'भारत झुकेगा नहीं...वो US के बराबर की महाशक्ति होगा...', दिग्गज अमेरिकी लेखक ने ट्रंप को चेताया, MAGA सपोर्टर्स को कहा 'डरपोक'
दिग्गज अमेरिकी लेखक डेविड फ्रम ने कहा कि जैसा अमेरिका के लोग सोचते हैं कि भारत ऑस्ट्रेलिया यूके की तरह झुक जाएगा, तो ऐसा नहीं होगा. वो अमेरिका पर डिपेंडेंट नहीं है. वो महाशक्ति है. 21वीं सदी में भारत दुनिया की ताकत होगा, वो US का पार्टनर नहीं है, वो बराबरी से आने वाले दिनों बात करेगा.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ व्यवहार, लहजा और नीतियों को लेकर पूरी दुनिया में एक नई बहस छिड़ गई है. जब प्रधानमंत्री मोदी SCO समिट में गए तो इसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा और इस बात पर बहस शुरू हो गई कि 'Who Lost India' यानी कि भारत को किसने खोया. ये बात इसलिए हो रही है क्योंकि हिंदुस्तान को आमतौर पर अमेरिका के करीब माना जाता था और ट्रंप-मोदी के रिश्ते और ब्रोमांस की काफी दुहाई दी जाती थी लेकिन, जिस तरह ट्रंप ने एकतरफा टैरिफ, जिसे सेंशन के तौर पर लिया जा रहा है, उसने भारत को चीन के खेमे में धकेलने का काम किया. अमेरिकी लेखक और दिग्गज विश्लेषक डेविड फ्रम ने इस सिलसिले में ट्रंप को कड़ी फटकार भी लगाई है. उन्होंने साथ ही साथ ट्रंप के MAGA कैंपेन को भी लपेटा और उनके सपोर्टर्स को डरपोक तक कह दिया.
चीन के तियानजिन में हुई बैठक जिसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए. यह बैठक सिर्फ एक राजनयिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि वैश्विक राजनीति की बदलती तस्वीर का संकेत भी थी.
फ्रम के अनुसार यह मुलाकात जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही खतरनाक संकेत भी देती है. लंबे समय से अमेरिका और पश्चिमी देशों की यह रणनीति रही है कि रूस और चीन को एक साथ आने से रोका जाए. ट्रंप प्रशासन ने भी यूक्रेन के प्रति सख्ती और रूस के प्रति अपेक्षाकृत नरमी को इसी तर्क से समझाया था. लेकिन आज तस्वीर बदलती दिख रही है.
लेखक डेविड ने कहा कि सामान्यत: रूस को एक महाशक्ति के रूप में देखा जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि उसकी अर्थव्यवस्था इटली के बराबर और कभी-कभी कनाडा से भी छोटी मानी जाती है. उसकी जनसंख्या भी उतनी विशाल नहीं है जितनी सोवियत संघ के जमाने में थी. कई मायनों में रूस अब पिछड़ता हुआ देश है, जो केवल अपने परमाणु हथियारों के कारण बड़े देशों की सूची में टिका हुआ है.
'भारत महाशक्ति है'
उन्होंने भारत और रूस की इकोनॉमी की तुलना करते हुए कहा कि भारत आज एक वास्तविक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है. तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी में अद्वितीय प्रगति और दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी ने भारत को वैश्विक शक्ति संतुलन का अहम खिलाड़ी बना दिया है. हालांकि, भारत और चीन के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हैं. 1960 के दशक में दोनों देशों के बीच युद्ध भी हुआ था और चीन ने अक्सर पाकिस्तान का समर्थन कर भारत को घेरने की कोशिश की.
इसी वजह से अमेरिका और भारत धीरे-धीरे एक-दूसरे के करीब आए. क्लिंटन के समय से लेकर आज तक अमेरिका और भारत के बीच रक्षा, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. लेकिन ट्रंप प्रशासन की नीतियों ने इन संबंधों में खटास डाल दी.
‘The MAGA movement has been harsh on Indian-Americans. They don’t want them here as competitors. This is a symbol of US defeat. The people in the MAGA movement are not optimistic about America. MAGA is strongest where America is the least competitive,’ says author David Frum pic.twitter.com/kRLeWzjT0B
— Shashank Mattoo (@MattooShashank) September 5, 2025
'भारत अमेरिका का साझीदार नहीं बल्कि बराबर की शक्ति'
लेखक डेविड फ्रम ने तो यहां तक कहा कि चीन और अमेरिका के साथ भारत 21वीं सदी की प्रमुख शक्तियों में से एक होगा. यह अमेरिका का सहयोगी या उस पर निर्भर नहीं होगा. यह लगभग एक समान शक्ति होगी. अगर हम भारत के स्वतंत्र हितों का सम्मान करें तो हम उसके साथ सहयोग कर सकते हैं.
व्यक्ति पसंद और नापसंद के आधार पर नीतिया तय कर रहे ट्रंप
ट्रंप के भारत को लेकर नीति पर उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत के प्रति रुख कई बार व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित दिखा. बताया जाता है कि उन्होंने भारत से नोबेल शांति पुरस्कार के लिए समर्थन की मांग की थी, इच्छा जताई थी. जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने भारत पर आयात शुल्क और व्यापारिक दबाव बढ़ा दिया. परिणामस्वरूप, भारत चीन के और करीब जाता दिख रहा है, जो अमेरिका के लिए किसी भी लिहाज से बड़ी कूटनीतिक हार मानी जाएगी.
"India along with China, US will be one of the major powers of the 21st century. It will not be an ally or dependent on the US. It will be almost an equal power. We can cooperate with India if we respect its independent interests": Author David Frum pic.twitter.com/DINqJ92RfH
— Avinash K S🇮🇳 (@AvinashKS14) September 5, 2025
'भारत लाख जटिल हों, उसके साथ संबंध बनाने होंगे'
डेविड फ्रम ने कहा कि शीत युद्ध के दौरान अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों और जापान के साथ एक मजबूत गठबंधन में खड़ा था. लेकिन 21वीं सदी में हालात बदल चुके हैं. एशिया का भूगोल और राजनीति अब वैश्विक शक्ति संतुलन की दिशा तय कर रहे हैं. चीन, भारत, रूस और संभवतः यूरोपीय संघ भविष्य की धुरी बनने जा रहे हैं. ऐसे में अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे भारत जैसे देशों के साथ व्यावहारिक और संतुलित संबंध बनाएँ, चाहे उनके घरेलू हालात कितने भी जटिल क्यों न हों.
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साफ है कि वैश्विक व्यवस्था अब एकध्रुवीय नहीं रह गई है. अमेरिका की साख और नेतृत्व को लगातार चुनौती मिल रही है. वहीं, चीन अपनी आर्थिक ताकत और सांस्कृतिक प्रभाव (जैसे टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म) के जरिए पश्चिमी समाज पर भी असर डाल रहा है. भारत इस बदलते संतुलन में एक अहम भूमिका निभाने जा रहा है. लेकिन यह भूमिका अमेरिका या पश्चिम के अनुरूप होगी या चीन और रूस के करीब यही आने वाले वर्षों में तय करेगा कि दुनिया किस दिशा में जाएगी.
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