अपने पद से इस्तीफा देकर बीजेपी को बड़ी 'मुसीबत' दे गए जगदीप धनखड़! पार्टी के सामने खड़ी हुई 2 बड़ी चुनौतियां
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी के लिए 2 बड़ी टेंशन खड़ी कर दी है. पहला यह है कि अगले उपराष्ट्रपति के चयन के लिए पार्टी ऐसे उम्मीदवार का चयन करे, जिसकी विचारधारा बीजेपी से मेल खाती हो, दूसरा विपक्ष भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकता है. बता दें कि दोनों सदनों को मिलाकर इस चुनाव में कुल 782 सांसदों का इलेक्टोरल कॉलेज होगा. इनमें एनडीए के पास 425 सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी को दोनों ही तरफ से सतर्क रहना होगा.
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक से दिए गए इस्तीफे का कारण अभी भी किसी को समझ नहीं आया है. पूरा देश उनके इस फैसले से शॉक्ड है. सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा चल रही है कि उन्हें जबरदस्ती इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है. हालांकि, उन्होंने अपने पत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है. इस बीच धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. लेकिन जगदीप धनखड़ ने जाते-जाते बीजेपी के लिए बड़ी टेंशन खड़ी कर दी है. पार्टी के सामने 2 बड़ी चुनौतियां हैं.
जगदीप धनखड़ ने बीजेपी को दी बड़ी टेंशन
पूर्व राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी के लिए 2 बड़ी टेंशन खड़ी कर दी है. पहला यह है कि अगले उपराष्ट्रपति के चयन के लिए पार्टी ऐसे उम्मीदवार का चयन करे, जिसकी विचारधारा बीजेपी से मेल खाती हो, दूसरा विपक्ष भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकता है. बता दें कि दोनों सदनों को मिलाकर इस चुनाव में कुल 782 सांसदों का इलेक्टोरल कॉलेज होगा. इनमें एनडीए के पास 425 सांसद हैं. बीजेपी को दोनों ही तरफ से सतर्क रहना होगा.
साल 1991 से शुरू किया था राजनीतिक सफर
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपना राजनीतिक करियर साल 1991 में जनता दल के साथ बतौर सांसद शुरू किया था. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की और फिर वह बीजेपी में आ गए. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक सीनियर वकील की भी भूमिका निभाई है. धनखड़ जब सुप्रीम कोर्ट में वकील थे, तब उन पर बीजेपी की नजर गई और उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया. उस दौरान उनकी ममता बनर्जी सरकार के साथ हमेशा किसी न किसी मसले पर ठनी रहती थी. उसके बाद साल 2022 में वह बतौर उपराष्ट्रपति चुने गए.
'हर मामलों में वह मुखर रहते थे'
जगदीप धनखड़ की बात की जाए, तो भले ही वह उपराष्ट्रपति के पद पर थे, लेकिन वह हर एक मामलों पर मुखर रहते थे और पारंपरिक तरीके से हर एक पर सवाल भी उठाते रहते थे. यहां तक कि वह बीजेपी के भी कई मुद्दों पर भी सवाल उठाते रहे हैं. उनके इस्तीफे के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष द्वारा महाभियोग का प्रस्ताव स्वीकार करने को लेकर सरकार नाराज चल रही है. यही वजह है कि उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है.
'उम्मीदवार चुनते समय फूंक-फूंककर रखना होगा कदम'
उपराष्ट्रपति का पद खाली होने के बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है. चुनाव आयोग ने रिटर्निग ऑफिसर का भी ऐलान कर दिया है. ऐसे में बीजेपी भी अपने उम्मीदवार के चयन को लेकर तैयारियों में जुट गई है. एनडीए के कई नेताओं का ऐसा मानना है कि उम्मीदवार चुनते समय इस बार फूंक-फूंककर कदम रखा जाएगा. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि राज्यसभा के उपसभापति रहते हुए हरिवंश नारायण सिंह ने भी सरकार का भरोसा जीता है. वह पीएम मोदी और नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते हैं. उम्मीद है कि वह एनडीए के पसंदीदा चेहरे हो सकते हैं. उनके पास राज्यसभा का भी अनुभव है, जो उपराष्ट्रपति पद के लिए काफी काम आ सकता है. हालांकि, अभी पार्टी के अंदर इस विषय को लेकर कोई चर्चा नहीं है, लेकिन लोग इस बात का अंदाजा लगा रहे हैं कि भविष्य में किसी भी फैसले से पहले एनडीए इन सब चीजों का खास ध्यान रखेगी. उपराष्ट्रपति के चयन को लेकर इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि आने वाले समय में बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में उपराष्ट्रपति पद के लिए जो भी चुना जाए, वह इन राज्यों के चुनाव पर किसी भी तरह का कोई नेगेटिव प्रभाव ना डाले.
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