Pahalgam Attack: कश्मीर के टैक्सी वालों ने खून, पैसे, मोबाइल, गाड़ी जैसी हरसंभव मदद का ऐलान
Pahalgam: अब कश्मीर में किसी बुरहान वानी जैसे आतंकवादियों के लिए लोग सड़कों पर नहीं उतरते हैं, अब मस्जिदों से हिंदुओं के खिलाफ कत्लेआम की आवाज नहीं निकलती है, क्योंकि अब कश्मीर बदल गया है, जिसका सबूत उस वक्त देखने को मिला जब आतंकवादियों ने पहलगाम में दिनदहाड़े बेकसूर हिंदुओं पर गोलियों बरसा कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया !

पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों के हमले से धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर पहले भी दहलता था. और आज भी दहलता है. फर्क बस इतना है कि अब कश्मीर में किसी बुरहान वानी जैसे आतंकवादियों के लिए लोग सड़कों पर नहीं उतरते हैं.अब मस्जिदों से हिंदुओं के खिलाफ कत्लेआम की आवाज नहीं निकलती है. क्योंकि अब कश्मीर बदल गया है. जिसका सबूत उस वक्त देखने को मिला जब आतंकवादियों ने पहलगाम में दिनदहाड़े बेकसूर हिंदुओं पर गोलियों बरसा कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
जिस कश्मीर की घाटी सैलानियों की वजह से गुलजार हुआ करती थी.उस घाटी में 22 अप्रैल को सैलानियों की चीख पुकार सुनाई दे रही थी.क्योंकि पहलगाम में धर्म पूछ कर हिंदुओं को मौत के घाट उतारा जा रहा था.और एक-एक कर 26 से ज्यादा लोगों को मार दिया गया. इस आतंकी वारदात के बाद जहां पूरे देश में गुस्सा है. तो वहीं कश्मीर के लोगों में भी गुस्सा देखा जा रहा है. यही वजह है कि जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने खुद एक बयान में कहा कि आज हमारा सिर शर्म से झुक गया.
पहलगाम आतंकी हमले में बड़ी संख्या में हिंदुओं को उनका धर्म पूछ कर मारा गया. तो वहीं सैयद आदिल हुसैन शाह नाम के एक कश्मीरी को भी मार दिया गया.
कश्मीर से आई ये तस्वीर बता रही है आतंकवादियों ने ना तो सैलानियों को बख्शा और ना ही उन सैलानियों को घुमाने वाले सैयद आदिल हुसैन को. सभी को गोलियों से भून कर मौत के घाट उतार दिया.
आमतौर पर कश्मीर के पहलगाम में शाम 6 से सात बजे तक टैक्सी स्टैंड बंद कर दिया जाता है. लेकिन 22 अप्रैल को जब आतंकी हमला हुआ तो कश्मीर के टैक्सी वाले भी इस मुश्किल वक्त में सैलानियों के साथ खड़े नजर आए. और देर रात तक टैक्सी सेवा जारी रखी जिससे घायल सैलानियों की हर संभव मदद की जा सके.
ट्रांसपोर्ट से लेकर फोन तक. पैसे से लेकर खून देने तक. किसी भी मदद के लिए पहलगाम के टैक्सी ड्राइवर पूरी तरह से मुस्तैद नजर आए.और एक नंबर भी जारी
कश्मीर से आई एक ये तस्वीर है जहां कश्मीर के लोग मदद के लिए तैयार नजर आए तो वहीं दूसरी तरफ एक वो तस्वीर है जब पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए दो लोकल कश्मीरी आदिल अहमद ठाकुर और आशिफ शेख ने भी पाकिस्तानी आतंकवादियों की पूरी मदद की. जिन्होंने हिंदुओं के साथ साथ कश्मीर के रहने वाले सैयद आदिल हुसैन को भी मार दिया.
जिस कश्मीर के मस्जिदों से नब्बे के दशक में हिंदुओं को मारने के लिए आवाज गूंजा करती थी उस कश्मीर के मस्जिदों से अब आतंकवाद के खिलाफ आवाज गूंजती है. जिसका सबूत है पहलगाम हमले के बाद वहां की जामा मस्जिद से गूंजती ये आवाज.
जो लोग पूछते हैं कश्मीर में क्या बदलाव आया है उन्हें कश्मीर की मस्जिद से निकलने वाली ये आवाज जरूर सुननी चाहिए. कैसे पहलगाम आतंकवादी हमले के विरोध में मस्जिद से आवाज गूंज रही है. सड़कों पर कैंडल मार्च निकाला जा रहा है. यहां तक कि इस आतंकी वारदात के खिलाफ पूरा कश्मीर बंद रहा. लोगों ने अपनी दुकानें तक बंद कर दी. और मोदी सरकार से पहलगाम हमले के दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की.