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भारत ने चीन को दिया बड़ा झटका...अमेरिका में Made in India स्मार्टफोन की धूम, बाजार में तीन गुना से ज्यादा बढ़ी हिस्सेदारी

भारत ने स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक बड़ा इतिहास रच दिया है. जनवरी से मई 2025 के बीच अमेरिका को भारत से स्मार्टफोन निर्यात में तेज बढ़ोतरी हुई है, जिससे भारत की हिस्सेदारी 11% से बढ़कर 36% हो गई, जबकि चीन की हिस्सेदारी 82% से घटकर 49% रह गई। इस बदलाव में भारत में बने iPhone का अहम योगदान है.

26 Jul, 2025
( Updated: 27 Jul, 2025
03:38 PM )
भारत ने चीन को दिया बड़ा झटका...अमेरिका में Made in India स्मार्टफोन की धूम, बाजार में तीन गुना से ज्यादा बढ़ी हिस्सेदारी

भारत ने स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक बड़ा इतिहास रच दिया है. साल 2025 के शुरुआती पांच महीनों में भारत ने अमेरिका को 21.3 मिलियन स्मार्टफोन यूनिट्स निर्यात किए, जो पिछले साल की तुलना में तीन गुना से भी ज्यादा है. इस निर्यात का कुल मूल्य लगभग 9.35 अरब डॉलर यानी करीब 78,000 करोड़ रुपये रहा. इतना ही नहीं, अमेरिका के स्मार्टफोन आयात में भारत की हिस्सेदारी 2024 के 11% से बढ़कर 36% हो गई है, जबकि चीन, जो अब तक इस बाजार पर राज करता था, उसकी हिस्सेदारी 82% से घटकर 49% रह गई है. यह बदलाव किसी एक कदम या योजना का परिणाम नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित रणनीति और सरकार के सहयोग से तैयार हुआ परिवर्तन है, जिसमें ऐपल की भूमिका सबसे अहम रही है.

भारत बना प्रोडक्शन हब

भारत में बने iPhone आज अमेरिका की दुकानों तक पहुंच रहे हैं और यह बदलाव यूं ही नहीं आया. ऐपल ने भारत में 2020 से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को तेज़ी से बढ़ाया. आज ऐपल की वैश्विक iPhone उत्पादन क्षमता का 20% भारत से आता है. शुरुआत में केवल पुराने मॉडल भारत में बनते थे, लेकिन अब हाई-एंड प्रो रेंज भी यहीं तैयार हो रही है. फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे तीन प्रमुख कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं और इनसे तैयार करीब 70% iPhone सीधे अमेरिका निर्यात हो रहे हैं. भारत की यह प्रगति केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चीन पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक ठोस कदम है.

ट्रम्प की टैरिफ धमकी ने बढ़ाई चिंता, लेकिन भारत डिगा नहीं

मई 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान देकर टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अमेरिका में बिकने वाले iPhone अब भारत या किसी अन्य देश में नहीं बनने चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा हुआ तो Apple को 25% टैरिफ चुकाना पड़ेगा. ट्रम्प का यह बयान अमेरिका में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की उनकी नीति का हिस्सा है, लेकिन इसने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि, Apple ने इस धमकी पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन उनके कदम इस बात की ओर संकेत करते हैं कि भारत की रणनीति में कोई बदलाव नहीं आने वाला. बल्कि इसके उलट, फॉक्सकॉन ने मई में लंदन स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि वह भारत में 1.49 अरब डॉलर यानी करीब 12,500 करोड़ रुपये का नया निवेश करने जा रहा है. यह प्लांट तमिलनाडु में बनेगा, जहां पहले से ही iPhone का एक बड़ा उत्पादन केंद्र है.

कुछ चुनौतियां अभी बाकी

हालांकि भारत वैश्विक स्मार्टफोन उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन चुनौतियां भी अपनी जगह कायम हैं. ऐपल की सप्लाई चेन में अभी भी चीन की भूमिका बहुत बड़ी है. 2023 में ऐपल के कुल 157 सप्लायर्स चीन में थे, जबकि भारत में यह संख्या सिर्फ 14 थी. 2025 तक यह संख्या बढ़कर 64 हो गई है, जो एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है. भारत को पूरी तरह से मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए सिर्फ उत्पादन नहीं, बल्कि पूरी सप्लाई चेन को खुद में समाहित करना होगा. यह तभी संभव होगा जब सरकार स्थिर नीतियां बनाए रखे और विदेशी निवेशकों को एक भरोसेमंद माहौल दे सके.

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बता दें कि भारत की स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग यात्रा अब वैश्विक नक्शे पर उभर चुकी है. अमेरिका जैसे बड़े बाजार में हिस्सेदारी का 36% तक पहुंचना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. यह न केवल भारत की आर्थिक शक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि सही नीतियों, वैश्विक सहयोग और तकनीकी निवेश के जरिए भारत वैश्विक उत्पादन केंद्र बन सकता है. हालांकि, ट्रम्प की टैरिफ धमकी और चीन की अब भी मौजूद आपूर्ति क्षमता जैसी चुनौतियों से इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन भारत और Apple दोनों की दीर्घकालिक रणनीति स्पष्ट है. यह साझेदारी सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी बन चुकी है. आने वाले समय में भारत, अमेरिका के टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम में एक अनिवार्य कड़ी बनने जा रहा है और यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है.

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