Credit Card से गलती से भी ना करें ये काम, वरना चैन से जीना हो जाएगा मुश्किल!
शॉपिंग करने पर रिवॉर्ड प्वाइंट्स प्राप्त होते हैं और क्रेडिट हिस्ट्री भी बनती है।वहीं कई बिलों को मैनेज करना और उनका समय रहते पेमेंट करना याद रखना कठिन हो सकता है।
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Late Fees on Credit Cards: क्रेडिट कार्ड के उपयोग करने के काफी सारे लाभ हैं। क्रेडिट कार्ज का उपयोग करने पर आपको करीब 45 दिन तक बिना किसी ब्याज के लोन मिलता है। शॉपिंग करने पर रिवॉर्ड प्वाइंट्स प्राप्त होते हैं और क्रेडिट हिस्ट्री भी बनती है।वहीं कई बिलों को मैनेज करना और उनका समय रहते पेमेंट करना याद रखना कठिन हो सकता है। वहीं यदि आपने क्रेडिट कार्ड के भुगतान के लिए ऑटोपे चालू नहीं होता है तो आप बिल का भुगतान करना भूल कर सकते हैं। ऐसे में यदि आप कार्ड का बिल समय पर नहीं चुकाते हैं तो कठिन परिस्थिति आ सकती हैं।वहीं क्रेडिट कार्ड बिल देर से पेमेंट करने पर आपको बड़ी परेशानी भी हो सकती है। पहले तो देर से पेमेंट करने पर जुर्माना लगता था, लेकिन अब ये चार्ज काफी बढ़ गए हैं। यहां पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि आपको क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने का कितना समय लगता है। इसके साथ में ही हम आपको बताएंगे कि क्रेडिट कार्ड पर क्यों पेनाल्टी चार्ज करती है और ये कैसे कैलकुलेट किया जाता है।
सबसे पहले ये जान लें कि क्रेडिट कार्ड का बिल का भुगतान करने के लिए खासतौर पर 14 से 50 दिनों का वक्त दिया जाता है। लेकिन इस पीरियड में भी क्रेडिट कार्ड पेमेंट न करने पर क्रेडिट कार्ड पर चार्ज लगाया जाता है। इसतके अलावा आईसीआईसीआई बैंक समेत कई क्रेडिट कार्ड कंपनियां आपको ब्याज से बचने का एक मौका मिलता है। इसे ग्रेस पीरियड कहा जाता है। ये उस समय होता है जब आप क्रेडिट कार्ड से खरादारी करते हैं, लेकिन उस पर आपको ब्याज नहीं देना होता है। बैंक में ग्रेस पीरियड आम तौर पर 18 से 48 दिनों के बीट का होता है।
ऐसी स्थिति में आपका पेमेंट कितना लेट हैं और आपके कार्ड के नियम क्या है। इसके हिसाब से चार्ज लगेगा। आप क्रेडिट कार्ड का बिल पेमेंट जितना लेट करेंगे, उतना ही ब्याज भी बढ़ता जाएगा। यदि आपने ड्यू डेट यानि कि जमा करने की आखिरी तारीख तक पेमेंट, न किया तो न केवल पेमेंट लगेगी। बल्कि हर रोज ब्याज भी लगेगा।
देश में क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला ब्याज सालाना दर के हिसाब से तय होता है। ये महीने का ब्याज नहीं है। बल्कि पूरे साल ब्याज है। लेकिन मंथली के खर्च पर लगने वाला ब्याज को मंथली दर के हिसाब से कैलकुलेट किया जाता है। ये एपीआर और एमपीआर दोनों ही अलग बैंकों और आपके क्रेडिट कार्ड की हिसाब से बदलते रहते हैं।
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