Advertisement

'सबकुछ फिक्स है, तो चुनाव का क्या मतलब...', एसआईआर विवाद पर गरमाई बिहार की सियासत, तेजस्वी यादव ने दिए चौंकाने वाले संकेत

बिहार में एसआईआर को लेकर विपक्ष ने सख्त रुख अपनाया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रक्रिया पर बेईमानी के आरोप लगाते हुए 2025 के विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की संभावना जताई है. उनका कहना है कि वोटर लिस्ट से लाखों नाम काटे जा रहे हैं और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं. तेजस्वी ने महागठबंधन के सहयोगियों से बातचीत कर बॉयकॉट पर फैसला लेने की बात कही है.

24 Jul, 2025
( Updated: 24 Jul, 2025
10:07 PM )
'सबकुछ फिक्स है, तो चुनाव का क्या मतलब...', एसआईआर विवाद पर गरमाई बिहार की सियासत, तेजस्वी यादव ने दिए चौंकाने वाले संकेत
Photo By X Social Handle

बिहार की राजनीति इन दिनों बेहद गर्म है. वजह है एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन), जिसे लेकर विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है. इस मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का संकेत दे दिया. उनके बयान ने सूबे की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है. तेजस्वी ने कहा कि जब पहले चुनावों में कोई सवाल नहीं उठा, जब लाखों वोटर्स के नाम लिस्ट में थे और उन्हीं वोटर्स ने देश में कई सरकारें बनाई, तो अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि वोटर लिस्ट से लाखों नाम काटे जा रहे हैं? सवाल बड़ा है और इसके पीछे की राजनीति और भी बड़ी.

क्या है एसआईआर विवाद?

एसआईआर, यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन, वोटर लिस्ट के सत्यापन और संशोधन की एक प्रक्रिया है. चुनाव आयोग इसे नियमित प्रक्रिया बताता है, लेकिन विपक्ष को इसमें साजिश नजर आ रही है. तेजस्वी यादव का आरोप है कि इस बहाने लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जा रहे हैं और खास बात ये कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने पहले भाजपा को वोट दिया था, कई सरकारें बनाईं थीं, लेकिन अब जब सत्ताधारी दल को डर लगने लगा है, तो गड़बड़ी की जा रही है. सवाल यह भी है कि क्या ये प्रक्रिया पारदर्शी है? क्या मतदाता को जानकारी दी गई? और अगर नहीं दी गई, तो इसका मतलब साफ है, जनता को उनके वोट के अधिकार से वंचित करना.

तेजस्वी का तीखा प्रहार

तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि जब लोकतंत्र में जनता ही वोट नहीं दे पाएगी, तो चुनाव का क्या औचित्य रह जाता है? उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन के सभी दलों से बातचीत कर वे इस मुद्दे पर चुनाव बहिष्कार का गंभीरता से विचार कर सकते हैं. उनका दावा है कि एसआईआर की आड़ में एक बड़ी साजिश रची जा रही है, जिसका असली खेल एक अगस्त के बाद शुरू होगा. तेजस्वी का आरोप है कि सरकार और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत है और सबकुछ पहले से तय है. उन्होंने यह भी कहा कि इस बार फर्जीवाड़े से चुनाव जीतने की तैयारी हो रही है और अगर ऐसा होता है तो लोकतंत्र की आत्मा ही मर जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला

इस मुद्दे पर एक और दिलचस्प मोड़ तब आया जब तेजस्वी यादव ने सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर पूछा कि जब कोर्ट ने आधार को केवल सलाह के रूप में रखने की बात कही है, तो फिर इसे अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है? उन्होंने राज्य सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी पर भी तंज कसते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? क्या सरकार चुनाव आयोग को बचा रही है? क्या यह सब सिर्फ दिखावे के लिए है और असली गड़बड़ी तो पर्दे के पीछे चल रही है?

आने वाले दिनों में क्या होगा? 

यह भी पढ़ें

बिहार की राजनीति इस वक्त एक बेहद नाजुक मोड़ पर खड़ी है. विपक्ष जहां एसआईआर को लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहा है, वहीं सत्ताधारी दल इस पूरे मामले पर अभी तक खुलकर कुछ नहीं कह रहा. सवाल ये भी है कि अगर चुनाव बहिष्कार की स्थिति बनती है तो उसका असर पूरे राज्य पर क्या होगा? क्या जनता इसे समर्थन देगी या इसे केवल एक राजनीतिक चाल समझेगी? तेजस्वी यादव ने जिस तरह से जनता के वोटिंग अधिकार को छिनने की बात उठाई है, वह आने वाले दिनों में और गंभीर बहस का कारण बन सकता है. इस पूरे घटनाक्रम का एक पहलू यह भी है कि क्या इस तरह के फैसले वास्तव में लोकतंत्र को मजबूत करेंगे या और अधिक कमजोर बनाएंगे? अगर जनता का भरोसा चुनावी प्रक्रिया से उठ गया, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं होगा.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें