1 जनवरी से लागू होगा नया नियम, पब्लिक वाहनों में AIS-140 सिस्टम अनिवार्य, यात्रियों की सुरक्षा को लेकर CM योगी सख्त
CM Yogi: सरकार का मानना है कि इस फैसले से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुरक्षा, पारदर्शिता और भरोसा तीनों मजबूत होंगे और यात्रियों को ज्यादा सुरक्षित सफर मिल सकेगा.
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GPS and Emergency Button Mandatory in UP Buses: उत्तर प्रदेश सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एक अहम और बड़ा कदम उठाया है.राज्य में चलने वाले सभी सार्वजनिक सेवा वाहनों में अब सुरक्षा से जुड़े आधुनिक उपकरण लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.1 जनवरी 2026 से बस, टैक्सी, ऑटो और अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहनों में GPS ट्रैकिंग डिवाइस और इमरजेंसी पैनिक बटन लगाना जरूरी होगा. इस फैसले का मकसद यात्रियों को सुरक्षित सफर देना और वाहनों पर लगातार नजर रखना है.
रियल टाइम में होगी वाहनों की निगरानी
लखनऊ आरटीओ प्रभारी प्रभात पांडेय के अनुसार, इस नियम को VAHAN पोर्टल के जरिए सख्ती से लागू किया जाएगा. GPS ट्रैकिंग सिस्टम की मदद से किसी भी वाहन की लोकेशन रियल टाइम में देखी जा सकेगी. इससे यह पता चल सकेगा कि वाहन किस रास्ते पर है, कहां रुका है और कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही. इससे न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि वाहन चालकों और ऑपरेटरों की जवाबदेही भी तय होगी.
AIS-140 क्या है और क्यों जरूरी है
AIS-140 एक सुरक्षा मानक है जिसे केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने लागू किया है. इस मानक के तहत पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहनों में GPS आधारित ट्रैकिंग सिस्टम और पैनिक बटन लगाना जरूरी होता है. अगर वाहन में कोई दुर्घटना होती है या यात्री किसी परेशानी में फंस जाता है, तो पैनिक बटन दबाते ही संबंधित विभाग और कंट्रोल रूम को तुरंत सूचना मिल जाती है. इससे मदद जल्दी पहुंच सकती है और गंभीर घटनाओं को रोका जा सकता है.
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1 जनवरी 2026 से शुरू होगी सख्त जांच
सरकार ने इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला किया है. 1 जनवरी 2026 से नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन, पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल और वाहन के स्वामित्व ट्रांसफर के समय यह जांच की जाएगी कि वाहन में AIS-140 के अनुसार GPS और पैनिक बटन लगे हैं या नहीं. जिन वाहनों में ये उपकरण नहीं होंगे, उनकी प्रक्रिया VAHAN पोर्टल पर आगे नहीं बढ़ाई जाएगी.
कुछ वाहनों को नियम से छूट
हालांकि, यह नियम सभी वाहनों पर लागू नहीं होगा. ई-रिक्शा, तीन पहिया वाहन और ऐसे वाहन जिन्हें परिवहन परमिट की जरूरत नहीं होती, उन्हें इस नियम से फिलहाल बाहर रखा गया है. बाकी सभी सार्वजनिक सेवा वाहनों के लिए यह व्यवस्था अनिवार्य होगी.
1 अप्रैल 2026 से और कड़े होंगे नियम
सरकार ने साफ कर दिया है कि 1 अप्रैल 2026 से नियम और सख्त कर दिए जाएंगे. इस तारीख के बाद वाहन फिटनेस टेस्ट और प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) के समय भी GPS ट्रैकिंग डिवाइस और पैनिक बटन की जांच होगी. जिन वाहनों में ये उपकरण नहीं होंगे, उन्हें न तो फिटनेस सर्टिफिकेट मिलेगा और न ही PUC. इसके अलावा परमिट जारी करने या नवीनीकरण के दौरान भी इन उपकरणों की मौजूदगी जरूरी होगी.
केवल सरकारी अप्रूव्ड उपकरण ही मान्य
परिवहन विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि केवल सरकारी तौर पर अप्रूव्ड कंपनियों के GPS और पैनिक बटन ही स्वीकार किए जाएं. किसी भी गैर-रजिस्टर्ड या बिना मंजूरी वाले उपकरण को मान्य नहीं माना जाएगा. सरकार का मानना है कि इस फैसले से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुरक्षा, पारदर्शिता और भरोसा तीनों मजबूत होंगे और यात्रियों को ज्यादा सुरक्षित सफर मिल सकेगा.
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