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उत्तराखंड में 'स्वास्थ्य महाकुंभ' की तैयारियां तेज, 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए चलेगा विशेष अभियान

उत्तराखंड सरकार 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक ‘स्वास्थ्य महाकुंभ’ अभियान चलाएगी. मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नेतृत्व में पूरे राज्य में 4604 शिविर लगाए जाएंगे. जनप्रतिनिधियों और आम जनता की भागीदारी से स्वास्थ्य सेवाएँ दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचाई जाएंगी.

उत्तराखंड सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक सुधार और जनजागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आगामी ‘स्वास्थ्य महाकुंभ’ की तैयारियां तेज कर दी हैं. यह अभियान 17 सितंबर यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन से शुरू होकर 2 अक्टूबर, महात्मा गांधी जयंती तक चलेगा. पूरे राज्य में स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, ताकि हर वर्ग तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित की जा सके.

केंद्रीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप होगा अभियान

स्वास्थ्य विभाग के सचिव आर. राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के निर्देशन में स्वास्थ्य पखवाड़े की तैयारियां की जा रही हैं. यह अभियान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार चलाया जाएगा और सभी जिलों में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन होगा.

महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान

समाचार एजेंसी से बातचीत में सचिव ने कहा कि इस बार अभियान का मुख्य विषय ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ रखा गया है. महिलाओं, बच्चों और परिवारों के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी. आयुष्मान आरोग्य मंदिर, जिला अस्पताल, और उप-जिला अस्पतालों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर आवश्यक जांच और उपचार प्रदान किया जाएगा.

स्वास्थ्य सेवाओं का व्यापक दायरा

अभियान में तीन मुख्य पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा:

  • बच्चों और महिलाओं की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग – आवश्यक जांच, पोषण और चिकित्सा सेवाएँ प्रदान की जाएंगी.
  • रक्तदान शिविर – लक्ष्य रखा गया है कि एक लाख यूनिट रक्त एकत्र कर आपातकालीन और आवश्यक इलाज में उपयोग किया जाए.
  • ‘निक्षय मित्र’ पहल – टीबी मरीजों को आर्थिक और सामाजिक सहयोग देने के लिए इस कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जाएगा.

टीबी मरीजों को गोद लेने की अपील

स्वास्थ्य सचिव ने सभी जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों से अपील की है कि वे एक-एक टीबी मरीज को गोद लेकर उनकी सहायता करें. इससे न केवल उपचार में मदद मिलेगी, बल्कि समाज में जागरूकता और सहभागिता भी बढ़ेगी. मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने अभियान को सफल बनाने के लिए हर स्तर पर शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं.

निजी और सरकारी संस्थानों की भागीदारी

अभियान के अंतर्गत प्रदेशभर में 4604 स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे. इसमें सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, और स्वास्थ्य संस्थान भी शामिल होंगे. इन संस्थानों के विशेषज्ञ चिकित्सकों को स्वास्थ्य शिविरों में सेवाएँ देने के लिए जोड़ा जाएगा, जिससे ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों तक विशेषज्ञ उपचार पहुँच सके.

दूरस्थ इलाकों तक सेवाएँ पहुँचेंगी

स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य है कि दूरस्थ और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को भी गुणवत्तापूर्ण उपचार मिल सके. शिविरों में लगाए गए डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मी न केवल जांच और उपचार करेंगे, बल्कि पोषण, टीकाकरण, मानसिक स्वास्थ्य, और रोग निवारण पर भी जागरूकता फैलाएँगे. 

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