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आगरा में नकली दवा के करोड़ों रूपये के काले कारोबार का भंडाफोड़, जानें क्या है पूरा मामला

यूपी के आगरा जिले में नकली दवा के कारोबार का भंडाफोड़ हुआ है। ड्रग विभाग और यूपी पुलिस द्वारा मारी गई छापेमारी में करोड़ों रुपए के रॉ मैटेरियल, कई मशीनें और पशुओं के लिए बनाई जा रही नकली दवाइयां बरामद की गई है।

14 Nov, 2024
( Updated: 14 Nov, 2024
10:08 PM )
आगरा में नकली दवा के करोड़ों रूपये के काले कारोबार का भंडाफोड़, जानें क्या है पूरा मामला

यूपी के आगरा शहर में नकली दवा के कारोबार का भंडाफोड़ हुआ है। यहां पशुओं के लिए नकली दवाइयां बनाई जा रही थी। स्थानीय पुलिस और ड्रग विभाग की टीम ने मिलकर इस कारोबार का भंडाफोड़ किया है। बताया जा रहा है कि बिना लाइसेंस के यह फैक्ट्री संचालित हो रही थी। इस छापे में करोड़ों रुपये के रॉ मटेरियल और नकली दवाइयां बरामद हुई है। फिलहाल इस मामले को लेकर जांच-पड़ताल जारी है। 

आगरा के शास्त्रीपुरम इलाके में चल रही थी नकली दवा की फैक्ट्री 

बता दें कि यह पूरा मामला आगरा जिले के शास्त्रीपुरम इलाके का है। जहां पर 2 नकली दवाईओं की फैक्ट्री संचालित हो रही थी। इस फैक्ट्री में पशुओं के लिए दवाइयां तैयार की जा रही थी। जिसकी गुप्त सूचना मिलते ही आगरा पुलिस,एसओजी सर्विलांस,नगर जोन और सिकंदरा थाने की पुलिस ने छापेमारी की। छापेमारी के दौरान इस फैक्ट्री को संचालित करने वाले सौरभ दुबे और अश्विनी गुप्ता को गिरफ्तार किया गया। इन दोनों के अलावा फैक्ट्री में काम कर रहे प्रोडक्शन मैनेजर, सुपरवाइजर और अन्य कर्मचारियों को भी हिरासत में लिया गया। पूछताछ में इस बात की जानकारी सामने आई है कि बिना लाइसेंस के यह फैक्ट्री लंबे समय से संचालित की जा रही थी। 

देश के कई राज्यों में सप्लाई हो रही थी यह नकली दवाइयां 

इस फैक्ट्री में बन रही नकली दवाइयां गुजरात, पंजाब,मुंबई,यूपी और कई अन्य राज्यों में सप्लाई हो रही थी। पुलिस के मुताबिक यह गोरखधंधा पूरी तरीके से सुनियोजित प्लान के तहत चल रहा था। इन दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले रॉ मैटेरियल मुंबई, दिल्ली और कई अन्य शहरों से मंगवाए जा रहे थे। फैक्ट्री के संचालकों ने उत्तराखंड के काशीपुर और रुड़की में दवा बनाने के नाम पर लोन पर लाइसेंस ले रखा है। बिना लाइसेंस के यह लोग दवाइयां बना रहे थे। कमाल की बात यह है कि यह फैक्ट्री उस जगह पर बनाई गई थी। जहां से लोगों का आना-जाना काफी कम था। दरअसल, ऐसा इसलिए किया गया था ताकि दवाईयों की सप्लाई या गाड़ी में लोडिंग को लेकर कोई समस्या ना आए। 

टास्क फोर्स की पहले से ही इस फैक्ट्री पर थी नजर 

आपको बता दें कि टास्क फोर्स की टीम पहले से ही इस फैक्टरी पर नजर बनाए हुई थी।  लंबे समय से इसकी ट्रैकिंग भी की जा रही थी। पुलिस ने पर्याप्त सबूत इकट्ठा करने के बाद इस फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। मौके पर संचालक गिरफ्तार हुए हैं। बाकी इसके नेटवर्क कहां-कहां से जुड़े हैं। इसको लेकर भी पूछताछ जारी है। फैक्ट्री से बरामद सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है। 

फैक्ट्री में छापेमारी के दौरान करोड़ों रूपये का सामान हुआ बरामद

इस फैक्ट्री से करोड़ों रूपये का सामान बरामद हुआ है। इनमें कई तरह के रॉ मैटेरियल, कई मशीनें और नकली दवाईयों का एक बड़ा स्टॉक है। ड्रग विभाग यह जानने की कोशिश कर रही है कि यह फैक्ट्री कब से संचालित हो रही थी। किन-किन जगहों पर इसकी सप्लाई की जा रही थी। 

डीसीपी सूरज कुमार राय ने क्या कहा? 

डीसीपी सूरज कुमार राय के मुताबिक सिकंदरा थाने में इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले में जो लोग भी शामिल है। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस एक्टिव हो गई है। प्रशासन पूरी तरीके से अपनी निगरानी तेज कर दी है और यह पहली बार नहीं है कि इस तरह का मामला सामने आया है। इससे पहले भी कई नकली दवाओं का कारोबार पकड़ा गया है। इनमें हाल ही में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स द्वारा 80 करोड़ों रुपए की नकली दवा की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। जो आगरा के मोहम्मदपुर इलाके में गुपचुप तरीके से संचालित हो रही थी। 

कितनी खतरनाक है यह नकली दवाइयां? 

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ये नकली दवाइयां पशुओं और इंसान दोनों के लिए खतरनाक हो सकती हैं। किसानों के साथ पशुओं के लिए आर्थिक नुकसान का बड़ा कारण बन सकती हैं। इंसान इन पशुओं के दूध और मांस को खाने की वजह से चपेट में सकता है। क्योंकि इन दवाओं के रसायन इंसान के शरीर में दूध और मांस के  के जरिए पहुंच सकते हैं। 

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