भारत ने कायदे से डील किया... पूर्व अमेरिकी NSA ने ट्रंप की टैरिफ नीति को बताया दोगलापन, कहा- ये 4 साल के लिए लेकिन India-US के रिश्ते हमेशा रहेंगे
पूर्व अमेरिकी NSA और कभी ट्रंप के करीबी रहे जॉन बोल्टन ने कहा कि ट्रंप का टैरिफ को लेकर व्यवहार और फैसला भारत के लिए निराशाजनक है. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के व्यवहार की आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप 4 साल के अंदर चले जाएंगे लेकिन भारत-अमेरिका के संबंध बने रहेंगे. बोल्टन ने भारत की रणनीति की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि टैरिफ विवाद पर नई दिल्ली की संयमित और शांत प्रतिक्रिया बेहद प्रभावी रही. सार्वजनिक टकराव से बचने और बैक-चैनल डिप्लोमेसी का इस्तेमाल कर भारत ने अनावश्यक टकराव को टाल दिया.
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डोनाल्ड ट्रंप की पहली सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने भारत के प्रति ट्रंप प्रशासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की. बोल्टन ने ट्रंप की भारत को लेकर टैरिफ नीति को 'गलत' बताते हुए कहा कि यह उनके अनिश्चित और अस्थिर रवैये (जिसे ट्रंप अनप्रिडिक्टेबल कहते हैं) की मिसाल है. बोल्टन ने चेतावनी दी कि ऐसे कदम वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच के रणनीतिक रिश्तों को कमजोर कर सकते हैं और व्यापारिक तनाव को और बढ़ा सकते हैं.
बोल्टन ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन का भारत के साथ आर्थिक मोर्चे पर व्यवहार एकतरफा और असंतुलित है. उनके मुताबिक, जब अमेरिका को भारत से सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी की ज़रूरत है, तब टैरिफ और व्यापारिक विवादों को लेकर इस तरह का रुख अपनाना द्विपक्षीय रिश्तों को आघात पहुंचा सकता है.
'ट्रंप के भारत-पाक के बीच मध्यस्थता के दावे की भी निकाली हवा'
उन्होंने सिर्फ व्यापार ही नहीं, बल्कि ट्रंप के उस दावे पर भी सवाल उठाए जिनमें वह बार-बार कहते रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम उनकी पहल पर हुआ. बोल्टन ने आगे कहा कि यह पूरी तरह गलत है क्योंकि भारत ने साफ-साफ कहा था कि संघर्षविराम का फैसला दोनों देशों के DGMO के बीच सीधी बातचीत से हुआ था, न कि ट्रंप की किसी मध्यस्थता से.
'रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर सेंशन, तो चीन पर क्यों नहीं?'
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और संयुक्त राष्ट्र में राजदूत रहे जॉन बोल्टन ने एक इंटरव्यू में ट्रंप की भारत को लेकर टैरिफ नीति पर कड़ा वार किया है. उन्होंने कहा कि रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए भारत पर भारी-भरकम टैरिफ थोपना ट्रंप का अनिश्चित और अजीब व्यवहार दर्शाता है. बोल्टन ने सवाल उठाया कि जब चीन जैसे बड़े खरीदारों या तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों पर ऐसे कदम नहीं उठाए गए, तो भारत को ही क्यों निशाना बनाया गया?
#WATCH | Washington, DC: On India-US relations trade negotiations, former National Security Advisor of the United States, John Bolton says, "... It seems to me that the two sides are not that far apart and continued negotiations will lead to an agreement. I hope to try to look… pic.twitter.com/FqU0ZZ2UzQ
— ANI (@ANI) September 13, 2025
'ट्रंप 4 साल के लिए, भारत-अमेरिका हमेशा के लिए बने रहेंगे'
बोल्टन ने आगे यह भी जोर दिया कि भारत को अमेरिका के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों को प्राथमिकता देनी चाहिए. उन्होंने साफ कहा कि ट्रंप का कार्यकाल तीन साल से थोड़ा अधिक समय तक ही रहेगा, लेकिन दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी उससे कहीं लंबी और स्थायी हो सकती है.
'ट्रंप के टैरिफ में कोई स्ट्रैटेजी नहीं'
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ-साथ पूर्व राजदूत भी रह चुके बोल्टन ने ट्रंप की दोगली नीति की पोल खोलते हुए कहा रूस से तेल और हथियार खरीदने पर भारत पर भारी टैरिफ लगाने का ट्रंप का फैसला अनियमित व्यवहार का नतीजा है, इसमें कोई भी स्टैटेजी नहीं दिख रही है.
'सीजफायर पर ट्रंप का क्रेडिट लेना गलत'
साथ ही उन्होंने पूछा कि अगर आपने हिंदुस्तान पर रूसी तेल को लेकर सेंशन लगाया तो चीन जैसे बड़े खरीदारों या तुर्की और पाकिस्तान जैसे अन्य देशों के खिलाफ ऐसा कोई कदम क्यों नहीं उठाया? बोल्टन ने आगे कहा कि भारत पर लगाए जा रहे टैरिफ और पाकिस्तान के साथ तनाव के मुद्दे पर सीजफायर का क्रेडिट लेना गलत था और इसको लेकर वाशिंगटन में काफी चिंता थी. पूर्व सुरक्षा सलाहकार ने आगे ज़ोर देकर कहा कि भारत को अमेरिका के साथ लॉन्ग टर्म संबंधों को प्राथमिकता देनी चाहिए. ट्रंप का राष्ट्रपति कार्यकाल तो केवल साढ़े तीन साल और चलेगा.
आपको बता दें कि पिछले महीने ट्रंप सरकार ने भारतीय प्रोडकट्स पर 25% ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ और रूस से ऊर्जा व्यापार को लेकर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने का ऐलान किया था.
भारत को लेकर ट्रंप का व्यवहार निराशाजनक: बोल्टन
बोल्टन ने स्वीकार किया कि ऐसे कदम भारत के लिए निराशाजनक हो सकते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने सलाह दी कि नई दिल्ली को अमेरिका के साथ दीर्घकालिक रिश्तों को प्राथमिकता देनी चाहिए. उनके अनुसार, ट्रंप को भारत को एक "अस्थायी फैक्टर" मानकर राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने चाहिए, क्योंकि यह नीतियां व्यापक अमेरिकी दृष्टिकोण को नहीं दर्शातीं.
भारत ने बड़े अच्छे से ट्रंप को डील किया: बोल्टन
पूर्व सुरक्षा सलाहकार ने भारत सरकार की रणनीति की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि टैरिफ विवाद पर नई दिल्ली की संयमित और शांत प्रतिक्रिया बेहद प्रभावी रही. सार्वजनिक टकराव से बचने और बैक-चैनल डिप्लोमेसी का इस्तेमाल कर भारत ने अनावश्यक टकराव टाला.
'रणनीति नहीं घरेलू राजनीति पर है ट्रंप का फोकस'
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बोल्टन ने आगे कहा कि ट्रंप की "करीबी साझेदारों पर दबाव डालने की आदत" कोई सुसंगत रणनीति नहीं बल्कि घरेलू राजनीति के लिए किया गया ड्रैमैटिक प्रदर्शन है. इस तरह का व्यवहार वैश्विक स्तर पर अमेरिका की विश्वसनीयता को कमजोर करता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अमेरिका के साथ दीर्घकालिक रिश्तों की मजबूती पर ध्यान देना चाहिए और लक्ष्य यह होना चाहिए कि ट्रंप के कार्यकाल के दौरान नुकसान को कम किया जाए और उसके बाद रिश्तों को फिर से मजबूती दी जाए.
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