गुरु हमारे, आदर्श हमारे सावरकर...DU, HU, PU-PUSU में जीत के बाद ABVP का जोश हाई, लेफ्ट के गढ़ JNU में लगे नारे
देश के कई विश्वविद्यालयों में ABVP की जीत ने संगठन के कार्यकर्ताओं का जोश हाई कर दिया है. इसी कड़ी में लेफ्ट के गढ़ जेएनयू में परिषद के लोगों ने वीर सावरकर को लेकर नारे लगाए हैं. छात्रों ने तो उन्हें आदर्श, गुरु तक कहा है. अब ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
Follow Us:
बीते दिनों देश की दो बड़ी यूनिवर्सिटी, राजधानी दिल्ली में स्थित दिल्ली यूनिवर्सिटी और साउथ में यानी कि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में स्थित हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के रिजल्ट सामने आए, जहां भगवा लहरा और कांग्रेस-लेफ्ट को तगड़ी हार झेलनी पड़ी. DU और HU में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की प्रचंड जीत हुई. इसी के साथ देश के कई विश्वविद्यालयों मसलन पटना यूनिवर्सिटी PUSU, DUSU, PU, HU में परिषद ने झंडा गाड़ा. इसी के बाद JNU में भी संगठन के लोगों, छात्रों का जोश हाई है. इसी कड़ी में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि कुछ छात्र और युवा सावरकर-सावरकर के नारे लगा रहे हैं.
सावरक को आम जनमास में फिर से जिंदा करने के लिए राहुल गांधी का धन्यवाद करना चाहिए. किसी चीज को इतना न बोलो कि लोग उसकी पूजा करना शुरू हो जाएं. यही कुछ हो रहा है. PU, DU, HU जीत के बाद अब JNU की तैयारी, एक दिन जरूर फतह होगा.
— Guddu Khetan (@guddu_khetan) September 22, 2025
सावरकर-सावरकर - गुरु हमारे सावरकर - आदर्श हमारे सावरकर pic.twitter.com/peF4I3kN3F
JNU में लगे सावर मेरे आदर्श के नारे
दरअसल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे कुछ छात्र ढोल और ABVP के झंडे के साथ मंडली लगाकर सावरकर के गुणगान कर रहे हैं और नारे लगाते हुए कह रहे हैं “सावरकर सावरकर, गुरु हमारे सावरकर, आदर्श हमारे सावरकर”
सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा वीडियो
इस वीडियो को शेयर करते हुए अभय प्रताप सिंह नाम के एक X यूजर ने लिखा कि “ये नया JNU है जहां ABVP के नेतृत्व में देश के Gen Z वीर सावरकर की जय जयकार कर रहे हैं.” अभय ने आगे लिखा कि देश के “Gen-Z के सहयोग से PU जीता है, DU जीता है, HCU जीता है, JNU भी जीता जाएगा और वामपंथ को ध्वस्त कर भगवा लहराया जाएगा.”
इसी वीडियो पर एक अन्य X यूजर (@NituTiw81600052) ने लिखा कि Gen Z अब नए विचारों और नई ऊर्जा के साथ वीर सावरकर के आदर्शों पर चल रहा है..ABVP का परचम हर विश्वविद्यालय में लहरा रहा है और JNU भी अपवाद नहीं होगा..
वामपंथ का पतन तय है, राष्ट्रवाद की जीत निश्चित है.
DUSU में ABVP की प्रचंड जीत
दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ DUSU में ABVP ने तीन अहम पदों अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पर जीत दर्ज की और भगवा लहरा दिया. डूसू अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के आर्यन मान ने 16,196 मतों के अंतर से, सचिव पद पर कुणाल चौधरी ने 7,662 मतों के अंतर से, तथा संयुक्त सचिव पद पर दीपिका झा ने 4,445 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर यह दूसरी सबसे बड़ी जीत है. ये जीत इसलिए भी बड़ी थी क्योंकि राहुल गांधी के जेन जी को लेकर दिए गए बयान के बीच यहां छात्र संघ के चुनाव हुए थे और राहुल की व्यक्तिगत रूप से सक्रियता रही थी.
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में भी ABVP ने गाड़ा झंडा
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव (DUSU) में शानदार जीत दर्ज करने के बाद अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के छात्र संघ चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख पदों पर जीत दर्ज की है. लंबे समय से वामपंथी और दलित छात्र संगठनों के प्रभाव में रही यूनिवर्सिटी में यह नतीजे एबीवीपी के लिए ऐतिहासिक माने जा रहे हैं.
एबीवीपी पैनल से शिवा पालेपू अध्यक्ष चुने गए हैं. उपाध्यक्ष पद देवेंद्र ने जीता, जबकि श्रुति महासचिव बनीं. संयुक्त सचिव का पद सौरभ शुक्ला को मिला, खेल सचिव ज्वाला प्रसाद और सांस्कृतिक सचिव का पद वीनस के नाम रहा. केवल पदाधिकारी ही नहीं, बल्कि काउंसलर और बोर्ड सदस्य पदों पर भी एबीवीपी ने बहुमत हासिल किया.
पंजाब यूनिवर्सिटी में भी विद्यार्थी परिषद का कब्जा
पंजाब यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनावों में भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इतिहास रच दिया. एबीवीपी ने पांच दशक बाद अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया और उसके प्रत्याशी गौरव वीर सोहल नए अध्यक्ष चुने गए. ये कामयाबी अपने आप में बड़ी है क्योंकि यहां उसका आप, कांग्रेस, शिअद सहित कई मजबूत पार्टियों की स्टूडेंट विंग से मुकाबला था.
पटना यूनिवर्सिटी में भी भगवा लहर
इसी साल मार्च में हुए पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ यानी Patna University Students Union चुनाव में ABVP ने बाजी मारी. ABVP की उम्मीदवार मैथिली मृणालिनी ने शानदार जीत अपने नाम की. इतना ही नहीं इस बार 5 में से 3 पदों पर महिलाओं ने ही झंडा गाड़ा है.
क्यों सुर्खियों में रहते हैं वीर सावरकर?
आपको बताएं कि स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर बीजेपी और संघ की वैचारिकी के अगुआ माने जाते हैं. कांग्रेस पार्टी वीर सावरकर की आलोचना करती रहती है. विशेषकर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अक्सर सावरकर पर हमलावर रहते हैं. उन्हें अंग्रेजी शासन का समर्थक बताते रहते हैं, लेकिन देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई माैकों पर सावरकर की देशभक्ति की प्रशंसा की और स्वतंत्रता संघर्ष में उनके योगदान को याद किया. इसी कारण ये एक पॉलिटिकली रूप से गरम मुद्दा रहा है.
जब इंदिरा गांधी ने की थी सावरकर की तारीफ
26 फरवरी 1966 को वीर सावरकर का निधन हो गया. उनके निधन पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि वह एक महान शख्स थे. उनका नाम साहस और देशभक्ति का पर्याय है. वह एक महान क्रांतिकारी थे. अनगिनत लोगों ने उनसे प्रेरणा ली.
इंदिरा गांधी ने कहा था कि आज हमने एक महान क्रांतिकारी को खो दिया. सावरकर साहस व वीरता के प्रतीक थे. उन्होंने अपने संघर्षों से साहस व त्याग का एक नया मापदंड स्थापित किया. आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका सराहनीय रही. उन्होंने अपने संघर्षों से आजादी का मार्ग प्रशस्त किया. जिस पर चलकर आगे देश को परतंत्रता से मुक्ति मिली और लोग आजाद हवा में सांस ले सकें.
इंदिरा ने जब सावरकर को लेकर लिखी थी चिट्ठी
8 मई 1980 को वीर सावरकर की 100वीं जयंती पर इंदिरा गांधी ने स्वातंत्र्य वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सचिव पंडित बाखले को पत्र लिखा था. पत्र में इंदिरा गांंधी ने लिखा था, "प्रिय श्री बाखले, मुझे आपका 8 मई 1980 का लिखा पत्र प्राप्त हुआ. वीर सावरकर का हमारे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण स्थान है. उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ बहुत साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी. मैं भारत के इस असाधारण सपूत की जन्म शताब्दी मनाने की योजनाओं की सफलता की कामना करती हूं. इसके जरिए नई पीढ़ी के लोग भारत माता के इस सपूत के संघर्षों से परिचित होंगे और उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे."
उन्होंने लिखा था, "वीर सावरकर ने अपना पूरा जीवन भारत माता को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने में लगा दिया. उनके इस अथक संघर्ष को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता."
यह भी पढ़ें
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी के नेता अक्सर वीर सावरकर की आलोचना करते रहते हैं. वे उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं. उन्हें अंग्रेजी साम्राज्य का समर्थक करार देते रहे हैं. अंडमान के सेलुलर जेल की काल कोठरी में बिताए उनके वर्षों के संघर्ष को नजरंदाज करते रहते हैं. इसे लेकर अक्सर भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी होती रहती है.
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें