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सीएम धामी ने उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी की 100वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि

इंद्रमणि बडोनी का जन्म 24 दिसंबर 1925 को टिहरी गढ़वाल के अखोड़ी गांव में हुआ था. उन्होंने अहिंसक आंदोलन के माध्यम से उत्तराखंड राज्य की मांग को मजबूती दी.

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24 Dec 2025
( Updated: 24 Dec 2025
01:32 PM )
सीएम धामी ने उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी की 100वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि
Image Credits_IANS

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में राज्य आंदोलन के महान नायक और 'उत्तराखंड के गांधी' के नाम से प्रसिद्ध इंद्रमणि बडोनी की 100वीं जयंती पर उनको पुष्पांजलि अर्पित की.

CM धामी ने इंद्रमणि बडोनी की 100वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि

इस अवसर पर सीएम धामी ने बडोनी के जीवन और संघर्ष को याद करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन त्याग, संघर्ष, अहिंसा और जनसेवा को समर्पित रहा. उन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन को दिशा दी, जनशक्ति जुटाई और पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए दूरदर्शी सोच रखी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बडोनी के विचार, संकल्प और निस्वार्थ सेवा भाव आज भी युवाओं और नेताओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं. राज्य सरकार उनके आदर्शों पर चलते हुए उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है.

सीएम धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, "शासकीय आवास पर उत्कृष्ट समाजसेवी एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी नेता श्रद्धेय इंद्रमणि बडोनी की जयंती पर पुष्प अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी. उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए उनका त्याग, संघर्ष और दूरदर्शी नेतृत्व सदैव स्मरणीय रहेगा. प्रदेश की अस्मिता, अधिकारों और जनसेवा को समर्पित उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है."

इंद्रमणि बडोनी का जीवन और योगदान

इंद्रमणि बडोनी का जन्म 24 दिसंबर 1925 को टिहरी गढ़वाल के अखोड़ी गांव में हुआ था. उन्होंने अहिंसक आंदोलन के माध्यम से उत्तराखंड राज्य की मांग को मजबूती दी. 1988 में उन्होंने 105 दिनों की पैदल यात्रा की, जिसमें पिथौरागढ़ से देहरादून तक गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया. 1994 में पौड़ी में आमरण अनशन किया, जिसके बाद उन्हें जेल भेजा गया, लेकिन इससे आंदोलन और तेज हुआ.

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उनकी अहिंसा और सादगी के कारण वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें 'माउंटेन गांधी' कहा. 18 अगस्त 1999 को ऋषिकेश में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी मौत के एक साल बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ. उन्हें राज्य आंदोलन का अनसंग हीरो माना जाता है.

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