बिना शेड्यूल भारत पहुंचे सऊदी मंत्री, पाकिस्तान को लेकर जुबैर की जयशंकर से अहम बातचीत
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच सऊदी अरब के उप विदेश मंत्री आदेल अल-जुबैर अचानक दिल्ली पहुंचे. इस असामयिक दौरे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. माना जा रहा है कि वह सऊदी नेतृत्व का विशेष संदेश लेकर आए हैं, जिसका उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करना है.

सऊदी अरब के उप विदेश मंत्री आदेल अल-जुबैर अचानक दिल्ली पहुंचे. यह दौरा न तो पहले से तय था और न ही इसका कोई सार्वजनिक कार्यक्रम घोषित किया गया था. ऐसे समय में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, इस दौरे ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में गहरी हलचल मचा दी है. माना जा रहा है कि अल-जुबैर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का विशेष संदेश लेकर भारत पहुंचे हैं, जिसमें पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव को नियंत्रित करने की अपील की गई है.
एस जयशंकर से अहम बैठक
दिल्ली पहुंचने के कुछ घंटों के भीतर ही अल-जुबैर ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से सीधी मुलाकात की. यह मुलाकात गहन और रणनीतिक रही. जयशंकर ने इस मुलाकात की पुष्टि करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, "सऊदी अरब के विदेश मामलों के राज्यमंत्री आदेल अल-जुबैर के साथ अच्छी मुलाकात हुई. आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख को साझा किया." इस बयान से स्पष्ट है कि भारत ने सऊदी अरब को दो टूक शब्दों में अपनी स्थिति से अवगत कराया है और यह स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी.
ईरान के विदेश मंत्री की भी यात्रा
दिलचस्प बात यह है कि अल-जुबैर की यह यात्रा ईरान के विदेश मंत्री सेयद अब्बास अराघची के भारत दौरे के बाद हुई है. अराघची दिल्ली बुधवार रात पहुंचे थे और उनका दौरा पहले से निर्धारित था. उन्होंने जयशंकर के साथ द्विपक्षीय संयुक्त आयोग की बैठक में हिस्सा लिया. इन दो उच्च स्तरीय दौरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिम एशिया के शक्तिशाली देश भारत-पाक तनाव को बहुत गंभीरता से देख रहे हैं और किसी संभावित सैन्य संघर्ष को रोकने की दिशा में सक्रिय हैं.
पहलगाम हमला बना तनाव की वजह
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव की जड़ें 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में हैं. इस हमले में निर्दोष नागरिकों की जान गई और इसका आरोप सीधे तौर पर जैश-ए-मोहम्मद पर लगा. भारत ने इस हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का उदाहरण बताया. इसके बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों ने PoK और पाकिस्तान के अंदर नौ आतंकी ठिकानों की पहचान की, जिन पर 7 मई की सुबह भारत ने सटीक मिसाइल हमले किए. इन हमलों में बहावलपुर जैसे ठिकाने भी शामिल थे, जो जैश का गढ़ माना जाता है.
ऑपरेशन सिंदूर, भारत का निर्णायक कदम
भारत ने इन हमलों को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया है. इस ऑपरेशन का उद्देश्य न केवल पहलगाम हमले के दोषियों को सजा दिलाना था, बल्कि यह पाकिस्तान को यह संदेश देने के लिए भी था कि भारत अब अपनी संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत के पास और कोई विकल्प नहीं था क्योंकि पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को नियंत्रित करने में विफल रहा है.
हालांकि भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू कर दिए, जिनका भारत ने सफलतापूर्वक जवाब दिया. जम्मू-कश्मीर और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. स्कूली संस्थानों को तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया है और कई जिलों में अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी तैनात किए गए हैं.
क्या सऊदी अरब की पहल से होगी शांति?
इन सबके बीच सवाल यह उठता है कि क्या सऊदी अरब की यह कूटनीतिक पहल भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में सफल होगी? इतिहास गवाह है कि जब भी भारत पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई करता है, वैश्विक शक्तियाँ मध्यस्थता के प्रयास शुरू कर देती हैं. लेकिन इस बार भारत का रुख बेहद सख्त है और उसने स्पष्ट कर दिया है कि अब सिर्फ बातचीत से काम नहीं चलेगा, ठोस कार्रवाई चाहिए.
सऊदी उप विदेश मंत्री का भारत दौरा एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक क्षण है. यह दर्शाता है कि वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की भूमिका कितनी अहम हो गई है. अल-जुबैर की यात्रा न केवल शांति का संकेत है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक स्थिति को भी मान्यता देने का प्रतीक है. अब यह पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ क्या कदम उठाता है.