बांग्लादेश में बुजुर्ग हिंदू नाई पर पहले लगाया झूठा ईशनिंदा का आरोप, फिर इस्लामी कट्टरपंथियों से पिटवाया, बेटे को भी घेर कर मारा, VIDEO वायरल
बांग्लादेश से एक बार फिर हिंदुओं पर हमले का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां इस्लामी कट्टरपंथियों ने झूठे ईशनिंदा के आरोप में एक 69 वर्षीय हिंदू बुजुर्ग नाई की पिटाई की और उसके बेटे को भी मारा.

अगस्त 2024 में इस्लामी कट्टरपंथियों, जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तानी स्लीपर सेल्स द्वारा बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट किए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, खासकर हिदुओं पर लगातार हमले बढ़े हैं. इस्कॉन के प्रवक्ता से लेकर मंदिरों पर हुए हमलों के बाद वहां धार्मिक रूप से संख्या में कम हिंदुओं का जीना मुश्किल होता जा रहा है.
झूठे ईशनिंदा के आरोप में हिंदू नाई पर हमला
इसी बीच बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में 69 वर्षीय एक हिंदू बुजुर्ग नाई (परेश चंद्र शील) को झूठे ईशनिंदा के आरोप में हिंसक भीड़ ने बेरहमी से पीट दिया. यह जानकारी मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज (एचआरसीबीएम) ने दी है.
बाप के साथ-साथ बेटे को पीटा
मानवाधिकार संस्था ने इस हमले की निंदा करते हुए बताया कि जब शील के बेटे ने भीड़ से अपने पिता की जान बख्शने की गुहार लगाई, तो उसे भी पीटा गया.
बांग्लादेशी 69 वर्षीय दलित हिंदू नाई परेश चंद्र शील पर झूठा ईशनिंदा का आरोप लगाकर कट्टरपंथियों ने उनकी पिटाई की, बेटे ने अपने पिता को झोड़ने की अपील की तो उसे भी घेर कर मारा. ये सब उसके पड़ोसी हैं. ये बांग्लादेशी अपने बाप और मां (पाकिस्तान) का नहीं हुआ तो ये हिंदुओं का क्या होगा.… pic.twitter.com/dxcUa8ZlB5
— Guddu Khetan (@guddu_khetan) June 25, 2025
पुलिस की शह पर हुई हिंसा
एचआरसीबीएम के अनुसार, स्थानीय पुलिस ने पीड़ित की रक्षा करने के बजाय हिंसा को बढ़ावा दिया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यहां तक कह दिया कि "शील को उम्रभर जेल में रखने के लिए झूठे आरोप गढ़े जाएंगे," जो बांग्लादेश के संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का खुला उल्लंघन है.एचआरसीबीएम के मुताबिक, घटना 20 जून को दोपहर 2:30 बजे उस समय शुरू हुई जब अल-हेरा जामे मस्जिद, नमाटरी के स्वघोषित इमाम मोहम्मद अब्दुल अजीज शील की सैलून में बाल कटवाने आए. बाद में दर्ज शिकायत में अजीज ने आरोप लगाया कि शील ने आपत्तिजनक टिप्पणी की.
अजीज ने दावा किया कि घटना के समय उनके साथ केवल मोहम्मद नजमुल इस्लाम (29) मौजूद थे, लेकिन अजीज की शिकायत में मोहम्मद साजिद हुसैन (17), मोहम्मद जुबैर हुसैन (35), मोहम्मद तारेक हुसैन (28) और मोहम्मद नुरुल इस्लाम को भी गवाह के तौर पर नामजद किया गया, बिना यह स्पष्ट किए कि वे उस वक्त मौके पर मौजूद थे या बाद में जोड़े गए.
एचआरसीबीएम ने बताया कि उन्हें शील की बहू दीप्ति रानी रॉय का एक वीडियो बयान प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने पूरी घटना का भिन्न विवरण दिया है.
वीडियो में दीप्ति रानी ने बताया कि अजीज ने बाल कटवाने के बाद 10 टका सेवा शुल्क देने से इनकार कर दिया. जब उनसे शुल्क मांगा गया, तो वह भड़क गए और सैलून से निकलकर कुछ समय बाद झूठा ईशनिंदा का आरोप लगाकर लोगों को उकसाया. इसके बाद एक उग्र भीड़ ने शील को बेरहमी से पीटा और उनके बेटे के साथ भी हाथापाई की.
परिवार ने किया आरोपों से इनकार
परिवार ने किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी से इनकार किया और आरोप लगाया कि यह झूठा आरोप हिंसा और लूटपाट के बहाने रचा गया है, जो बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे लंबे समय से चले आ रहे अत्याचार का हिस्सा है.
एचआरसीबीएम ने कहा, “क्या वास्तव में एक बुजुर्ग हिंदू नाई, जो खुद के सैलून में काम करता है, इतना साहस करेगा कि इस्लाम के पैगंबर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करे? यह आरोप अपने आप में संदिग्ध है.”
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उन्होंने शिकायतकर्ताओं की गवाही में असंगतियों का हवाला देते हुए इसे "झूठे ईशनिंदा मामलों" का एक और उदाहरण बताया, जहां धार्मिक भावनाओं को भड़काकर अल्पसंख्यकों को डराया-धमकाया जाता है.