मुस्लिमों से दहशत, रिवर्स गुलामी का डर, तेजी से बदल रही ब्रिटेन की डेमोग्राफी... लंदन में हुए विशाल प्रवासी विरोधी आंदोलन की जड़ क्या है?
ब्रिटेन में प्रवास और शरणार्थियों को लेकर बहस और तनाव लगातार गहराता जा रहा है. दक्षिणपंथियों का आरोप है कि कोर्ट, लिबरल मीडिया और प्रशासन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करते-करते बहुसंख्यकों के साथ अन्याय करने लगे हैं. इसी माहौल में विवादित एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिंसन जेल से बाहर आने के बाद वादे के मुताबिक़ "फ्री स्पीच रैली" लेकर सड़कों पर उतरे. आखिर इनके डर की वजह क्या है.
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ब्रिटिश एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिन्सन के नेतृत्व में लंदन में बीते दिनों हाल के दिनों में अब तक का सबसे बड़ा और विशाल दक्षिणपंथी मार्च का आयोजन हुआ जिसमें करीब 1,10,000 से 1,50,000 के बीच लोग पहुंचे. इस प्रदर्शन को 'यूनाइट द किंगडम' मार्च का नाम दिया, जबकि रॉबिन्सन ने ब्रिटिश युवाओं की भागीदारी की प्रशंसा करते हुए इसे 'देशभक्ति की लहर' बताया और विरोध को 'सांस्कृतिक क्रांति' घोषित किया. हालांकि यह प्रदर्शन हिंसक हो गया और प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा अधिकारियों के बीच झड़पें हुईं. जानकारी के अनुसार झड़प में 26 पुलिसकर्मी घायल हो गए. इसके साथ ही 25 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया.
रिपोर्ट्स के अनुसार वैसे तो यह रैली अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर की गई थी लेकिन इसका असल मकसद इमिग्रेशन और मुस्लिमों के खिलाफ था. रैली में एक आवाज गूंज रही थी, 'जिनको हमने गुलाम बनाया था, वे हमें गुलाम बना रहे हैं.'
अंग्रेजो को लग रहा संस्थानों में लेफ्ट और लिबरल्स की घुसपैठ का डर?
ब्रिटेन में प्रवास और शरणार्थियों को लेकर बहस और तनाव लगातार गहराता जा रहा है. दक्षिणपंथियों का आरोप है कि कोर्ट, लिबरल मीडिया और प्रशासन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करते-करते बहुसंख्यकों के साथ अन्याय करने लगे हैं. इसी माहौल में विवादित एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिंसन जेल से बाहर आने के बाद वादे के मुताबिक़ "फ्री स्पीच रैली" लेकर सड़कों पर उतरे.
मुस्लिम देशों से आए प्रवासियों को वापस भेजने की मांग
रॉबिंसन का साफ कहना है कि सीरिया और अन्य मुस्लिम देशों से आने वाले शरणार्थियों को समुद्र से ही लौटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे ब्रिटिश बच्चों और समाज का भविष्य खतरे में है. उनकी रैली के जवाब में माइग्रेशन समर्थकों ने भी एक काउंटर रैली की, जिसमें लगभग 5,000 लोग शामिल हुए.
सामान्य ब्रिटिश जनता के बीच भी यह धारणा गहरी हो रही है कि अवैध आव्रजन अपराधों में वृद्धि और संसाधनों पर बोझ का बड़ा कारण है. सरकार पहले से ही कई शरणार्थियों को होटलों में ठहराने पर अरबों पाउंड खर्च कर रही है. हाल ही में एक होटल में ठहरे शरणार्थी पर बलात्कार के आरोप लगे थे, हालांकि उसने आरोपों से इनकार किया.
सरकार का तर्क है कि शरणार्थियों को होटलों में रखना फ़िलहाल आसान विकल्प है, लेकिन यदि उन्हें रोजगार खोजने की अनुमति दी गई, तो स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है. यही कारण है कि प्रवास का मुद्दा अब ब्रिटेन की राजनीति, समाज और सुरक्षा बहस का केंद्र बन गया है.
अंग्रेजों के विरोध और प्रदर्शन की एक बड़ी वजह पाकिस्तानी भी हैं. ब्रिटेन में मानवाधिका के नियम सख्त हैं और कानून थोडे़ लिबरल माना जाता है और उनके बच्चे दक्षिण एशियाई विशेषकर पाक-बांग्लादेश के बच्चों, जिनका जीवन मुश्किल में गुजरता है, उनकी तुलना में मैच्योर नहीं होता है, ऐसे में इनके लिए गोरों को बरगलाना आसान हो जाता है. इसलिए तो ग्रूमिंग गैंग को भी सफलता मिलती है.
क्या है ग्रूमिंग गैंग और पाकिस्तानियों का रोल?
लंदन की सड़कों पर जो प्रवासी विरोधी आंदोलन हो रहा है, उसका एक बड़ा कारण पाकिस्तानी और अवैध घुसपैठ भी बताया जा रहा है. बर्मिंघम जैसे शहर की डेमोग्राफी पूरी तरह बदल चुकी है. यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि यहां एक तरह से इंग्लिश लोकल कानून नहीं बल्कि इस्लामी कानून चल रहा है. एक यूरोपीय और पश्चिमी सभ्यता का सिरमौर देश ब्रिटेन में जिस तरह शरियत, हिजाब, बुर्के का बोलबाला देखा जा रहा है और जिस तरह की ड्रेसिंग आम हो गई है, वह भी अंग्रेजों को परेशान कर रही है.
इसके अलावा यहां ग्रूमिंग गैंग का मुद्दा लंबे समय से एक बेहद संवेदनशील और राजनीतिक रूप से चर्चित विषय रहा है. एक दशक से भी पहले प्रकाश में आए इस घोटाले ने उजागर किया कि कैसे गिरोहों ने, जिनमें से कई मुख्य रूप से पाकिस्तानी पुरुष थे, व्यवस्थित रूप से युवा श्वेत लड़कियों की तस्करी की और उनका बलात्कार किया. यह घटनाएं अक्सर रॉदरहैम, रोशडेल और टेलफोर्ड जैसे शहरों में हुईं. बाद में कई जांचों से पता चला कि स्थानीय अधिकारी और पुलिस वर्षों से दुर्व्यवहार की रिपोर्टों पर कार्रवाई करने में विफल रहे थे, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उन पर नस्लवाद का आरोप न लग जाए या इससे सामुदायिक तनाव न बढ़ जाए.
🇬🇧 Huge London rally for free speech & against immigration
— Sputnik Africa (@sputnik_africa) September 13, 2025
The "Unite the Kingdom" march gathered more than 110,000 people, with nearly a million following online, organizer Tommy Robinson said.
Police estimate up to a million participants, which could make it the largest rally… pic.twitter.com/06DIFZEKOs
कैसे काम करता है पाकिस्तानियों का ग्रूमिंग गैंग?
आपको बता दें कि ब्रिटेन में बीते कई सालों से ग्रूमिंग गैंग एक बड़ा मुद्दा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन में कई लड़कियों को मुस्लिम युवाओं ने दोस्त बनाया और फिर उन्हें बड़ी उम्र के पुरुषों के पास भेज दिया, जो उनके बॉयफ्रेंड बन गए. इसके बाद सामूहिक बलात्कार और कई तरह की अन्य हिंसाएं की गईं. इन ग्रूमिंग गैंग का एक पैटर्न या मोडस ऑपरेंडी था—रॉदरहैम, ओल्डहैम और अन्य क्षेत्रों में 10 वर्ष की आयु तक की लड़कियों को पाकिस्तानी मूल के पुरुषों द्वारा बहकाया जाता था, फिर उन्हें बड़े पुरुषों के पास ले जाया जाता था, जो उन्हें नियंत्रित करते थे और उनसे छेड़छाड़ करते थे. इसके बाद इन युवा लड़कियों के साथ इन पुरुषों और उनके रिश्तेदारों और दोस्तों द्वारा कई सालों तक सामूहिक बलात्कार किया जाता था.
नाबालिग के साथ यौन शोषण के मामले में भी पुलिस की चुप्पी!
जब इन महिलाओं ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की शिकायत की तो अधिकारियों ने भी कोई कार्रवाई नहीं की. वजह यह बताई गई कि ब्रिटेन में सांस्कृतिक संवेदनशीलता को ठेस पहुंचाने से बचने और नस्लवाद का आरोप लगने के डर से स्थानीय प्रशासन ने इस पर आंखें मूंद लीं. यही वजह है कि इन ग्रूमिंग गैंग्स को पनपने का मौका मिला और अब यह गुस्सा ब्रिटेन की सड़कों पर बड़े पैमाने पर एंटी-इमिग्रेशन रैलियों के रूप में फूट रहा है.
कौन हैं एंटी-इस्लाम इंग्लिश डिफेंस लीग के फाउंडर रॉबिन्सन?
रॉबिन्सन का असली नाम स्टीफन याक्सली-लेनन है. उन्होंने राष्ट्रवादी और एंटी-इस्लाम इंग्लिश डिफेंस लीग की स्थापना की. उन्हें ब्रिटेन के सबसे प्रभावशाली दक्षिणपंथी नेताओं में से एक माना जाता है. इस आयोजन को कई दक्षिणपंथी हस्तियों का समर्थन मिला और अरबपति एलन मस्क ने वीडियो संदेश के माध्यम से सभा को संबोधित किया. उन्होंने ब्रिटेन में राजनीतिक परिवर्तन की अपील की और दावा किया कि नागरिक 'अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करने से डरते हैं.'
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों ने पुष्टि की है कि फुटबॉल मैचों और संगीत कार्यक्रमों जैसे अन्य प्रमुख आयोजनों के साथ-साथ प्रदर्शनों को प्रबंधित करने के लिए लंदन भर में 1,600 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.
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