PM मोदी 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि से हुए सम्मानित, बोले- संतों से जुड़ा हमारा संस्कार, दोहराए 9 संकल्प
आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित किया गया. समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष स्मृति डाक टिकट और स्मारक सिक्कों का विमोचन भी किया. उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना सरकार की प्राथमिकता है और इसी दिशा में प्राचीन ग्रंथों का डिजिटलीकरण कराया जा रहा है.
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आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित किया गया. यह आयोजन भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की समृद्ध परंपरा को सम्मान देने के उद्देश्य से किया गया था.
समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष स्मृति डाक टिकट और स्मारक सिक्कों का विमोचन भी किया. उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना सरकार की प्राथमिकता है और इसी दिशा में प्राचीन ग्रंथों का डिजिटलीकरण कराया जा रहा है. साथ ही, मातृभाषाओं में नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत भी की जा रही है ताकि भावी पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “मैंने लाल किले से स्पष्ट कहा था कि हमें देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराना है. उसी सोच के तहत हम 'विकास भी, विरासत भी' के मंत्र पर कार्य कर रहे हैं.”
विकास भी, विरासत भी... यही हमारा संकल्प: पीएम मोदी
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज इस अवसर पर आपने मुझे 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि देने का जो निर्णय लिया है, मैं खुद को इसके योग्य नहीं समझता हूं. लेकिन हमारा संस्कार है कि संतों से जो कुछ भी प्राप्त होता है, उसे प्रसाद मानकर स्वीकार किया जाता है. इसलिए मैं आपके इस प्रसाद को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करता हूं और इसे भारती के चरणों में अर्पित करता हूं." प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा, "आज का ये दिन एक और वजह से भी बहुत विशेष है. 28 जून, 1987 को, इसी तिथि पर आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज को आचार्य पद की उपाधि प्राप्त हुई थी. यह केवल एक सम्मान नहीं था, बल्कि एक ऐसी पवित्र धारा की शुरुआत थी, जिसने जैन परंपरा को विचार, संयम और करुणा से गहराई से जोड़ा. आज जब हम उनकी जन्म शताब्दी मना रहे हैं, तब यह तिथि उस ऐतिहासिक क्षण की स्मृति को और भी जीवंत कर देती है. इस पुण्य अवसर पर मैं आचार्य श्री के चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि उनका आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे.
भारत की अमरता का आधार हैं हमारे संतों के विचार: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक परंपरा की महानता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारत विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है और इसका कारण हमारे संतों, ऋषियों और आचार्यों का अमर दर्शन और विचार है. प्रधानमंत्री ने कहा, “हम हजारों वर्षों से अमर हैं क्योंकि हमारे विचार, चिंतन और दर्शन अमर हैं. आचार्य विद्यानंद जी इसी परंपरा के आधुनिक प्रकाश स्तंभ हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि जब दुनिया हिंसा से हिंसा मिटाने में लगी थी, तब भारत ने अहिंसा की शक्ति का मार्ग दिखाया और मानवता की सेवा को सर्वोपरि रखा. प्रधानमंत्री ने ‘नवकार महामंत्र दिवस’ की भी स्मृति ताज़ा करते हुए कहा कि उस दिन देशवासियों से 9 संकल्प लेने का आह्वान किया गया था. “मुझे खुशी है कि बड़ी संख्या में लोग इन संकल्पों को निभा रहे हैं. आचार्य श्री का मार्गदर्शन इन प्रयासों को और मजबूती देता है,”
प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराए 9 संकल्प
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य विद्यानंद जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह में कहा कि जब दुनिया हिंसा को हिंसा से रोकने का प्रयास कर रही थी, तब भारत ने अहिंसा की शक्ति से नई दिशा दिखाई. उन्होंने दोहराया कि सरकार देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराने के संकल्प के साथ काम कर रही है.इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने ‘नवकार महामंत्र दिवस’ पर दिए गए 9 संकल्पों को एक बार फिर याद दिलाया और लोगों से इन्हें अपनाने की अपील की. इनमें जल संरक्षण, मां की स्मृति में वृक्षारोपण, स्वच्छता, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना, भारत भ्रमण, प्राकृतिक खेती, स्वस्थ जीवनशैली, योग और खेल को जीवन में शामिल करना तथा गरीबों की मदद करना शामिल हैं
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