अमेरिका की रूस-चीन से बातचीत भारत के लिए बड़ी टेंशन...अक्टूबर में खतरा बढ़ने के आसार, क्या है ट्रंप की चाल?
अमेरिका अगर रूस के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता है, तो यह भारत के लिए चिंता का विषय है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने अमेरिका के बदले रूस को तवज्जो देकर अपनी रणनीति कायम कर रखी है. वहीं यही चीज़ चीन पर भी लागू होती है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की है. ट्रंप रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर विराम लगवाने की बड़ी तैयारी में है. हालांकि, यह इतना आसान नहीं है. क्योंकि ट्रंप ने जब दोनों नेताओं से मुलाकात की, उसके थोड़ी देर बाद ही रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. मतलब साफ है कि अगर पुतिन खुद से राजी नहीं हुए, तो वह किसी के दबाव में आकर युद्धविराम पर सहमति नहीं जताने वाले हैं. खबर यह भी है कि कुछ दिनों के अंदर ट्रंप, पुतिन और जेलेंस्की एक साथ मुलाकात कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ, तो लुहान्स्क और डोनेत्स्क जैसे इलाकों को रूस को ही सौंप देने पर सहमति बन सकती है. वहीं क्रीमिया पर भी यूक्रेन अपना दावा छोड़ देगा. यही नहीं नाटो की मेंबरशिप की मांग से भी यूक्रेन पीछे हटेगा, लेकिन कुछ हद तक सुरक्षा की गारंटी अमेरिका और यूरोपीय देश देंगे. ऐसे में अमेरिका ने रूस को साध लिया है, लेकिन अगर यह सब कुछ होता है, तो आने वाले समय में भारत के लिए टेंशन बढ़ जाएगी. कई दशकों से चली आ रही कोल्ड वॉर की प्रतिद्वंदता पूरी तरीके से समाप्त हो जाएगी.
रूस-अमेरिका के साथ आने से भारत की चिंता बढ़ेगी
अमेरिका अगर रूस के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता है, तो यह भारत के लिए चिंता का विषय बन जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने अमेरिका के बदले रूस को तवज्जो देकर अपनी रणनीति कायम कर रखी है. वहीं अमेरिका के साथ अगर रूस खड़ा दिखता है, तो फिर पाकिस्तान जैसे पड़ोसी से किसी संघर्ष की स्थिति में रूस का पहले जैसा बिना शर्त साथ मिल पाएगा या नहीं, यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है.
ट्रंप चीन के साथ भी ट्रेड डील चाहते हैं
अमेरिका की रूस के साथ बातचीत और मुलाकात भारत के लिए तो बड़ी टेंशन है, लेकिन भारत-चीन के बीच सुधर रहे रिश्तों के दौरान डोनाल्ड ट्रंप खुद चीन से भी मजबूत रिश्ता चाहते हैं. अक्टूबर महीने के अंत तक वह बीजिंग का दौरा कर सकते हैं. यहां दोनों ही देशों के बीच ट्रेड डील पर बड़ी चर्चा हो सकती है.
अमेरिका की खास रणनीति
कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन सबके पीछे अमेरिका की एक खास रणनीति है. पहले उन्होंने रूस के साथ रिश्ते को मजबूत करने की कोशिश की. लेकिन अब रूस के बाद वह चीन को साधने की तैयारी में है. ट्रंप की यह रणनीति रिवर्स किसिंगर की तरह मानी जा रही है. बता दें कि साल 1970 के दशक में किसिंगर ने चीन के साथ करीबी बढ़ाकर रूस को घेरने की कोशिश की थी. जिसे पावर बैलेंस बताया गया था.
भारत को सतर्क रहना होगा
अमेरिका रूस और चीन दोनों देशों से अपने रिश्ते को मजबूत करने में लगा हुआ है, लेकिन भारत के लिए यह चिंता का विषय है. अमेरिका के इस बढ़ते कदम से भारत को सतर्क रहना होगा. वहीं पिछले कई दशकों से अमेरिका की यह नीति रही है कि चीन को साधने के लिए भारत से रिश्ते मजबूत रखे जाएं.
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