अमेरिका में डगमगा गया ट्रंप का टैरिफ प्लान... खुद की पार्टी के 4 नेता हुए खिलाफ, सीनेट ने पारित किया विरोध प्रस्ताव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति पर अब उनकी ही पार्टी में असहमति बढ़ रही है. अमेरिकी सीनेट में ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के खिलाफ प्रस्ताव 51-47 मतों से पास हुआ, जिसमें चार रिपब्लिकन सीनेटरों ने भी समर्थन किया. हालांकि इसका फिलहाल नीति पर असर नहीं पड़ेगा. ट्रंप का दावा है कि ऊंचे टैरिफ अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करते हैं और विदेश नीति में असरदार हथियार हैं.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों अपनी आर्थिक नीतियों, खासकर भारी-भरकम टैरिफ पॉलिसी को लेकर सुर्खियों में हैं. बीते कुछ महीनों से ट्रंप प्रशासन लगातार दुनिया के कई देशों पर ऊंचे शुल्क लगाकर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है. लेकिन अब यह रणनीति खुद उनकी पार्टी के नेताओं को खटकने लगी है. अमेरिका में ट्रंप की ही रिपब्लिकन पार्टी के चार सीनेटरों ने खुलकर इस नीति का विरोध किया है, जिससे राष्ट्रपति के लिए मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं.
दरअसल, ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ अमेरिकी सीनेट में एक प्रस्ताव लाया गया, जो 51-47 मतों से पारित हुआ. खास बात यह रही कि इस प्रस्ताव के समर्थन में ट्रंप की पार्टी के चार सीनेटर अलास्का से लीसा मुर्कोस्की, मैन से सुजैन कॉलिन्स, और कैंटकी से रैंड पॉल व मिच मैकॉनल ने भी वोट दिया. हालांकि यह प्रस्ताव फिलहाल ट्रंप की नीतियों पर तत्काल प्रभाव नहीं डालेगा, क्योंकि इसे अब प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में भी पारित होना जरूरी है, जहां रिपब्लिकन सांसद पहले ही इसे खारिज करने के पक्ष में हैं.
टैरिफ नीति के पीछे ट्रंप का तर्क
ट्रंप का मानना है कि ऊंचे टैरिफ लगाना न केवल अमेरिकी उद्योगों की सुरक्षा करता है, बल्कि यह विदेश नीति का भी एक प्रभावी हथियार है. उन्होंने कई बार दावा किया है कि उनकी टैरिफ पॉलिसी ने दुनिया के कई देशों को 'सीमा में रहने' के लिए मजबूर किया है. ट्रंप ने हाल ही में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने में भी 'टैरिफ की धमकी' ने बड़ी भूमिका निभाई. 20 अक्टूबर को एक बयान में ट्रंप ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुई गोलीबारी में सात विमान गिराए गए, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे किस देश के थे. इसके बावजूद उन्होंने दावा किया कि 'शुल्क लगाने की धमकी' ने दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों को युद्ध रोकने पर मजबूर किया. ट्रंप ने कहा, 'हमने 200 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिससे उनके लिए कोई भी सौदा करना असंभव हो जाता. यह डर ही था जिसने युद्ध को रोका.'
आर्थिक मोर्चे पर बढ़ती चिंताएं
अमेरिका में ट्रंप के इस तर्क पर अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या टैरिफ वास्तव में संघर्ष रोकने या शांति बनाए रखने का साधन हो सकता है. आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि ऊंचे शुल्क से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ रहा है और निर्यातक भी नुकसान झेल रहे हैं. कई रिपब्लिकन नेता भी यह मानते हैं कि टैरिफ को हथियार बनाना अंतरराष्ट्रीय व्यापार और अमेरिका की साख दोनों को कमजोर कर रहा है.
तीसरी बार विरोध का सामना
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप की टैरिफ नीति को अमेरिकी संसद में चुनौती मिली हो. बताया जा रहा है कि यह तीसरी बार है जब इस मुद्दे पर मतदान हुआ और राष्ट्रपति को अपनी ही पार्टी से विरोध झेलना पड़ा. यह इस बात का संकेत है कि रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी ट्रंप के निर्णयों को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं.
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बताते चलें कि ट्रंप भले ही टैरिफ को अमेरिका की ताकत और कूटनीतिक सफलता का प्रतीक बता रहे हों, लेकिन घरेलू स्तर पर यह नीति विवादों में घिर गई है. बढ़ती महंगाई, घटती व्यापारिक साझेदारियां और पार्टी के भीतर असहमति ये सभी संकेत हैं कि आने वाले महीनों में ट्रंप को अपनी टैरिफ रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है. फिलहाल इतना तय है कि 'टैरिफ का हथियार' अब खुद ट्रंप के लिए राजनीतिक सिरदर्द बनता जा रहा है.
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