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ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम के कारण गड्ढे में भारत-US संबंध...मोदी-पुतिन की चर्चित मुलाकात, बदल गए अमेरिका के सुर

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिल्ली में हुई मुलाकात पर अमेरिका से प्रतिक्रिया सामने आई है. व्हाइट हाउस की पूर्व अधिकारी लिसा कर्टिस ने माना कि भारत और रूस के बीच हुई हालिया वार्ता की मुख्य वजह टैरिफ दबाव और ट्रंप के पाकिस्तान की ओर झुकाव है. उन्होंने ये भी माना कि लाख विरोध के बावजूद ऐसा लगता है कि भारत और S400 की खरीद करने जा रहा है, यानी कि प्रतिबंध, सेंसन, धमकी का असर उस पर नहीं होने वाला है. कर्टिस ने ये भी कहा कि हिंदुस्तान को देखना होगा कि उसे किसके साथ ज्यादा फायदा है. उन्होंने ये भी कहा भारत को रूस और अमेरिका में से किसी एक विकल्प को चुनना होगा.

Created By: केशव झा
06 Dec, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
05:13 PM )
ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम के कारण गड्ढे में भारत-US संबंध...मोदी-पुतिन की चर्चित मुलाकात, बदल गए अमेरिका के सुर

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा समाप्त हो चुकी है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की आधिकारिक प्रतिक्रिया का अभी भी इंतजार है. SCO में मोदी-पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात के बाद तुरंत बयान देने वाले ट्रंप अभी संभल कर बयान दे रहे हैं. इसी बीच व्हाइट हाउस की पूर्व दक्षिण एशिया अधिकारी लिसा कर्टिस ने कहा है कि पुतिन के स्वागत का भारत का निर्णय मॉस्को और वाशिंगटन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने का सोच समझा प्रयास है. उन्होंने कहा कि यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब व्यापार शुल्क और नीतिगत बदलाव को लेकर अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव है.

कूटनीतिक शब्दों में कहें तो उन्होंने ये मान लिया है कि नई दिल्ली यूएस के साथ अपने संबंधों के लिए रूस के साथ अपनी पुरानी दोस्ती की तिलांजलि नहीं देगा और ना ही वो किसी एक खेमे में नजर आना चाहता है, और ना ही अमेरिका ये समझने की भूल करे कि वो पाकिस्तान और ब्रिटेन की तरह हिंदुस्तान को भी जो कहेगा वो वही करेगा.

भारत खरीदने जा रहा एस-400 : कर्टिस

सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी (सीएनएएस) में वरिष्ठ फेलो और इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी प्रोग्राम की निदेशक लिसा कर्टिस ने कहा कि नई दिल्ली में हुए समझौते रूस के साथ भारत के दीर्घकालिक रक्षा और आर्थिक सहयोग में निरंतरता के लिए किए गए हैं. उन्होंने कहा, "भारत और रूस 2030 तक व्यापार को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने पर सहमत हुए हैं. वहीं अमेरिका और भारत ने 2030 तक इसे 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का संकल्प लिया है, जो कि रूस के साथ व्यापार से पांच गुना अधिक है." 

'S400 की खरीद से परेशान अमेरिका'

कर्टिस ने कहा कि भारत ने रक्षा समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं. ऐसा लग रहा है कि भारत रूस से और अधिक एस-400 आयात करने वाला है. आपको बता दें कि अमेरिका की हमेशा से भारत के रूस के साथ डिफेंस डील मसलन S400 की खरीद को लेकर नाराजगी रही है. वो चाहता है कि नई दिल्ली ऐसा ना करे. उसकी कोशिश रही है कि एयर डिफेंस सिस्टम भारत, अमेरिका से खरीदे. ऑपरेशन सिंदूर में S400 की सफलता ने तो और यूएस को परेशान कर दिया है.

टैरिफ के कारण आई अमेरिका-भारत संबंधों में गिरावट'

इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी प्रोग्राम की निदेशक लिसा कर्टिस ने हाल ही में घोषित हेलीकॉप्टर रखरखाव पैकेज की ओर इशारा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि वाशिंगटन के साथ भारत की सैन्य साझेदारी मजबूत बनी हुई है. भारत ने अभी-अभी अपने अमेरिकी हेलीकॉप्टरों के रखरखाव के लिए 1 अरब डॉलर का समझौता किया है. कर्टिस के अनुसार, नई दिल्ली की कूटनीतिक रणनीति को वाशिंगटन के साथ हाल के टकरावों की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद अमेरिका द्वारा 50% टैरिफ लगाए जाने और पाकिस्तान की ओर झुकाव के कारण अमेरिका-भारत संबंधों में जो गिरावट देखी गई है, उसी के कारण भारत ने राष्ट्रपति पुतिन को आमंत्रण दिया.

अमेरिका ने रूस के साथ दोस्ती पर किया सावधान!

उन्होंने चेतावनी दी कि मॉस्को के साथ तकनीकी संबंधों में भारत के लिए बढ़ते जोखिम हैं. वाशिंगटन पोस्ट में एक रिपोर्ट छपी थी कि कैसे रूस भारत का इस्तेमाल करके पश्चिम या अमेरिका से अलग एक संप्रभु तकनीकी व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहा है और आप जानते हैं, वह भारत के साइबर सुरक्षा और आईटी नेटवर्क में एकीकृत होने की कोशिश कर रहा है, जो भारत के लिए मददगार नहीं होगा."

रूस या अमेरिका, भारत को चुनने होंगे विकल्प: लिसा कर्टिस

कर्टिस ने आगाह किया कि इस तरह के किसी भी सहयोग के द्विपक्षीय संबंधों से कहीं आगे तक निहितार्थ हैं. रूस के चीन के साथ बहुत घनिष्ठ संबंध हैं. इसलिए रूस के साथ उन्नत तकनीक पर किसी भी समझौते का निश्चित रूप से यह मतलब हो सकता है कि चीन को भी भारतीय तकनीक तक पहुंच मिल जाएगी. उन्होंने तर्क दिया कि भारत के भविष्य के लाभ विशेष रूप से उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में पूरी तरह से वाशिंगटन के हाथ में हैं.

लिसा कर्टिस ने सवाल करते हुए कहा कि भारत को कुछ विकल्प चुनने होंगे. क्या अमेरिका के साथ सहयोग करने से उसे ज्यादा फायदा होगा? उदाहरण के लिए एआई की दौड़ में और दूसरे क्षेत्रों में? रूस के साथ भारत की स्थायी साझेदारी के बावजूद भविष्य में अमेरिका के साथ अपने रिश्ते विकसित करने में भारत के लिए और भी ज्यादा संभावनाएं हैं.

अब सधी हुई प्रतिक्रिया देंगे ट्रंप: कर्टिस

मोदी-पुतिन मुलाकात पर वाशिंगटन की संभावित प्रतिक्रिया के बारे में कर्टिस ने कहा, "हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा. उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के बारे में कहा, "उनकी प्रतिक्रियाएं अप्रत्याशित हैं. इस बार मुझे यकीन नहीं है कि हमें वैसी ही तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी जैसी मोदी की चीन में शी जिनपिंग और पुतिन के साथ पिछली मुलाकात के बाद देखी गई थी."

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कर्टिस 2017 से 2020 तक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए ट्रम्प प्रशासन की वरिष्ठ निदेशक रही हैं. वे भारत नीति पर वाशिंगटन की बातों को वैश्विक पटल पर रखती रही हैं. भारत ने रूस के साथ दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी बनाए रखी है और साथ ही विशेष रूप से क्वाड ढांचे के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और रणनीतिक सहयोग को भी गहरा किया है.

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