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G-20 समिट में भारत की मजबूत भागीदारी… PM मोदी पहुंचे साउथ अफ्रीका, जानें किन मुद्दों पर होगी सम्मेलन में चर्चा?

दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित ऐतिहासिक G-20 समिट में हिस्सा लेने PM मोदी पहुंचे. वाटरलूफ एयरबेस पर उनका रेड कार्पेट वेलकम किया गया. सांस्कृतिक दल ने पारंपरिक नृत्य से स्वागत किया. जोहान्सबर्ग पहुंचते ही PM मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज से मुलाकात की और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की.

22 Nov, 2025
( Updated: 03 Dec, 2025
08:41 AM )
G-20 समिट में भारत की मजबूत भागीदारी… PM मोदी पहुंचे साउथ अफ्रीका, जानें किन मुद्दों पर होगी सम्मेलन में चर्चा?
Source: X/ @narendramodi

दक्षिण अफ़्रीका के जोहान्सबर्ग में होने वाला G-20 शिखर सम्मेलन इस बार कई मायनों में ऐतिहासिक है. पहली बार अफ्रीका महाद्वीप इस बड़े वैश्विक मंच की मेजबानी कर रहा है और इसी मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. गौतेंग स्थित वाटरलूफ वायुसैनिक अड्डे पर जैसे ही प्रधानमंत्री का विमान उतरा, उनका स्वागत बेहद गर्मजोशी से किया गया. दक्षिण अफ्रीकी वायु सेना द्वारा रेड कार्पेट पर दी गई सलामी ने माहौल को और भी विशेष बना दिया.

PM मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी से की मुलाकात 

PM मोदी का एयरपोर्ट पर दक्षिण अफ्रीका के ‘मिनिस्टर इन द प्रेसिडेंसी’ ने औपचारिक तौर पर स्वागत किया. वहीं एक विशेष सांस्कृतिक दल ने पारंपरिक नृत्य और गीतों की प्रस्तुति देकर प्रधानमंत्री के आगमन को बेहद खुशनुमा बना दिया. यह दृश्य अफ्रीकी संस्कृति और भारतीय कूटनीति के बीच मजबूत होते रिश्तों की झलक पेश कर रहा था. इस बार का समिट इसलिए भी अहम है क्योंकि 2023 में भारत की G-20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन को G-20 का सदस्य बनाया गया था. अब पहली बार अफ्रीकी धरती पर यह सम्मेलन आयोजित हो रहा है, ऐसे में PM मोदी की मौजूदगी स्वाभाविक रूप से चर्चा में है. जोहान्सबर्ग पहुंचते ही प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने कई द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की और साझा हितों पर सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई. इस दौरान अल्बानीज ने दिल्ली में हुए हालिया ब्लास्ट और सऊदी अरब में बस हादसे में भारतीयों की मौत पर संवेदना भी व्यक्त की.

क्या कहता है G-20 समिट एजेंडा?

PM मोदी ने अफ्रीका पहुंचने के बाद सोशल मीडिया पर लिखा कि वे वैश्विक मुद्दों पर उपयोगी चर्चा की उम्मीद के साथ G-20 समिट में हिस्सा ले रहे हैं. यह समिट वैश्विक चुनौतियों के समाधान की दिशा में बड़ा मंच माना जा रहा है. प्रधानमंत्री ने साफ किया कि भारत की प्राथमिकता वैश्विक सहयोग को मजबूत करने, विकास आधारित नीतियों को आगे बढ़ाने और सभी के लिए बेहतर भविष्य की दिशा में ठोस कदम उठाने की होगी. समिट में तीन बड़े सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें PM मोदी विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे. इन सत्रों में समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास, कर्ज संकट, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सम्मानजनक रोजगार और महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा होगी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर इस बात पर भी है कि भारत इन विषयों पर कैसी दिशा प्रस्तुत करता है, क्योंकि पिछले वर्षों में भारत ने वैश्विक नीतियों के केंद्र में विकासशील देशों की आवाज को मजबूती से रखा है.

भारतीय समुदाय से भी होगी मुलाकात

रवानगी से पहले PM मोदी ने कहा था कि वे ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ की सोच के साथ भारत का पक्ष रखेंगे. जोहान्सबर्ग में वे IBSA समिट में भी हिस्सा लेंगे, जिसमें भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की त्रिपक्षीय बैठक शामिल है. इसके अलावा प्रधानमंत्री दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीय समुदाय से भी मिलेंगे, जो दुनिया के सबसे बड़े प्रवासी समुदायों में से एक है. G-20 समिट का यह संस्करण कई वैश्विक मुश्किलों के समाधान की उम्मीद लेकर आया है. भारत की भूमिका इस मंच पर हमेशा मजबूत रही है और इस बार अफ्रीकी धरती पर PM मोदी की उपस्थिति ने इस समिट के महत्व को और बढ़ा दिया है. आने वाले दिनों में होने वाली चर्चाएं न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय सहयोग का नया खाका तय करेंगी बल्कि यह भी दिखाएंगी कि उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भारत किस तरह दुनिया का नेतृत्व कर सकता है.

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बताते चलें कि यह समिट सिर्फ कूटनीतिक बैठक नहीं, बल्कि बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका का प्रमाण भी है. जोहान्सबर्ग में PM मोदी की मौजूदगी ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत न सिर्फ विकासशील देशों की आवाज है, बल्कि वैश्विक समाधान का भरोसेमंद नेतृत्व भी कर सकता है. आने वाले वक्त में इस सम्मेलन के फैसले विश्व राजनीति और अर्थव्यवस्था की दिशा तय करेंगे, और भारत उसमें एक निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार दिख रहा है.

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