Advertisement

क्या है “सेशन” ऐप? जिससे आतंकियों ने रची थी राजधानी दिल्ली को दहलाने की साजिश

Delhi Blast: एजेंसियां यह पता लगाने में लगी हैं कि उमर मोहम्मद को किसने मदद की, भारत में उसके और कौन-कौन साथी थे, और यह धमाका किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था या नहीं.

क्या है “सेशन” ऐप? जिससे आतंकियों ने रची थी राजधानी दिल्ली को दहलाने की साजिश
Image Source: Social Media

Session App: 10 नवंबर की शाम दिल्ली के लाल किले के पास अचानक हुए भीषण धमाके ने पूरे देश को हिला दिया. यह धमाका इतनी जोरदार था कि आसपास का इलाका दहल उठा.इस हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई और कई लोग बुरी तरह घायल हो गए. मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि कुछ ही सेकंड में चारों ओर अफरा-तफरी मच गई थी.


विस्फोटक से भरी कार और आतंकी का नाम सामने आया


जांच में सामने आया कि धमाका एक ह्यूंडई i20 कार में हुआ था, जो विस्फोटकों से भरी हुई थी. जांच एजेंसियों ने पता लगाया कि कार में बैठा शख्स आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद (उमर नबी) था. यह वही व्यक्ति है जो कुछ साल पहले डॉक्टर के पेशे में था लेकिन बाद में आतंक की राह पर चला गया.

DNA टेस्ट से हुई पहचान की पुष्टि


धमाके के बाद कार के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे और ड्राइवर का शरीर पहचान में नहीं आ रहा था. एजेंसियों ने DNA टेस्ट के ज़रिए जांच की, जिसमें पता चला कि वह शख्स वास्तव में डॉ. उमर मोहम्मद ही था. DNA रिपोर्ट में उसके सैंपल और उसकी मां के सैंपल 100 प्रतिशत मैच हुए.  सेशन ऐप से होता था आतंकियों का संपर्क
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि उमर अपने विदेशी हैंडलर से संपर्क में था, जो तुर्की के अंकारा में बैठा था. उस हैंडलर का कोडनेम ‘UKasa’ बताया जा रहा है. दोनों के बीच बातचीत एक खास मोबाइल ऐप “Session” (सेशन) के ज़रिए होती थी।

सेशन ऐप क्या है?


सेशन ऐप एक ऐसा प्राइवेट मैसेंजर ऐप है जो सुरक्षा और गोपनीयता के लिए बनाया गया है. इस ऐप में कोई सेंट्रल सर्वर नहीं होता, यानी डेटा किसी एक जगह सेव नहीं रहता. यह ऐप डेटा बेचता या लीक नहीं करता. इस पर अकाउंट बनाने के लिए फोन नंबर या ईमेल आईडी की जरूरत नहीं होती, जिससे यूज़र की पहचान पूरी तरह छिपी रहती है. इसी वजह से कई बार ऐसे ऐप्स का इस्तेमाल अपराधी या आतंकी गुप्त बातचीत के लिए करते हैं.


'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' क्या है?


इस केस को एजेंसियों ने “व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल” बताया है. इसका मतलब है , ऐसे आतंकी नेटवर्क जिनसे जुड़े लोग ऊँचे पढ़े-लिखे, प्रोफेशनल और समाज में सम्मानित होते हैं. जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर या कारोबारी. ये लोग आम लोगों की तरह दिखते हैं लेकिन अंदर-अंदर आतंक की साजिश रचते हैं.

फिलहाल इस पूरे मामले की जांच जारी है. एजेंसियां यह पता लगाने में लगी हैं कि उमर मोहम्मद को किसने मदद की, भारत में उसके और कौन-कौन साथी थे, और यह धमाका किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था या नहीं.
 

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें