पीलीभीत में सपा कार्यालय बना तनाव का केंद्र, 7 थानों की पुलिस तैनात... अखिलेश यादव तक पहुंचा मामला
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर संपत्ति विवाद ने तूल पकड़ लिया है. इस बार सूबे का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का पीलीभीत स्थित कार्यालय प्रशासन के निशाने पर है. नगर पालिका ने आरोप लगाया है कि सपा का कार्यालय नियमों को दरकिनार कर अधिशासी अधिकारी (ईओ) के सरकारी आवास में संचालित किया जा रहा है. इसके साथ ही कार्यालय को तत्काल खाली करने का नोटिस जारी कर दिया गया है.

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर संपत्ति विवाद ने तूल पकड़ लिया है. इस बार सूबे का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का पीलीभीत स्थित कार्यालय प्रशासन के निशाने पर है. पार्टी कार्यालय को नगर पालिका द्वारा अवैध कब्जा करार दिए जाने के बाद ज़िला प्रशासन ने स्थान को ख़ाली करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मामले के तूल पकड़ते ही समाजवादी पार्टी और स्थानीय प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं, जबकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तक यह विवाद पहुंच चुका है.
अवैध रूप से संचालित हो रहा है कार्यालय
नगर पालिका ने आरोप लगाया है कि सपा का कार्यालय नियमों को दरकिनार कर अधिशासी अधिकारी (ईओ) के सरकारी आवास में संचालित किया जा रहा है. इसके साथ ही कार्यालय को तत्काल खाली करने का नोटिस जारी कर दिया गया है. स्थिति को देखते हुए पुलिस बल की तैनाती भी कर दी गई है ताकि प्रशासनिक कार्रवाई में कोई बाधा न आए. यह विवाद नया नहीं है. जानकारी देते चले कि वर्ष 2005 में नगर पालिका द्वारा अधिशासी अधिकारी के सरकारी आवास को समाजवादी पार्टी को महज़ 150 रुपये मासिक किराए पर आवंटित किया गया था. उस वक्त यह प्रक्रिया नियमों के तहत बताई गई थी. लेकिन बाद में इसे "अनियमित" करार देते हुए 12 नवंबर 2020 को आवंटन रद्द कर दिया गया. नगर पालिका का कहना है कि उस समय की प्रक्रिया निर्धारित सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं थी.
सपा कार्यालय के बाहर भारी फोर्स
नगर पालिका की ओर से अवैध कब्जे का आरोप लगाते हुए सपा कार्यालय को खाली कराने के निर्देश दिए गए थे, जिसकी अंतिम समयसीमा 10 जून थी. सपा द्वारा निर्देशों की अनदेखी के बाद अब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए आज यानी 18 जून को कार्रवाई की तैयारी कर ली है. इसके तहत 7 थानों की पुलिस फोर्स और करीब 200 सिपाहियों की तैनाती की गई है. बताते चलें कि समाजवादी पार्टी के ज़िलाध्यक्ष आनंद सिंह यादव ने पहले हाईकोर्ट में नगर पालिका के आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन 1 दिसंबर 2020 को उन्होंने याचिका वापस ले ली. इसके बाद 2021 में सपा ने सिविल जज की अदालत में मामला दर्ज कराया, जो फिलहाल विचाराधीन है. इसी कानूनी प्रक्रिया के बीच अब प्रशासनिक कार्रवाई की तैयारी ज़ोरों पर है.
सपा का विरोध तेज
वहीं दूसरी ओर, सपा के लोकसभा प्रभारी वीरपाल सिंह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कार्यालय पहुंचे. वीरपाल सिंह ने प्रशासन की कार्रवाई को ‘अलोकतांत्रिक’ बताते हुए दो स्तरों पर संघर्ष की घोषणा की एक अदालत और एक सड़क पर. उन्होंने कहा, “अगर प्रशासन ने जबरदस्ती की, तो सपा कार्यकर्ता कार्यालय के बाहर लेट जाएंगे. यह केवल एक भवन का मामला नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले की कोशिश है.”
राजनीतिक रंग लेने की संभावना
जैसे-जैसे मामला तूल पकड़ रहा है, राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है. समाजवादी पार्टी इस कार्रवाई को "राजनीतिक बदले की भावना" से प्रेरित बता रही है, वहीं प्रशासन इसे "कानूनी प्रक्रिया" का हिस्सा कह रहा है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, अखिलेश यादव खुद स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं और जल्द ही बयान भी जारी कर सकते हैं.