तालिबानी सरकार की नई तानाशाही! कॉल-मैसेज नहीं कर पाएंगे अफगानी, देशभर में इंटरनेट बैन, टेलीकॉम सर्विस ठप
तालिबानी हुकूमत हर दिन ऐसे फरमान जारी कर रही है जो लोगों की आवाज को खामोश कर रहे हैं. यहां तक कि कम्यूनिकेशन सिस्टम को भी कुचलने की कोशिश की जा रही है. अफगानिस्तान में अब इंटरनेट और टेलीकॉम सर्विस भी बैन कर दी गई हैं.
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अफगानिस्तान को वापस सदियों पीछे धकलने में तालिबान सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही. तालिबानी हुकूमत हर दिन ऐसे फरमान जारी कर रही है जो लोगों की आवाज को खामोश कर रहे हैं. यहां तक कि कम्यूनिकेशन सिस्टम को भी कुचलने की कोशिश की जा रही है. अफगानिस्तान में अब इंटरनेट और टेलीकॉम सर्विस भी बैन कर दी गई हैं.
तानाशाही की ओर कदम बढ़ाते हुए तालिबान ने पूरे देश में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क सेवाएं बंद कर दी हैं. इंटरनेशनल रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले काबुल, हेरात, मजार-ए-शरीफ और उरुजगान सहित कई शहरों में फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट सर्विस बंद हो गई. इसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश की सर्विस रोक दी गई. जिससे देशभर के लाखों लोग बाहरी दुनिया से कट गए. यानी अफगानिस्तान के लोगों के पास कनेक्टिविटी का कोई तरीका नहीं बचा है.
अफगानिस्तान में क्यों इंटरनेट पर बैन क्यों?
देश में टेलीकॉम सर्विस और इंटरनेट सेवाएं बंद करने के बाद बल्ख प्रांत के प्रवक्ता अत्ता उल्लाह जईद ने कहा, यह कदम बुराई रोकने के लिए उठाया गया है और देशभर में कनेक्टिविटी की जरूरतें पूरी करने के लिए वैकल्पिक विकल्प लागू किए जाएंगे. हालांकि ये विकल्प क्या होंगे. इस बारे में अभी कोई प्लान नहीं है. इसी के साथ यहां न्यूज नेटवर्क भी अफगानिस्तान से कट गए हैं. सरकार इस कदम को अनैतिकता रोकने का कदम बता रही है.
तालिबान में ब्लैकआउट का क्या असर होगा?
अफगानिस्तान में ब्लैकआउट के बाद देश में जरूरी सेवाएं ठप हो गई हैं. इसका असर, बैकिंग सिस्टम, कनेक्टिविटी, व्यापार, कस्टम्स सर्विस समेत कई सेवाओं पर पड़ा है जो ऑनलाइन सिस्टम पर निर्भर थीं. इसके साथ-साथ सबसे ज्यादा असर पढ़ाई पर होगा. खास तौर से महिलाओं की पढ़ाई पर जो ऑनलाइन क्लास के जरिए एजुकेशन क्वालिफिकेशन जैसे तैसे पूरा कर रही थीं.
अफगानिस्तान में अमेरिका ने बनाया था फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क
अफगानिस्तान में 9,350 किलोमीटर लंबा फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क है. जिसे पहले की सरकार ने अमेरिका के समर्थन से बनाया था. अफगानिस्तान का ये ही नेटवर्क उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ता था.
तालिबानी सरकार ने अब तक क्या-क्या बैन किया?
साल 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आने के बाद कई सख्त कानून लागू किए जा चुके हैं. इनमें ज्यादातर महिलाओं के अधिकारों का गला घोंटने वाले कानून थे. यहां महिलाओं को घर के बाहर तेज आवाज में बात करने तक की मनाही है. इसके साथ महिलाएं छठी क्लास से ज्यादा तक नहीं पढ़ सकतीं, अकेले सफर नहीं कर सकती, बाहर निकलते वक्त शरीर को बुर्के और हिजाब से पूरा ढकना जरूरी और महिलाओं को रोजगार या नौकरी की भी इजाजत नहीं.
तालिबानी हुकूमत चाहती है कि महिलाएं सांस भी सरकार की मर्जी से लें. सितंबर की शुरुआत में ही तालिबान ने यूनिवर्सिटी की शिक्षा प्रणाली से महिलाओं की लिखी किताबों को हटा दिया था. इन किताबों में मानवाधिकारों और यौन हिंसा से संबंधित सिलेबस भी था.
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मानवाधिकार संस्थाओं का कहना है कि, इस बार तालिबान सरकार ने देश के कम्यूनिकेशन सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. यह ब्लैकआउट अफगानियों की आवाज दबाने और दुनिया से उसका संपर्क तोड़ने वाला है. इससे पहले नॉर्थ कोरिया में टेलीकॉम सेवा और इंटरनेट बंद किया गया था. अब अफगानिस्तान भी उसी तानाशाही की ओर कदम बढ़ा रहा है.
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