J&K: काजल की दर्द भरी कहानी बता रही है कैसी जिंदगी जी रहे हैं कश्मीरी पंडित ?
Kashmir: साल 2011 में जब जनगणना हुई थी उस वक्त कुपवाड़ा जिले में 98 फीसदी मुसलमानों की आबादी थी और महज दो फीसदी हिंदू थे… तो जरा सोचिये आज उस कुपवाड़ा में हिंदुओं की कितनी आबादी होगी, कहते हैं अब तो सिर्फ एक ही कश्मीरी पंडित का घर बचा है और वो घर है इस बहादुर लड़की काजल पंडित का, जिनके घर NMF NEWS के पत्रकार सुमित तिवारी पहुंचे तो सुनिये कैसे काजल पंडित ने अपना दर्द बयां किया !
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जिस कश्मीर की कमान कभी एक हिंदू के हाथ में थी. जिस कश्मीर के राजा कभी हरि सिंह हुआ करते थे. किसने सोचा था एक दिन ऐसा भी आएगा जब उसी कश्मीर से हिंदुओं को भगा दिया जाएगा. नब्बे के दशक में कुछ ऐसा ही हुआ था जब मस्जिदों से कश्मीरी पंडितों के खिलाफ ऐलान हो रहे थे. और उन्हें घाटी छोड़ने का फरमान सुनाया जा रहा था.जिसके खौफ से बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदुओं ने घाटी छोड़ दी थी.तो वहीं कुछ कश्मीरी पंडित ऐसे भी थे. जिन्होंने आतंकियों के डराने धमकाने के बावजूद अपना घर बार नहीं छोड़ा. वहीं कश्मीर में बसे रहे. जिनमें एक परिवार काजल पंडित का भी है.जो 98 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले कुपवाड़ा जिले में रहता है.
साल 2011 में जब जनगणना हुई थी. उस वक्त कुपवाड़ा जिले में 98 फीसदी मुसलमानों की आबादी थी. और महज दो फीसदी हिंदू थे. तो जरा सोचिये आज उस कुपवाड़ा में हिंदुओं की कितनी आबादी होगी. कहते हैं अब तो सिर्फ एक ही कश्मीरी पंडित का घर बचा है. और वो घर है इस बहादुर लड़की काजल पंडित का. जिनके घर NMF NEWS के पत्रकार सुमित तिवारी पहुंचे तो सुनिये कैसे काजल पंडित ने अपना दर्द बयां किया.
घर से सात किलोमीटर दूर जाकर 12 वीं की पढ़ाई करने वालीं काजल पंडित ने सपना तो देखा है डॉक्टर बनने का. लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं कि उनका ये सपना पूरा हो पाएगा. क्योंकि घर में 70 साल के बुजुर्ग पिता रहते हैं. और मां घर का काम काज संभालती है. ऐसे में मेडिकल की महंगी पढ़ाई का खर्च ये परिवार भला कैसे उठाएगा. बस यही सोच सोच कर काजल पंडित और उनके पिता भावुक हो जाते हैं.
मन में डॉक्टर बनने का ख्वाब पाल रही कश्मीर की बेटी काजल पंडित के पिता बुजुर्ग हैं. वो बाहर मेहनत मजदूरी भी नहीं कर सकते हैं. ऐसे में उनके पास बस एक ही सहारा है अपना बाग.जहां से कुछ आमदनी है.
काजल पंडित का सपना है डॉक्टर बनने का. लेकिन उनके सपने में परिवार की आर्थिक तंगी एक बड़ी रुकावट बन रही है. जिसे दूर करने के लिए खुद पत्रकार सुमित तिवारी ने कदम उठाया और सोशल मीडिया पर काजल पंडित के परिवार के लिए आवाज उठाते हुए एक पोस्ट में लिखा. "मिलिए काजल पंडित और उनके परिवार से कुपवाड़ा जिले में एक मात्र कश्मीरी पंडित और बहादुर कश्मीरी पंडित लड़की बची हैं, काजल के पिता का उम्र 70 वर्ष है पारिवारिक हालत दयनीय है, काजल पढ़ कर डॉक्टर बनाना चाहती है आपकी मदद से काजल का सपना पूरा हो सकता है और कुपवाड़ा जिले में एक मात्र कश्मीरी पंडित परिवार की हालत सुधर सकती है वीडियो में बारकोड दिया है अगर आप को वीडियो देखने के बाद लगता है कि इस बहन की मदद करनी चाहिए तो कर सकते है"
पत्रकार सुमित तिवारी ने अपनी पोस्ट में एक बारकोड भी शेयर किया है जिसके जरिये पैसे भेज कर कोई भी काजल पंडित के परिवार की मदद कर सकता है. और इस एक कदम के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने काजल के परिवार की मदद भी की. जिससे वो डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा कर सके और परिवार की मदद कर सके.
आपको बता दें 1990 में जब कश्मीरी पंडितों का नरसंहार कर के घाटी से उन्हें भगा दिया गया था.उस वक्त भी काजल के पिता ने अपना घर नहीं छोड़ा. और आज उनके परिवार की हालत ऐसी है कि बढ़ती उम्र की वजह से ना तो वो खुद काम कर सकते हैं. और ना ही मोदी सरकार की ओर से आवास योजना का लाभ मिला ना आयुष्मान कार्ड बना. इतना ही नहीं. बुजुर्ग होने के बावजूद उन्हें सरकारी पेंशन भी नहीं मिलती है. इसी बात से समझ सकते हैं कि कैसी जिंदगी जी रहे हैं कश्मीरी पंडित. अगर आप भी काजल पंडित के परिवार की मदद करना चाहते हैं तो डिस्क्रिप्शन में दिये लिंक पर जाकर बार कोड के जरिये मदद कर सकते हैं.
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