं को बुरफात ने पत्र में लिखा और कहा कि "जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और अन्य प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भाग लेने जा रहे हैं, तो दुनिया को पाकिस्तान की सच्चाई पर सवाल उठाना चाहिए. यह देश धर्म के नाम पर धोखे और हेरफेर से अपने ऐतिहासिक समुदायों को दबाकर बनाया गया है."
मूल निवासियों का दमन कर रहा पाकिस्तान!
उन्होंने अपनी इस चिट्ठी में आरोप लगाया कि पाकिस्तानी अधिकारी इन 'मूलवासियों' पर कठोर राजनीतिक दमन, आर्थिक शोषण, सांस्कृतिक विनाश, जनसांख्यिकीय हेरफेर और गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को अंजाम दे रहे हैं. जेएसएमएम नेता का दावा है कि पाकिस्तान वास्तव में एक प्रमुख जाति (पंजाबियों) के हितों की सेवा करने वाला राज्य है.
पूरे पाकिस्तान पर हावी हैं पंजाबी मुसलमान!
उन्होंने कहा, "पाकिस्तानी सेना, खुफिया एजेंसियां और कूटनीतिक दल मुख्य रूप से पंजाबी हैं. इनका 99 प्रतिशत से अधिक हिस्सा इसी एक समूह को राजनीतिक और सामाजिक रूप से हावी बनाए रखता है.
Open Letter to President Donald J. Trump
— Shafi Burfat (@shafiburfat) September 22, 2025
Subject: Urgent Awareness Regarding the Oppression of Historical Nations in Pakistan.
Dear President Trump,
As you are scheduled to meet tomorrow with the leaders of several Muslim-majority countries, including the head of Pakistan, we,… pic.twitter.com/XOGIx78PuX
‘पाकिस्तान की सत्ता एक ही जाति के हाथ में’
बुरफात ने आगे लिखा कि "सत्ता का यह सारा केंद्र एक ही जाति के हाथों में है, जिससे पाकिस्तान एक ऐसा तंत्र बन गया है, जो बाकी सभी ऐतिहासिक समुदायों को आधुनिक गुलामी और राजनीतिक दमन में धकेलता है. जो लोग धर्मनिरपेक्ष राजनीति, राष्ट्रीय आंदोलन या सामाजिक न्याय की बात करते हैं, उन्हें सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है."
‘पत्रकारों, एक्टिविस्टों को किडनैप करती है आर्मी’
पत्र में कहा गया कि राजनीतिक कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और सोशल मीडिया एक्टिविस्टों को अक्सर सेना और राज्य एजेंसियां गिरफ्तार करती हैं. उन्हें गुप्त ठिकानों पर यातनाएं दी जाती हैं, और कभी-कभी उनके यातनापूर्ण और जले हुए शव दूरदराज के इलाकों में फेंक दिए जाते हैं. साथ ही, इन राष्ट्रों की सांस्कृतिक विरासत, भाषाएं और इतिहास को जानबूझकर तोड़ा-मरोड़ा या मिटाया जा रहा है, जो राज्य प्रायोजित तानाशाही और क्रूरता का अभियान है.
यातना फैक्ट्री चला रही PAK Army!
इतना ही नहीं उन्होंने वैश्विक समुदाय से अपील की कि पाकिस्तान को 'ऐतिहासिक निवासियों के अधिकारों, संस्कृति और अस्तित्व के लिए खतरा' माना जाए. उन्होंने चेतावनी दी कि बिना जवाबदेही के पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जगह देना दमन, शोषण और आतंक पर आधारित व्यवस्था को वैधता देना है.
उन्होंने यूएन महासभा के नेताओं और सदस्य देशों से अंतरराष्ट्रीय न्याय, मानवाधिकार और राष्ट्रों के बीच समानता के सिद्धांतों का पालन करने को कहा. इसके साथ ही, उत्पीड़ित राष्ट्रों की स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय की जायज लड़ाई का समर्थन करने की मांग की.
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जेएसएमएम नेता ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को उसके अपराधों चरमपंथी आतंकवादियों को समर्थन, प्रशिक्षण और राज्य नीति के तहत क्षेत्र में तैनाती के कारण किसी भी विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय मंच पर बोलने से रोक दिया जाना चाहिए.
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