ट्रंप द्वारा भारत को 'Dead Economy’ कहने पर राहुल गांधी के 'I am Glad' वाले बयान पर कांग्रेस नेताओं ने दिखाया आइना, कहा-ऐसा बिल्कुल नहीं!
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर हमला बोलते इसे ‘डेड इकोनॉमी’ करार दिया, जिस पर राहुल गांधी ने अपनी सहमति जता दी. राहुल गांधी के ‘डेड इकोनॉमी’ वाले बयान पर कांग्रेस के अंदर से ही विरोध देखने को मिल रहे हैं. राजीव शुक्ला, शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम से लेकर अन्य नेताओं ने ना सिर्फ ट्रंप के बयानों की आलोचना की, भारत की अर्थव्यवस्था पर अपमानजनक और गलतबयानी के लिए लताड़ा बल्कि इशारों ही इशारों में राहुल गांधी को आइना भी दिखाने का काम किया.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों दुनियाभर में भारत, चीन, रूस, कनाडा और ब्राजील सहित कई देशों के साथ मोर्चा खोले हुए हैं. उन्होंने बीते दिनों भारत पर आरोप रूस के साथ सैन्य संबंध रखने, दुनिया में सबसे ज्यादा कठिन ट्रेड टैरिफ होने के आरोप लगाते हुए एक तरफा 25% टैरिफ और जुर्माना ठोकने का ऐलान किया. ट्रंप और उनके सहयोगी लगातार हिंदुस्तान को झुकने की धमकी दे रहे हैं और अपमानजनक शब्दों की धमकी दे रहे हैं. ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में ये तक कहा कि ये ‘Dead Economy’ है.
ट्रंप के बयान की गूंज वॉशिंगटन से लेकर नई दिल्ली तक सुनाई दी. ट्रंप के इसी स्टेटमेंट को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लपक लिया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि भारत की अर्थव्यवस्था डेड यानी कमजोर है, जिसके लेकर राहुल से सवाल किया गया कि वो क्या सोचते हैं. राहुल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि ट्रंप ने ऐसा कहा है.
राहुल ने कहा:
वे अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से सहमत हैं. उन्होंने कहा, वे (ट्रंप) सही हैं. प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर हर कोई यह बात जानता है. मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने सबके सामने फैक्ट रखा."
ट्रंप ने क्या कहा था:
भारत से आयात पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाने की घोषणा करने के कुछ घंटों बाद ट्रंप ने कहा,
"भारत और रूस अपनी बर्बाद अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ गर्त में ले जा सकते हैं. मुझे परवाह नहीं है कि भारत, रूस के साथ क्या करता है. हमने भारत के साथ बहुत कम व्यापार किया है, उनके शुल्क बहुत अधिक हैं.’’ राहुल गांधी के डेड इकोनॉमी वाले बयान पर कांग्रेस के अंदर से ही विरोध देखने को मिल रहे हैं. राजीव शुक्ला, शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम से लेकर अन्य नेताओं ने ना सिर्फ ट्रंप के बयानों की आलोचना की, भारत की अर्थव्यवस्था पर अपमानजनक और गलतबयानी के लिए लताड़ा बल्कि इशारों ही इशारों में राहुल गांधी को आइना भी दिखाने का काम किया.
शशि थरूर बीते दिन राहुल गांधी के बयान से इतर कहा कि हमारे पास एक अच्छा और मजबूत घरेलू बाजार है. हमें अपने डील मेकर्स को ज्यादा से ज्यादा मौके डील करने के लिए देना चाहिए और उन्हें पूरा समर्थन देना चाहिए. थरूर का ये बयान राहुल गांधी के लिए एक तरह से झटका है.
वहीं बीसीसीआई के सचिव और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने भी ट्रंप के बयान पर आपत्ति जताई और इसे सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने दो टूक लहजे में साफ कर दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था किसी मायने में कमजोर नहीं है. अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप गलतफहमी में जी रहे हैं. उन्होंने अमेरिका-पाकिस्तान ऑयल डील पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने आगे कहा: "पाकिस्तान के साथ अमेरिका की ऑयल डील को लेकर हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है. कोई भी देश यह तय नहीं कर सकता कि हम किसके साथ व्यापार कर सकते हैं और किसके साथ नहीं."
वहीं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और तमिल नाडु से कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा,"ट्रंप कोई सीजंड और पारंपरिक राजनेता नहीं हैं. वो कूटनीति के सामान्य प्रोटोकॉल और दो देशों के बीच संबंधों के नियम के आधार पर काम नहीं करते. वह बहुत अनप्रिडेक्टेबल हैं. हमें उन्हें वैसे ही रहने देना चाहिए जैसे वे हैं. हमें तुरंत पैनिक यानी कि घबराना नहीं चाहिए. ये सभी बातचीत के शुरुआती चरण हैं. मुझे उम्मीद है कि सरकार धैर्य बनाए रखेगी, बातचीत जारी रखेगी और अमेरिका के साथ समझौता करेगी."
वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने X पर लिखा, "डोनाल्ड ट्रंप ने शायद 1947 से चली आ रही भारत की स्ट्रैटजिक ऑटोनॉमी को अब तक की सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दी है. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गुटनिरपेक्षता की नीति लागू की, जिसे आज मल्टी-अलाइनमेंट कहा जाता है. फिर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसे आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ाया और आज भारत आत्मनिर्भर कहा जा रहा है. ये वे रणनीतिक सिलसिले हैं जो भारत को दुनिया से अपनी शर्तों पर और अपने सर्वोच्च नेशनल इंटेरेस्ट हित में जुड़ने की लचीलापन देते हैं. क्या डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकी उस स्ट्रेटजिक ऑटोनॉमी को कोई फर्क पहुंचाएगी, जिसे हमने दशकों से और अलग-अलग सरकारों के तहत बनाया है? बिल्कुल नहीं."
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